दीप रंजन

चिकित्सक डॉ. अशोक कुमार सिंह ने बताया कि अभिभावकों को चाहिए कि बच्चों को मोबाइल देखने से रोकने के लिए कोई काम पर लगा दें. मोबाइल का लालच देने के बजाए पेंटिग जैसे कार्यो से जोड़े, इससे रचनात्मकता बढ़ेगी. बच्चों को आप खेल-खेल में योग करना सीखा सकते हैं. इससे उनके शरीर में दिनभर ऊर्जा बनी रहेगी.

स्कूलों में गर्मी की छुट्‌टी हो गई है या होने वाली है. ऐसे में बच्चों का अब पूरा वक्त घर में हीं बीतेगा. बच्चों की लंबी छुट्‌टी कई अभिभावकों के लिए परेशानी का सबब बन जाता है. अभिभावकों की ये शिकायत होती है कि उनका बच्‍चा दिनभर मोबाइल से चिपका रहता है. हालांकि, इसकी वजह खुद अभिभाभक भी हैं, क्योंकि वे भी बच्चों को समय देने के बजाए मोबाइल पर हीं अधिकांश समय व्यतीत करते हैं.

घर में बड़े को देखकर बच्चों को भी मोबाइल की लत लग जाती है. इससे घर का माहौल तो खराब होता ही है, साथ हीं बच्‍चे भी चोर-छिपे मोबाइल देखने लगते हैं. जिससे बच्चों से शारीरिक और मानसिक विकास भी प्रभावित होता है. इसके बाद मोबाइल की लत छुड़ाने के लिए अभिभावकों को काफी परेशानी का समाना करना पड़ता है.

गर्मी की छुटि्टयों में बढ़ जाती है अभिभावकों की परेशानी

हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि भारत के 85 फ़ीसदी अभिभावक इस बात से परेशान हैं कि उनका बच्चा गर्मियों की छुट्टी के दिन में मोबाइल या टीवी से चिपके रहते हैं. यह रिसर्च उन अभिभावकों पर की गई है, जिनके बच्चे 3 से 8 वर्ष की उम्र के हैं. बच्चे पहले 5 से 6 घंटे स्कूलों में बिताया करते थे. लेकिन, गर्मी की छुटि्टयों में अब सारा समय घर पर हीं बिताएंगे.

ऐसे में बच्चों को व्यस्त रखना अभिभावकों के लिए बड़ी चुनौती होती है. अभिभावकों का कहना है कि बच्चे छुट्टी के दिनों में घर में दिनभर या तो टीवी से चिपके रहते हैं या फिर मोबाइल पर गेम खेलते रहते हैं. ऐसे में खाने-पीने तक के समय मेंटेन नहीं हो पाता है. हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि वक्त आ गया है कि अभिभावक बच्चों को सामने कम से कम मोबाइल और टीवी का प्रयोग करें और डिजिटल उपवास रखें.

मोबाइल के चलते बढ़ रही है आंखों की परेशानी

चिकित्सक डॉ. अशोक कुमार सिंह ने बताया कि ज्यादा फोन का इस्तेमाल करने से बच्चों के गर्दन, रीढ़ की दर्द और आंख में परेशानी आने लगती है. मोबाइल रेडिएशन का खतरा बढ़ रहा है. लगातार मोबाइल देखने से आंख लाल हो जाता है और पानी आने लगता है. इसके चलते अभिभावकों को परेशानी झेलनी पड़ती  है. यदि बच्चों से पढ़ाई करानी है और सेहत भी बचानी है तो कम से कम मोबाइल इस्तेमाल करने दें. उन्होंने बताया कि मोबाइल या टीवी स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने से आंखों में सूखापन की समस्या बढ़ जाती है. बच्चों को नजर कम आने लगता है और चश्मा लगाना पड़ जाता है. बच्चों की आंखों की मसल्स नाजुक होती है, इसलिए उन पर इसकी जल्दी असर होता है. इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे मोबाइल से दूर रहे.

चिकित्सक डॉ. अशोक कुमार सिंह ने बताया कि अभिभावकों को चाहिए कि बच्चों को मोबाइल देखने से रोकने के लिए कोई काम पर लगा दें. बच्चों को मोबाइल का लालच देने के बजाए पेंटिग जैसे कार्यो से जोड़े, इससे रचनात्मकता बढ़ेगी और मोबाइल देखने का लत कम होने लगेगा. बच्चों को आप खेल-खेल में योग करना सीखा सकते हैं. इससे उनके शरीर में दिनभर ऊर्जा बनी रहेगी. बच्चों के साथ ऐसे गेम खेलें, जिसमें उनके बौद्धिक विकास हो. यदि अभिभावक घर पर हैं तो बच्चों के साथ लूडो, केरम, चेस आदि इंडोर गेम खेल सकते हैं. इससे बच्चों में लॉजिकल थिंकिंग बढ़ती है.

       (‘न्यूज़ 18 हिंदी’ से साभार )

 

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