अनिल अश्वनी शर्मा

भारत में पिछले कुछ सालों में ऑनलाइन से खरीददारी में तेजी से इजाफा हुआ है और यह तेजी बढ़ते ही जा रही है। कारण कि भारतीय मध्यम वर्ग के बीच टीवी के विज्ञापनों ने उनके मन में यह बिठा दिया है कि ऑन लाइन शॉपिंग एक स्टेटस सिंबल है। यदि आप इसका उपयेाग नहीं करते तो आप ऑन लाइन शॉपिंग करने वालों के मुकाबले निचले पायदान पर हैं। यही कारण कि हर आदमी बेतहाशा ऑन लाइन शॉपिंग में मशगूल रहता है। जहां-तहां आप लोगों को यह देख सकते हैं कि वे अपनी मोबाइल में किसी ई मार्केटिंग की वेब साइट पर अपने के लिए कुछ सामान ढूढ़ रहे हेाते हैं। यही नहीं कई ऐसे लोग हैं जो स्वयं तो बेतहाशा ऑन लाइन शॉपिंग करते ही हैं लेकिन साथ ही जो नहीं कर रहा होता उसका भी हौसला बढ़ाने में पिछे नहीं रहते बल्कि बड़े शेखी से कहते हैं कि क्या फर्क पड़ता है कोई समान पसंद नहीं आएगा तो पट से वापस कर देंगे, कौन मार वापस करने का हमें पैसे खरचने पर पड़ रहे हैं। लेकिन क्या ऑनलाइन शॉपिंग हमारे पृथ्वी के लिए हानिकारक है? यह एक बड़ा सवाल है और इस यक्ष सवाल का उत्तर जानने के लिए अमेरिका कि कुछ विश्व विद्यालयों ने इस संबंध में कई अध्ययन किया है।  

सैद्धांतिक रूप से देखा जाए तो घर बैठे बिना किसी परेशानी के डिलीवरी प्राप्त करना बहुत आसान है स्टोर तक गाड़ी चलाने के और यह अधिक कुशल भी हो सकता है। यह तो सर्वविदित है कि आज की तारीख में विश्व में ऑनलाइन शॉपिंग की सुविधा को मात देना एक कठिन काम है। लेकिन कोई इस बात से भी राजी होगा कि इस काम में बहुत अधिक ऊर्जा और संसाधनों का उपयोग होता है और इससे अधिक बर्बादी होती है।

यह जगजाहिर है कि ऑनलाइन शॉपिंग के लिए आवश्यक परिवहन ग्रीनहाउस उत्सर्जन को बढ़ाता है। न्यूयार्क टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट कहती है कि कुछ अनुमानों के अनुसार ई-कॉमर्स सहित सभी प्रकार की चीजों की पैकेजिंग के लिए हर साल तीन अरब पेड़ काटे जाते हैं। ऑर्डरों को संग्रहीत करने और पुन: प्राप्त करने के लिए आवश्यक डेटा केंद्र एक सामान्य घर की ऊर्जा की लगभग 10 गुना मात्रा का उपभोग करते हैं और इसके लिए कीमती भूजल को निगल जाते हैं।

ध्यान देने की बात है कि ऑनलाइन शॉपिंग हमेशा सबसे खराब विकल्प नहीं होती है। इस मामले में दक्षता एक बड़ा कारक है। जैसे उदाहरण के लिए कई घरों में ऑर्डर पहुंचाने वाला एक ट्रक, दुकानों तक जाने के लिए कारों में जाने वाले कई खरीदारों की तुलना में पर्यावरण के लिए कम हानिकारक हो सकता है। यह विशेष रूप से तब सही होगा कि यदि लोग अपनी खरीदारी को बार-बार होने वाली डिलीवरी को एक सामूहिक रूप से करते हैं। एम.आई.टी. के एक अध्ययन यह भी पाया गया कि शोधकर्ताओं द्वारा सामने आए 75 प्रतिशत से अधिक ऑनलाइन शॉपिंग पारंपरिक खरीदारी की तुलना में अधिक टिकाऊ हो सकती है। यह तब संभव है जब ऑल-इलेक्ट्रिक शिपिंग और कम पैकेजिंग के साथ ऑनलाइन शॉपिंग की गई हो।

हालांकि यह सही है कि वर्तमान में ऑनलाइन खुदरा विक्रेता और डिलीवरी कंपनियां ऑनलाइन शॉपिंग को अधिक जलवायु अनुकूल बनाने की कोशिश कर रही हैं। कुछ ने इलेक्ट्रिक वाहनों को अपना लिया है।

उदाहरण के लिए अमेजन डाट काम ने 2030 तक सड़क पर 1,00,000 इलेक्ट्रिक डिलीवरी वाहन लाने का वादा किया है। कंपनी का कहना है कि यह कदम लाखों मीट्रिक टन कार्बन को वायुमंडल में उत्सर्जित होने से रोकेगा। यूपीएस ने अपने बेड़े को इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ अपडेट करने की योजना बनाई है, लेकिन उन योजनाओं में तब रुकावट आ गई जब उसने जिस कंपनी से नए ट्रक उपलब्ध कराने का अनुबंध किया था वह वित्तीय समस्याओं में घिर गई। फेडेक्स की योजना अगले साल तक अपने पिकअप और डिलीवरी बेड़े ईवी के लिए आधी खरीदारी करने और 2040 तक बेड़े को पूरी तरह से विद्युतीकृत करने की येाजना है। कुछ कंपनियां रोबोट और ड्रोन डिलीवरी का भी प्रयोग कर रही हैं लेकिन विचार करने योग्य अन्य बातें भी हैं। जैसे पैकेजिंग और अपशिष्ट भी महत्वपूर्ण हैं।

अमेजन जैसी कंपनियों ने भी पैकेजिंग में कटौती करना शुरू कर दिया है, जो ऑनलाइन शॉपिंग के शुरुआती दिनों में छोटी वस्तुओं के लिए बक्से, बबल रैप और अन्य पैडिंग का उपयोग करती थीं। यह अब भी समय-समय पर होता है पर पहले के मुकाबले कम करने का प्रयास किया जा रहा है। कुछ कंपनियों ने अधिक मात्रा में  पुन: उपयोग, पुनर्चक्रण और यहां तक कि बायोडिग्रेडेबल पैकेजिंग का उपयोग करना शुरू कर दिया है। लेकिन पैकेजिंग से निकला लाखों टन प्लास्टिक अभी भी नदियों, महासागरों और लैंडफिल में पहुंच जाता है।

अध्ययन में कहा गया है कि शायद सबसे बड़ी बात कि लोग कितना सामान खरीदते हैं? यह जटिल तो है। लेकिन एक महत्वपूर्ण बात पृथ्वी के लिए और लोगों के अपने बैंक खाते के लिए कर सकते हैं। वह है कम मात्रा में सामान खरीदें। 2015 के एक अध्ययन में पाया गया कि घरेलू वस्तुओं और सेवाओं का उपयोग दुनिया भर में 60 प्रतिशत ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है। मिशिगन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार संयुक्त राज्य अमेरिका में 20 प्रतिशत से अधिक उत्सर्जन सीधे तौर पर घरेलू खपत के लिए खरीदी गई ऑनलाइन शॉपिंग जिम्मेदार है। इनमें से कई लैंप, टोस्टर, स्वेटर और अन्य वस्तुएं आयातित हैं, जो कार्बन उत्सर्जित करने वाले मालवाहक जहाजों या हवाई जहाज से संयुक्त राज्य अमेरिका में पहुंचती हैं। वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में अकेले शिपिंग उद्योग का योगदान 3 प्रतिशत है।

दूसरी ओर देखा जाए तो विश्व भर के जलवायु संगठन पुरानी वस्तुओं को खरीदने या आपके पास पहले से मौजूद टूटी हुई वस्तुओं को ठीक करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। कंपनियां बड़ी संख्या में मरम्मत सेवाएं उपलब्ध कराती हैं और कभी-कभी निःशुल्क भी। इस मामले में यूट्यूब वीडियो भी आश्चर्यजनक संख्या में आइटमों को ठीक करने के लिए चरण-दर-चरण मार्गदर्शिकाएं प्रदान करते हैं। कपड़ों की मरम्मत या उपकरणों की मरम्मत के लिए स्थानीय स्तर कारीगर मौजूद रहते हैं। यह उनके लिए स्वरोजगार की स्थिति भी होती है। अध्ययन में कहा गया है कि यदि आप ऑनलाइन सामान खरीदने जा रहे हैं, तो ऐसे कई तरीके हैं जिनसे आप अपनी ऑनलाइन खरीदारी को अधिक टिकाऊ बना सकते हैं। इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण है कि रिटर्न करने के पहले चार्ट देखने और समीक्षाएं पढ़ने के लिए अधिक समय लें। क्योंकि कई अध्ययनों में कहा गया है कि ऑनलाइन खरीदारी करने वालों द्वारा किसी वस्तु को वापस करने की संभावना पांच गुना अधिक होती है, जिसका अर्थ है कि परिवहन उत्सर्जन बहुत अधिक होता है।

यदि आप कई आइटम ऑर्डर कर रहे हैं तो अपने ऑर्डर को एक शिपमेंट में समूहित करने का प्रयास करें। कई कंपनियां पूछेंगी कि क्या आप ऐसा करना चाहते हैं। उस विकल्प को खोजना न भूलें। इसके अलावा बेटर बिजनेस ब्यूरो व्यक्तिगत वस्तुओं के लिए पैकेजिंग में कटौती करने और पिकअप स्थानों पर डिलीवरी का लाभ उठाने के लिए थोक में खरीदारी करने का सुझाव देता है।

एक बात और अध्ययन में बताई गई है कि धीमी खरीदारी का अभ्यास करें, रुकें और सोचें कि क्या आपको किसी वस्तु की आवश्यकता है। कुछ नया खरीदने में जल्दबाजी करना आसान है, लेकिन पर्यावरणविद् सुझाव देते हैं कि आप अपनी जल्दबाजी या हड़बड़ाहट को ठीक करें। इसके लिए समय लेने में किसी प्रकार का संकोच न करें।

       (‘डाउन-टू-अर्थ’ से साभार )

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