विकास शर्मा

मंगल ग्रह पर वहीं के संसाधनों से ऑक्सीजन के उत्पादन की तकनीक के परीक्षण का प्रयोग पूरी तरह से सफल रहा है. नासा के पर्सिवियरेंस रोवर के साथ साल 2021 में मंगल पर भेजे गए मार्स ऑक्सीजन इन सीटू रिसोर्स यूटिलाइजेशन एक्सपेरिमेंट (मॉक्सी) ने वहां उम्मीद से अच्छा प्रदर्शन करते हुए वहां 122 ग्राम ऑक्सीजन निकाली है जो निर्धारित लक्ष्य से कहीं अधिक है.

पृथ्वी के बाहर के मानव अभियानों के लिए ऑक्सीजन एक प्रमुख संसाधन होगा. इसलिए चंद्रमा हो या मंगल वहां पर ऑक्सीजन की तलाश की जा रही है और मंगल पर ऑक्सजीन कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में प्रचुर मात्रा में हैं. लेकिन ऑक्सीजन के रूप में नहीं. इसलिए कोशिश है कि वहां ऐसी व्यवस्था हो की ऑक्सीजन का उत्खनन हो सके अभी भारत के प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ऑक्सीजन के होने की पुष्टि की है तो वहीं नासा को अब मंगल से खुशखबरी मिली है. नासा के पर्सिवियरेंस रोवर के साथ  गए उपकरण ने मंगल ग्रह पर ऑक्सीजन के निर्माण का प्रयोग सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है.

मंगल पर मानव अभियान के लिए
नासा लंबे समय से कई रोवर और प्रोब मंगल ग्रह के लिए भेज चुका था. लेकिन 2021 में उसने पर्सिवियरेंस रोवर जब मंगल के लिए रवाना किया तो लोगों में उत्साह इसलिए था कि उसका मकसद मंगल पर जीवन के संकेत तलाशने के साथ ही ऐसे प्रयोग करना था जिनसे मंगल ग्रह पर मानव अभियान सफल हो सके. इन्हीं में से एक प्रयोग मंगल के संसाधनों से ऑक्सीजन का उत्खनन करने का था.

अब संभव है मंगल पर ऑक्सीजन बनाना
नासा ने इस प्रयोग के लिए एक खास तरह का उपकरण तैयार कर पर्सिवियरेंस रोवर के साथ मंगल तक भेजा था. इसके प्रयोग के नतीजे बता रहे हैं कि मंगल पर ऑक्सीजन का उत्पादन संभव है. यह उपकरण मार्स ऑक्सीजन इन सीटू रिसोर्स यूटिलाइजेशन एक्सपेरिमेंट (मॉक्सी) है जिसने मंगल पर अपने प्रयोग पूरे कर लिए हैं.

मंगल पर पहुंचते से ही
इन प्रयोगों के जरिए मॉक्सी ने उस तकनीक का सिद्ध किया है जिसमें भविष्य में मंगल ग्रह पर ऑक्सजीन का उत्पादन किया जा सकेगा. मंगल पर नासा का भेजा गया यह विशेष उपकरण केवल एक माइक्रोवेव ओवन के आकार का है जो साल 2021 में पर्सिवियरेंस रोवर के मंगल की सतह पर उतरने के बाद से ही ऑक्सीजन पैदा करने का काम कर रहा है.

उपयुक्त तरह की ऑक्सीजन
मॉक्सी ने उम्मीद से कहीं ज्यादा प्रदर्शन किया और उरपकरण के निर्धारित मूल लक्ष्यों से को गुना ज्यादा मात्रा, यानिकुल 122 ग्राम की ऑक्सीजन का उत्पादन किया. इस ऑक्सीजन की शुद्धता 98फीसदी या उससे भी ज्यादा है जो कि मंगल पर वहां गए यात्रियों के सांस लेने और ईंधन के रूप में उपयोग में लाने, दोनों के लिए उपयुक्त है.

खास मंगल के लिए बनाया गया
मॉक्सी मंगल के लिए खास तौर से तैयार किया गया उपकरण है जो वहां के वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग कर उसमें से ऑक्सीजन अलग करने के लिए बनाया गया है. उपकरण कार्बन अणु से ऑक्सीजन परमाणु अलग करने के बाद  गैस की मात्रा और शुद्धता की जांच करता है. मंगल पर मॉक्सी की सफलता भविष्य में मानव अभियानों के लिए एक बहुत बड़ी उम्मीद जागी है.

मंगल के संसाधनों का उपयोग
मॉक्सी की तकनीक मगंल पर गए अंतरिक्ष यात्रियों को वहां की सतह पर रहने में मददगार साबित होगी जिससे वहां पर उनकी ऑक्सीजन की जरूरत पूरी हो सकती है. यह मंगल के ही संसाधनों का उपयोग कर वहां जिंदा रहने की कवायद की दिशा में बड़ी सफलता है. इस तरह की अवधारणा को इन सीटू रिसोर्स यूटिलाइजेशन कहते हैं.

इस प्रयोग की सफलता के बाद अब मॉक्सी जैसा ऑक्सीजन जनरेटर की तरह बड़े पैमाने का तंत्र बनाया जाएगा  जिसके साथ ही ऑक्सीजन को तरल कर उसका भंडारण किया जा सकेगा.  लेकिन  इसके लिए कुछ अन्य तकनीकों के मंगल पर काम कर पाने की पुष्टि का होना जरूरी है. इससे नासा को भविष्य में इस तरह की तकनीक में निवेश करने की प्रेरणा मिलेगी.

     (‘न्यूज़ 18 हिंदी’ के साभार )
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