संजय श्रीवास्तव

अध्ययन और रिसर्च की बात करें तो विज्ञान ना तो अब तक भगवान को मान पाया है और ना ही खारिज कर पाया. स्टीफन हॉकिंग साफ कहते थे ये दुनिया ईश्वर ने नहीं बनाई. आइंस्टीन भी भगवान को नहीं मानते थे.

कोई भगवान नहीं है और ना ही ये दुनिया कोई ईश्वर चलाता है और ना ही उसने बनाई है. प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग हमेशा ये बात कहते थे.वह अनिश्वरवादी थे, कोई धर्म नहीं मानते थे. हालांकि दुनिया के ज्यादा साइंटिस्ट ये मानते हैं कि ईश्वर नहीं होता. आखिर उनके ऐसा मानने की वजह क्या है.

अपनी पीढ़ी के सबसे प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों में एक माने जाने वाले हॉकिंग का मार्च 2018 में 76 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उनकी कमोवेश पूरी जिंदगी ही व्हीलचेयर पर बीती. वह बोल नहीं पाते थे लेकिन इसके लिए उन्होंने खास मशीनों का सहारा लिया, जिसके जरिए वह संवाद करते थे. दिमागी तौर पर वह आखिरी समय तक क्रियाशील रहे. जब उनका निधन हुआ तो वह एक किताब पर काम कर रहे थे. फिर उनके परिवारवालों ने इस किताब को पूरा करके इसे प्रकाशित कराया. उनकी इस आखिरी किताब का नाम है “ब्रीफ आंसर टू द बिग क्वेश्चन”, जो बेस्ट सेलर बुक है.

क्यों भगवान नहीं होता
अंतरिक्ष से जुड़ी कई बड़ी खोजों का श्रेय हॉकिंग को जाता है. उन्होंने कई किताबें लिखीं. ईश्वर को लेकर उनका हमेशा मानना था कि ईश्वर जैसी कोई चीज नहीं होती. अपनी आखिरी किताब में उन्होंने विस्तार से समझाया कि भगवान जैसी कोई चीज क्यों नहीं होती.

ईश्वर का कोई प्रमाण नहीं
इस किताब में उन्होंने साफ कहा, कोई ईश्वर नहीं है. किसी ने ब्रह्मांड नहीं बनाया. कोई भी हमारे भाग्य को निर्देशित नहीं करता. ना स्वर्ग है और ना ही मृत्यु के बाद कोई जीवन. पुनर्जन्म में विश्वास केवल इच्छाधारी सोच है. इसका कोई विश्वसनीय प्रमाण नहीं है. जब हम मरते हैं तो मिट्टी में लौट जाते हैं.

स्टीफन हॉकिंग की आखिरी पुस्तक “ब्रीफ आंसर टू द बिग क्वेश्चन “10 विशाल प्रश्नों का एक संग्रह है, जो हॉकिंग से जीवनभर लगातार पूछे जाते थे. पुस्तक उस सवाल के साथ शुरू होती है – क्या ईश्वर है?

ईश्वर केवल एक परिभाषा है
उन्होंने किताब में लिखा, सदियों से, यह माना जाता था कि मेरे जैसे विकलांग लोग भगवान द्वारा दिए गए अभिशाप के तहत जी रहे थे. शायद ये गलत है. मैं ये सोचना पसंद करता हूं कि प्रकृति के नियमों के अनुसार हर चीज को दूसरे तरीके से समझाया जा सकता है. यदि आप विज्ञान में विश्वास करते हैं, जैसे कि मैं करता हूं, तो आप मानते हैं कि कुछ नियम हैं जिनका हमेशा पालन किया जाता है. ईश्वर का कोई प्रमाण नहीं है, ये केवल परिभाषा है.

प्रकृति के नियमों को मानते थे वो
उन्होंने लिखा, हमें ब्रह्मांड की व्याख्या करने के लिए किसी भगवान की जरूरत नहीं. प्रकृति के अपने नियम हैं और वो उसी तरह काम करते हैं. मनुष्यों द्वारा बनाए गए कानूनों के विपरीत प्रकृति के नियमों को तोड़ा नहीं जा सकता – यही कारण है कि वे खासे शक्तिशाली हैं. जब उन्हें धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाता है, तो वो विवादास्पद भी हो जाते हैं. वह ये भी नहीं मानते थे कि ये ब्रह्मांड और दुनिया ईश्वर ने बनाई. प्रकृति के नियमों को स्वीकार करने के बावजूद, हॉकिंग मानते थे विज्ञान के नियमों के अनुसार ब्रह्माण्ड अनायास ही शून्य से निर्मित हो गया.

आइंस्टीन क्या कहते थे
आइंस्टीन धर्म के बारे में अक्सर बातें करते थे लेकिन किसी व्यक्तिगत ईश्वर में विश्वास नहीं करते थे. हालांकि वह नास्तिक भी नहीं थे। वह स्वयं को अज्ञेयवादी कहलाना पसंद करते थे. उनका झुकाव यहूदी-डच दार्शनिक बारूक स्पिनोज़ा के सर्वेश्वरवाद की ओर होता था, जिन्होंने 17वीं शताब्दी में घोषणा की थी कि ईश्वर प्रकृति के समान है।

ज्यादातर वैज्ञानिक नहीं मानते
उपलब्ध स्रोतों के आधार पर, जो वैज्ञानिक ईश्वर में विश्वास नहीं करते उनमें बड़ी संख्या में प्रमुख हस्तियां शामिल हैं. शीर्ष प्राकृतिक वैज्ञानिकों के बीच, ईश्वर और अमरता में अविश्वास प्रचलित है, नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (एनएएस) के प्राकृतिक वैज्ञानिकों द्वारा पारलौकिकता को लगभग एक सिरे से खारिज कर दिया गया. एनएएस जैविक वैज्ञानिकों में ईश्वर और अमरता में अविश्वास सबसे ज्यादा है. भौतिकविदों और खगोलविदों में ईश्वर को लेकर अविश्वास का काफी ज्यादा प्रतिशत है.

एनएएस जैविक वैज्ञानिकों में, 65.2% और 69.0% क्रमशः ईश्वर और अमरता में अविश्वास व्यक्त करते हैं, जबकि एनएएस भौतिक वैज्ञानिकों के बीच ईश्वर और अमरता के लिए अविश्वास दर क्रमशः 79.0% और 76.3% है. 2009 में प्यू रिसर्च सेंटर द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला कि 41% वैज्ञानिक भगवान या उच्च शक्ति में विश्वास नहीं करते, जो आम जनता के साथ बिल्कुल विपरीत है, जहां केवल 4 फीसदी ईश्वर को नहीं मानते.

क्या है ईश्वर को लेकर वैज्ञानिक परिभाषा
ईश्वर एक मानवीय रूप से अलग शाश्वत ब्रह्मांडीय अस्तित्व हो सकता है जो अंतरिक्ष की अनंतता, पदार्थ और ऊर्जा के सबसे गहरे सामान्य पदार्थ की प्रकृति, निरंतर गति के लिए जिम्मेदार है. ये परिभाषा ईश्वर को एक शाश्वत ब्रह्मांडीय बुद्धिमत्ता के रूप में देखती है जो मल्टीवर्स की आत्मा के माध्यम से संचालित होती है जो हमारे ब्रह्मांड में जीवन का प्रसार करती है.

       (‘न्यूज़ 18 हिंदी’ से साभार )
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