ललित मौर्या

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 09 जनवरी 2023 को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के 180 शहरों में से सात शहरों बेगूसराय (437), छपरा (451), दिल्ली (434), फरीदाबाद (434), ग्रेटर नोएडा (415), नोएडा (434) और राजगीर (406) में एक्यूआई यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स सीवियर (गंभीर) श्रेणी में पहुंच गया। यह रिपोर्ट शाम चार बजे जारी की गई। बताया गया कि देश के 29 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर ‘बेहद खराब’ रहा। वहीं केवल 10 शहरों में हवा ‘बेहतर’ रही, जबकि 28 शहरों की श्रेणी ‘संतोषजनक’, 69 में ‘मध्यम’ रही। वहीं 37 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर “खराब” दर्ज किया गया।

  

यदि दिल्ली-एनसीआर की बात करें तो यहां की वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में है। दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स 434 दर्ज किया गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में एयर क्वालिटी इंडेक्स 434, गाजियाबाद में 385, गुरुग्राम में 397, नोएडा में 434, ग्रेटर नोएडा में 415 पर पहुंच गया है।

 

 

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 137 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम’ स्तर को दर्शाता है। जबकि कोलकाता में यह इंडेक्स 292, चेन्नई में 118, बैंगलोर में 118, हैदराबाद में 103, जयपुर में 177 और पटना में 373 दर्ज किया गया।

वहीं अनंतपुर, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), भिलाई, बीदर, चिक्कामगलुरु, चित्तूर, देवास, एलूर, गांधीनगर, हसन, हुबली, कलबुर्गी, कन्नूर, कोहिमा, कोप्पल, कोझिकोड, मदिकेरी, मैसूर, ऊटी, रतलाम, सागर, सतना, शिलांग, शिवसागर, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, तिरुपुर और यादगीर आदि 28 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा ?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

 

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।

  (‘डाउन टू अर्थ ‘पत्रिका से साभार )

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