विकास शर्मा
जब भारत की आजादी का प्रक्रिया चल रही थी तब 562 रिसायतें ऐसी थीं जो भारत का हिस्सा नहीं थी. इन सभी रियासतों को एक करने का श्रेय सरदार वल्लभ भाई पटेल को दिया जाता है. लेकिन उनकी योजना को अमली जामा पहनाने का काम उनके सचिव वीपी मेनन किया था. उन्होंने ही सरदार पटेल के नेतृत्व में सारी रियासतों को देश में मिलाया था.
जब भारत की आजादी का समय नजदीक आ रहा था, तब देश के सामने बहुत सारी कठिन चुनौतियां था. आजादी के पहले भारतीय उपमहाद्वीप कई हिस्सों में बंटा था जिसमें सबसे प्रमुख हिस्सा ब्रिटिश इंडिया था. इसके अलावा करीब 565 से ऐसी रियासतें थीं जो भारतीय उपमहाद्वीप में ब्रिटिश इंडिया के बीच बीच के हिस्सों में थी जो एक स्वतंत्र देश की तरह थीं. आजादी के समय जब भारतीय नेताओं के सामने देश की सरकार और शासन तंत्र का ढांचा तैयार करने का काम था. लेकिन इसमें सबसे कठिन काम देश की बिखरी रियासतों को भारतीय संघ में शामिल करना था और इस कार्य में वीपी मेनन का बहुत बड़ा योगदान था.
बहुत ही बड़ी जिम्मेदार का हिस्सा
भारत की आजादी की कहानी में देश की बिखरी रियासतों को एक करने की जिम्मेदारी देश की कार्यवाहक सरकार के गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के जिम्मे आई थी. उस समय वीपी मेनन सरदार पटेल के सचिव के रूप में सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी के तौर पर काम करने के लिए नियुक्त किए गए थे. ये सरदार पटेल और वीपी मेनन की जुगलबंदी ही थी जिन्होंने मिल कर और विभिन्न रियासतों के राजाओं को एनकेन प्राकरेण मनाया और पूरे भारत को एक राष्ट्र में पिरोया.
संघर्ष में बीता बचपन
राव बहादुर वप्पला पंगुन्नी मेनन का जन्म 30 सितंबर 1893 को केरल के मालाबार क्षेत्र के ओट्टापालम में हुए था. उनके पिता चुनंनगाड़ शंकर मेनन एक विद्यालय में प्रधानाचार्य थे. बचपने में ही अपने घरवालों पर पढ़ाई का बोझ ना पड़े इसलिए वीपी घर से भाग गए. पहले उन्हें रेलगाड़ी में कोयला झोंकने का काम किया, फिर खनिक का काम किया. बेंगलुरू में एक तंबाकू कंपनी में मुंशी का काम किया.
पूरी तरह से सेल्फ मेड थे मेनन
मेनन पूरी तरह से सेल्फ मेड व्यक्ति थे उन्होंने कभी औपचारिक शिक्षा या डिग्री हासिल नहीं की. अंग्रेजी प्रशासन में उनकी शुरुआत एक टाइपिस्ट के तौर पर हुई. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नही देखा और स्टेनोग्राफर, फिर क्लर्क का काम करने के बाद अंग्रेजी प्रशासन में वायसराय के सचिव पद तक पहुंच गए थे.
सरदार पटेल के साथ
आजादी के समय मेनन को सरदार पटेलके अधीन राज्य मंत्रलाय का सचिव बनाया गया है. पटेल मेनन की राजनैतिक कुशलता और कार्य करने के तरीके से पहले से ही प्रभावित थे. उन्होंने भी मेनन के यथोचित सम्मान दिया. भारत में रियासतों के विलय के दौरान दोनों में बेहतरीन समन्वय देखने को मिला. मेनन न पटेल केस थ 565 रियासतों के जोड़ने में पूरा सहयोग देते हुए सारी योजनाओं का शानदार क्रियान्वयन किया.
एकीकरण में मेनन का कौशल
मेनन ने ही पटेल को सलाह दी थी कि अगर राजाओं को प्रतिरक्षा और विदेश कार्यों के साथ संप्रेषण की जिम्मेदारी भी भारत सरकार को मिल जाए तो एकीकरण ज्यादा आसान हो जाएगा. मेनन ही पटेल की तरफ से विभिन्न राजाओं से मिला करते थे और शुरुआती स्तर पर राजाओं को विलय के मनाया करते थे. जूनागढ़ और हैदारबाद के विलय जैसे जटिल मामलों में मेनन की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका थी.
कश्मीर का विलय और पाकिस्तान का बंटवारा
यहां तक कि कश्मीर के भारत में औपचारिक विलय के मामले में भी मेनन की सक्रिय भूमिका काबिले तारीफ रही थी. भारत पाकिस्तान के बंटवारे की प्रक्रिया बहुत ही जटिल काम था जिसमें दोनों देशों के बीच सेना, सेवाओं सहित बहुत ही चीजों का बंटवारा होना था. ऐसे में मेनन ने तत्कालीन वायसराय के राजनैतिक सलाहकार के नाते बहुत ही कुशलता से छोटे छोटे काम तक अंजाम दिए थे.
देश को मेनन की सेवाएं सरदार पटेल की मृत्यु के बाद ज्यादा नहीं मिलीं. पटेल की मृत्यु के बाद उन्होंने प्रशासन सेवा से इस्तीफा दे दिया . 1951 मे वे ओडिशा के राज्यपाल बनाए गए. उन्हें वित्त आयोग का सदस्य भी बनाया गया. बाद में उन्हें स्वतंत्र पार्टी की सदस्यता भी ग्रहण की लेकिन चुनाव नहीं लड़ा . 31 दिसंबर 1965 को 72 साल की उम्र में उनका देहांत हो गया.