विकास शर्मा

बुखार आना रोग नहीं, बल्कि रोग की एक प्रतिक्रिया है और बुखार में पसीना कई कारणों से आते हैं. कई बार बुखार में पसीना आना फायदेमंद होता है, लेकिन विशेषज्ञों ने पाया है कि ऐसा हमेशा नहीं होता क्योंकि काफी कुछ बुखार के कारणों पर निर्भर होता है. डॉक्टर बुखार और तब आने वाले पसीने को एक संकेत की तरह भी देखते हैं.

शरीर में पसीना आने का अपना महत्व है और यह शरीर की अहम प्रक्रियाओं में से एक है.  यह शरीर को ठंडा रखने के तंत्र का हिस्सा है. कई लोग शरीर में अधिक कपड़े पहन कर या कंबल ओढ़ कर या स्टीम बाथ लेकर यह शरीर में पसीना लाते हैं. कहा भी जाता है पसीना बहाने वाली कसरत वजन कम करने में मददगार होती है. वहीं जब हमारा शरीर बुखार में गर्म होता है तो पसीना आना स्वाभाविक लगता है क्योंकि पसीने गर्म शरीर ठंडा होता है. लेकिन क्या बुखार में पासीना आना वास्तव में फायदेमंद हो सकता है. क्या बुखार में पसीना आने को अच्छा संकेत कहा जा सकता है. आइए जानते हैं कि इस बारे में क्या कहता है विज्ञान?

बुखार आने का मतलब
बुखार सामान्य तौर पर शरीर का सामान्य तापमान में बढ़ोत्तरी को कहते हैं. वैसे तो शरीर में तापमान का स्तर कायम रखने के लिए पूरा का पूरा तंत्र सक्रिय रहता है. कई बार शरीर का तापमान केवल कुछ देर के लिए ही एकाध डिग्री तक बढ़ता है. लेकिन फिर भी अगर तापमान 38 डिग्री सेल्सियस (100 फेहरनहाइट)  तक हो उसे बुखार और अगर यह 39 डिग्री सेल्सियस (103 फेहरनहाइट)  तक पहुंच जाए तो उसे तेज बुखार माना जाता है.

पसीना आने का मतलब यह नहीं
ऐसे किसी तरह के प्रमाण या अनुभव देखने में नहीं आते हैं कि पसीना आने से हमें बेहतरी का अहसास हो. वहीं यह भी जरूरी नहीं कि पसीना आने का मतलब इलाज की जरूरत हो. हां हो सकता है कि जिस बुखार में यह पसीना आ रहा हो. शरीर को उसके इलाज की जरूरत हो सकती है. बुखार संक्रमण का संकेत हो सकता है जिसमें इन्फ्लूएंजा और कोविड-19 जैसे संक्रमण शामिल हैं.

तापमान कायम रखने के लिए
हमारे शरीर का प्रयास रहता है कि उसका तापमान हमेशा कायम रहे. इसमें बहुत मामूली बदलाव होता है, पर फिर भी यह एक सीमा में कायम रहता है. लेकिन जब शरीर को बाहर की तुलना में तापमान बढ़ाने का प्रयास करना होता तो हमें ठंड महसूस होती है. संक्रमण में भी शरीर को ऐसा ही करना होता है. जब स्थिति सामान्य होने लगती है तो शरीर को गर्मी महसूस होने लगे हैं.

बुखार मे पसीना
वहीं बाहर की तुलना में शरीर का तापमान कम बनाए रखने के लिए शरीर को ठंडा करने के जरूरत हो और तब पसीने की ग्रंथियां सक्रिय होकर पसीना निकालने लगती हैं. ऐसे में शरीर की गर्मी कम होती और लगता है कि बुखार कम हो रहा है. लेकिन अधिक पसीना बुखार उसके कारण का इलाज नहीं होता है. बल्कि पसीने के दौर के बाद बुखार लौट सकता है. मलेरिया सहित कई संक्रमण ऐसा होता है कि बुखार और संक्रमण के लक्षण बार बार लौटते हैं.

तो क्या बुखार में पसीना आना अच्छी बात है?
बुखार में पसीना आना सामान्य बात है. यहां गौर करने वाली बात यह है खुद बुखार बीमारी नहीं होता है, बल्कि यह तो संक्रमण, सूजन, या रोग की प्रतिक्रिया है. यह संकेत है कि शरीर रोग से लड़ रहा है, लेकिन जरूरी नहीं कि इसके लिए उपचार की जरूरत हो. और यह भी जरूरी नहीं कि पसीना आने का मतलब तबियत में सुधार हो रहा है.

बुखार का मतलब
बुखार में पसीना आने अच्छी बात है या नहीं पूरी तरह से बुखार की वजह से पर निर्भर करता है. बताया जाता है कि बुखार आने का मतलब शरीर में पानी की कमी बढ़ गई है.  शरीर को तपामान बढ़ाने के लिए और ऊर्जा – संसाधनों की जरूरत है और शरीर के लिए तापमान नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है. बुखार से थकान और कमजोरी महसूस होने लगती है. वहीं बुखार में अधिक व्यायाम तबियत और खराब कर सकता है.

बुखार में पसीने की उम्मीद की जा सकती है, लेकिन कसरत कर या कमरे का तापमान बढ़ाने से पसीना लाना हानिकारक हो सकता है. तेज बुखार में तो पसीना आने के बाद शरीर का तापमान और बढ़ सकता है, शरीर में पानी की कमी बढ़ती है ऐसे में शरीर का अधिक पानी पीना चाहिए. शरीर और कमजोर हो सकता है इसलिए कसरत से पसीना लाने का प्रयास नहीं करना चाहिए.

     (‘न्यूज़ 18 हिंदी’ से साभार )
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