प्रतीति पांडे

अमेरिका के एक प्रोफेसर का दावा है कि आने वाले वक्त में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के ज़रिये एक ऐसा बायोवेपन बनाया जा सकता है, जो इंसानों की नस्ल को ही खत्म कर देगा.

 हमारी दुनिया कहां से कहां पहुंचती जा रही है. जो चीज़ें कल तक असंभव लगती थीं, वो आज हमारी ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन चुकी हैं. मसलन हम इंसानों के अलावा किसी से भी परफेक्शन की उम्मीद नहीं कर सकते थे लेकिन आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के ज़रिये बहुत सारे काम चुटकियों में निपट जाते हैं. हालांकि टेक्नोलॉजी के साथ-साथ कुछ रिस्क भी ज़रूर होते हैं.

डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के एक प्रोफेसर डैन हेंड्राइक्स ने दावा किया है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ कुछ ऐसे रिस्क भी हैं, जो हमारी ज़िंदगी को प्रभावित कर सकते हैं. सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सेफ्टी के डायरेक्टर डैन के मुताबिक रोबोट खुद ऐसा नहीं करेंगे लेकिन उनका इस्तेमाल ऐसा करने के लिए कुछ बुरे लोग कर सकते हैं.

वायरस के ज़रिये फैलेगी तबाही!
दुनिया भर की प्रयोगशालाओं में रोबोट्स का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में काफी खतरा बढ़ जाता है कि जेनेटिक इंजीनियरिंग के ज़रिये बायोवेपंस बनाए जाएंगे, जो कोरोना वायरस से भी ज्यादा तबाही फैला सकते हैं. डैन ने दावा किया है कि कुछ बुरे लोग AI का इस्तेमाल इंसानों की नस्ल खत्म करने के लिए कर सकते हैं. टेक इंडस्ट्री के सूत्रों के मुताबिक ऐसा हो सकता है कि AI खुद ही वायरल बनाने के टूल्स को ऑनलाइन ऑर्डर कर ले और इसे इंजानियर कर ले. चूंकि इनमें भावनाएं विकसित की जा रही हैं, ऐसे में खत्म होने के डर से वो ऐसा कर सकते हैं.

फिल्मी कहानियां हो सकती हैं सच
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में कम्प्यूटर साइंस के प्रोफेसर माइकल वुल्ड्रिज की मानें तो आने वाले वक्त में ये कल्पना करना मुश्किल नहीं है कि इंसानों की मौजूदा तकनीक को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हमें ही खत्म करने के लिए इस्तेमाल कर सकता है. क्लाइमेट चेंज फाइटिंग टेक्नोलॉजी और न्यूक्स टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना रोबोट्स के लिए आसान हैं. यही वजह है कि ब्रिटेन जैसे कुछ देशों में तो AI को लेकर सरकारी नियम भी कड़े करने पर विचार हो रहा है. कुछ दिनों पहले इस टेक्नोलॉजी के गॉडफादर माने जाने वाले जियोफ्रे हिंटन ने खुद ही चेतावनी दी थी कि इससे इंसानी नस्ल को खतरा है.

    (‘न्यूज़ 18 हिंदी’ के साभार )
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