ललित मौर्या
देश के 177 शहरों में बेगूसराय (बिहार)की हवा सबसे ज्यादा खराब थी जहां प्रदूषण का स्तर 448 दर्ज किया गया, वहीं आइजोल में हवा सबसे ज्यादा साफ थी.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के 177 शहरों में से केवल 9 में हवा ‘बेहतर’ रही, जबकि 36 शहरों की श्रेणी ‘संतोषजनक’, 74 में ‘मध्यम’ रही। वहीं 40 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर खराब दर्ज किया गया, जबकि दिल्ली-भागलपुर सहित 15 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर ‘बेहद खराब’ रहा। जबकि बिहार के बेगूसराय (448), दरभंगा (403) और सिवान (417) में वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई।
यदि दिल्ली-एनसीआर की बात करें तो यहां की वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ श्रेणी में है। दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स 314 दर्ज किया गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में एयर क्वालिटी इंडेक्स 297, गाजियाबाद में 255, गुरुग्राम में 260, नोएडा में 281 पर पहुंच गया है।
वहीं आगरा, अहमदाबाद, अलवर, अनंतपुर, बिलासपुर, ब्रजराजनगर, चिक्कामगलुरु, दमोह, एलूर, फिरोजाबाद, गांधीनगर, हसन, हावेरी, इंदौर, कलबुर्गी, कन्नूर, कोहिमा, कोल्लम, मैहर, मंडीदीप, मंगलौर, मंगुराहा, मैसूर, नंदेसरी, ऊटी, पाली, पलवल, पुदुचेरी, रामनगर, रतलाम, शिवमोगा, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुपति, विजयपुरा और यादगीर आदि 36 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।
वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।
इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।
(डाउन-टू-अर्थ पत्रिका से साभार)