विश्व धरोहर दिवस अथवा विश्व विरासत दिवस प्रतिवर्ष 18 अप्रैल को दुनिया भर में मनाया जाता है। इस दिन को “स्मारकों और स्थलों के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस” के नाम से भी जाना जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि पूरे विश्व में मानव सभ्यता से जुड़े ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों के महत्त्व,उनके अस्तित्व के सम्भावित खतरों व उनके संरक्षण के प्रति जागरूकता लाई जा सके।

दुनियाभर में कई सारी ऐतिहासिक धरोहर मौजूद हैं, जिन्हें देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। यह धरोहरें न सिर्फ पुरानी संस्कृति का अहसास कराती हैं, बल्कि खुद से जुड़े किस्से और कहानियों को भी बयां करती हैं। पूरे विश्व में मौजूद इन विरासतों को संभालने के मकसद से हर साल 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस मनाया जाता है। इस खास मौके पर आज हम बात करेंगे भारत में मौजूद कुछ ऐसी धरोहरों के बारे में, जहां आपको एक बार जरूर जाना चाहिए।

ताजमहल, उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के आगरा स्थित ताजमहल को प्यार की निशानी कहा जाता है। सफेद संगमरमर बनी यह इमारत देखने बेहद खूबसूरत है। इस मकबरे को सन 1632 में मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज के मौत के बाद उनकी याद में बनवाया है। साल 1983 में यूनेस्को ने ताजमहल को विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया था।

कोणार्क सूर्य मंदिर, ओडिशा

भारत का ओडिशा राज्य यूं तो अपने जगन्नाथ मंदिर के लिए जाना जाता था। लेकिन यहां मौजूद कोणार्क सूर्य मंदिर भी अपनी खूबसूरती के लिए देश ही नहीं, बल्कि विदेश में भी काफी मशहूर है। भगवान सूर्य देव को समर्पित यह मंदिर राज्य का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जिसे यूनेस्को ने साल 1984 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था।

अजंता-एलोरा की गुफाएं, महाराष्ट्र

महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित अजंता-एलोरा की गुफाएं भी भारत के मशहूर पर्यटन स्थलों में से एक हैं। इसे देखने हर साल भारी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं। यह घोड़े के नाल के आकार वाले पहाड़ पर बनी 26 गुफाएं हैं। यूनेस्को द्वारा इन गुफाओं को साल 1983 में विश्व धरोहर स्थलों में शामिल किया गया था।

महाबलीपुरम मंदिर, तमिलनाडु

तमिलनाडु के शहर महाबलीपुरम में मौजूद महाबलीपुरम मंदिर भी विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल है। इस मंदिर में आपको पल्लव काल की कलाकृतियां देखने को मिलेगी। यही वजह है कि यहां दूर-दूर से पर्यटन आते हैं। यूनेस्को ने इस मंदिर को साल 1984 विश्व विरासत में शामिल किया था।

खजुराहो मंदिर, मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश में मौजूद खजुराहो मंदिर अपनी अनूठी कलाकृतियों के लिए दुनियाभर में काफी प्रसिद्ध है। जैन और हिंदू मंदिरों के संग्रह के साथ ही यहां आपको कामुक मूर्तियां और कलाकृतियां देखने को मिलेंगी। 20 किमी के एरिया में इस मंदिर में कुल 85 मंदिर हैं। इस मंदिर को साल 1986 में विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल किया गया था।

वर्ल्ड हेरिटेज डे 2023 की थीम

1983 के बाद से, स्मारकों और स्थलों पर अंतर्राष्ट्रीय परिषद ने एक विषय निर्धारित किया है और हर साल इसे अलग-अलग थीम के साथ मनाया जाता है। इस साल विश्व विरासत दिवस ‘हेरिटेज चेंजेस’ थीम के तहत मनाया जाएगा.

विश्व धरोहर दिवस का उद्देश्य

18 अप्रैल को मनाए जाने वाले विश्व धरोहर दिवस का उद्देश्य है दुनियाभर में मानव इतिहास से जुड़े ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक स्थलों को संरक्षित किया जाए, जिसके लिए लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी है।

विश्व धरोहर दिवस का इतिहास

विश्व धरोहर दिवस को साल 1982 में 18 अप्रैल के दिन मनाने करने की घोषणा की गई थी और इसके 1 साल बाद ही यानी साल 1983 में यूनेस्को महासभा ने इसे पूरी तरह से मान्यता दे दी, जिससे लोगों में सांस्कृतिक विरासत के महत्व को लेकर जागरूकता बढ़े और वो इसे देखने के साथ ही इसके संरक्षण को लेकर भी अपनी जिम्मेदारी समझें। साल 1982 में 18 अप्रैल के दिन इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ मोनुमेंट्स एंड साइट के द्वारा पहला ‘विश्व विरासत दिवस’ ट्यूनीशिया में सेलिब्रेट किया गया था।

विश्व धरोहर दिवस का महत्व

पर्यटन बहुत ही बड़ा माध्यम बना है लोगों को इन धरोहरों को देखने और जानने का। देश के अलग-अलग देशों में स्थित ये धरोहरें प्रकृति के साथ मानव के रचनात्मकता और कलात्मकता को बयां करती हैं। तो इन्हें संरक्षित करना हर एक नागरिक की जिम्मेदारी होनी चाहिए।

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