हर साल 20 नवंबर को विश्व बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। विश्व बाल दिवस दुनिया भर में बच्चों के अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और दुनिया भर में बच्चों के कल्याण में सुधार के लिए मनाया जाता है। विश्व बाल दिवस ,यूनिसेफ का बच्चों द्वारा बच्चों के लिए कार्रवाई का वार्षिक दिवस है।

इस बात में कोई शक नहीं कि बच्चे ही किसी भी देश का भविष्य होते हैं. इनको नजरअंदाज करके किसी भी देश की प्रगति के बारे में नहीं सोचा जा सकता. इस बात को बहुत साल पहले पूरे विश्व ने माना और स्वीकार किया. तभी से हर साल 20 नवंबर के दिन विश्व बाल दिवस मनाया जाता है. ये दिन बच्चों को समर्पित किया जाता है जिसमें उनसे जुड़ी समस्याओं और विभिन्न मुद्दों पर गहराई से विचार-विमर्श किया जाता है. इस संबंध में यूनाइटेड नेशंस द्वारा जारी गाइडलाइंस को 191 के करीब देशों ने स्वीकार किया है. हालांकि विश्व बाल दिवस 20 नवंबर को मनाया जाता है जबकि हमारे देश में ये दिन 14 नवंबर को मनाया जाता है.

कब हुई थी वर्ल्ड चिल्ड्रंस डे की शुरुआत

वर्ल्ड चिल्ड्रंस डे को यूनिवर्सल चिल्ड्रंस डे भी कहा जाता है. इसकी शुरुआत साल 1954 में हुई थी. तब से हर साल 20 नवंबर के दिन इसे सेलिब्रेट किया जाता है. ये दिवस दुनियाभर के बच्चों के विकास और कल्याण के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है. विश्व बाल दिवस की नींव 1954 में अंतरराष्ट्रीय एकजुटता को बढ़ावा देने, दुनिया भर के बच्चों में जागरूकता और बच्चों के कल्याण में सुधार लाने के उद्देश्य से स्थापित की गई थी.

भारत और विश्व के चिल्ड्रंस डे में अंतर क्यों

पहले हमारे देश में भी चिल्ड्रंस डे 20 नवंबर को ही मनाया जाता था लेकिन साल 1964 में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद से उनकी बर्थ एनिवर्सिरी को इस दिन के लिए चुना गया और तब से भारत में 14 नवंबर को बाल दिवस सेलिब्रेट मनाया जाता है. ये देश के पहले पीएम को ट्रिब्यूट के रूप में 14 नवंबर को मनाया जाता है.

यूनाइटेड नेशंस ने बच्चों के अधिकार के लिए अपनाएं ये नियम

इस दिन को हर साल सेलिब्रेट करते हुए यूनाइटेड नेशंस ने बाद के सालों में बच्चों के लिए कई नये नियमों को अपनाया. जैसे इस दिन, 1959 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बाल अधिकारों की घोषणा की. इसी दिन, 1989 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बाल अधिकारों पर कन्वेंशन को अपनाया.

विश्व बाल दिवस 2023 की थीम

विश्व बाल दिवस 2023 की थीम: हर बच्चे के लिए, हर अधिकार

बच्चे की परिभाषा

बच्चों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन1989, जो 1990 में लागू हुआ, एक बच्चे को 18 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति के रूप में परिभाषित करता है।

भारत में, ‘किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2015‘ एक बच्चे को 18 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति के रूप में परिभाषित करता है।

भारतीय संविधान में बच्चों के संबंध में संवैधानिक प्रावधान

संविधान के 86वें संशोधन अधिनियम 2002 द्वारा अनुच्छेद 21(अ) जोड़ा गया था, जिसके अनुसार राज्य 6 से 14 वर्ष तक आयु के सभी बच्चों को नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान करेगा। हालांकि  86वें संशोधन अधिनियम 2002  में यह भी प्रावधान किया गया था की यह मौलिक अधिकार तभी लागू होगा जब संसद इसके लिए कानून बनाए गा।

इस मूल अधिकार के क्रियान्वयन हेतु वर्ष 2009 में नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (Right of Children to Free and Compulsory Education-RTE Act) बनाया गया। जो 1 अप्रैल 2010 से लागू हुआ था।

अनुच्छेद 21-अ और आरटीई अधिनियम 1 अप्रैल, 2010 को लागू किया गया था।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 45 में प्रावधान है की , “राज्य छह वर्ष की आयु पूरी करने तक सभी बच्चों को प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा प्रदान करने का प्रयास करेगा।”

बाल अधिकार सप्ताह

राष्ट्रीय बाल दिवस से विश्व बाल दिवस तक पूरे भारत में 14-20 नवंबर तक बाल अधिकार सप्ताह मनाया जाता है।

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