विकास शर्मा

विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस को इस साल लैंगिक समानता और विशेष तौर पर महिलांओं के भूमि अधिकारों से जोड़ा गया है. संयुक्त राष्ट्र और उसकी सहयोगी संस्थाएं इस साल इस दिवस पर महिलाओं को लेकर “उनकी जमीन, उनका हक” थीम पर जोर देते हुए लोगों में मरुस्थलीकरण और सूखे के खतरों और कारणों के प्रति जागरूकता फैलाने का फैसला किया है.

मानवीय गतिविधियां और जलवायु परिवर्तन दुनिया में सूखे और मरुस्थलीकरण की स्थिति तेजी से बढ़ रही है. दुनिया को संधारणीय विकास की ओर ले जाने के लिए सूखे खास तौर पर विकासशील देशों में सबसे बड़े खतरे के तौर पर सामने आए हैं.  पूर्वानुमानों से पता चलता है कि 2050 तक सूखे दुनिया की तीन चौथाई से भी ज्यादा आबादी को प्रभावित कर देंगे. इसीलिए दुनिया में सूखे के प्रभाव को रोकने के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र और सहयोगी संस्थाएं हर साल 17 जून को यानि विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस मनाती हैं.

एक विकराल समस्या
जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के व्यापक और गहराते असर दुनिया में चिताजनक हालात का निर्माण कर रहे हैं. विश्व मौसम विभाग के मुताबिक साल 2000 के बाद के दो दशकों में सूखों के दौर की समय 29 फीसद बढ़ गया है. ऐसे में जब दुनिया के 2.3 अरब से ज्यादा लोग पहले ही पानी के दबाव को झेल रहे हैं, यह एक विकराल समस्या बनती जा रही है.

महिलाएं और जमीन
एक पहलू जो बड़े समय से नजरअंदाज किया जा रहा है, वह यह है कि महिलाओं का जमीन की सेहत में बड़ी भूमिका होती है और फिर उनके पास इनका कोई नियंत्रण नहीं है. दुनिया के सभी हिस्सों में महिलाओं को अपने जमीनी अधिकारों को हासिल करने में काफी बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है जिससे उनके पनपने और समृद्ध होने की क्षमता सीमित हो रही है.

महिलाएं ही सबसे ज्यादा प्रभावित
बहुत सारे इलाकों में महिलाएं आज भी कानून और परंपराओं के कारण भेदभाव का विषय बनी हुई हैं. इससे उनके विरासत के अधिकार और सेवाएं एवं संसाधनों  तक पहुंच भी बाधित हो रही है. और जब जमीन का अपरदन हो जाता है और पानी की कमी होने लगती है, तो सबसे ज्यादा महिलाएं ही प्रभावित होती हैं.

इस साल की थीम
इस साल इंटरनेशनल डे अगेंस्ट डेजर्टिफिकेस एंड ड्रॉट यानि विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस की थीम महिलाओं के लिए है और उसे “उनकी जमीन उनके हक” नाम दिया गया है. इस थीम के तहत इस बात पर जोर दिया गया है कि महिलाओं की जमीन और उससे संबंधित संपत्ति तक समान पहुंच के लिए निवेश उनके और मानवता के भविष्य के लिए सीधा निवेश होता है.

वैश्विक आयाम के मुद्दे
अब समय आ गया है जब महिलाएं और लड़कियां वैश्विक भूमिका बहालीकरण और सूखे राहत प्रायसों में आगे रहें और उन्हें आगे रहने के लिए प्रोत्साहित किया जाए. वैसे तो मरुस्थलीकरण और सूखे वैश्विक आयाम के मुद्दे हो चुके हैं जो दुनिया के हर इलाके को प्रभावित कर रहे हैं., लेकिन इनमें अफ्रीका सबसे अधिक प्रभावित है.

कब से मनाया जा रहा है यह दिवस
संयुक्त राष्ट्र की आम सभा ने दिसंबर 1994  को अपने A/RES/49/115 संकल्प प्रस्ताव के जरिए 17 जून को मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस मनाने का ऐलान किया था. इस साल इस दिवस को महिलाओं के भूमि अधिकारों से जोड़ने का काम किया जा रहा है. साल 2030 तक संयुक्त राष्ट्र के संधारणीय विकास लक्ष्य (एसडीजी) और लिंग समानता एवं भूमि पतन तटस्थता हसिल करने के लिए यह कदम बहुत महत्वपूर्ण है.

सूखी भूमि के पारिस्थितिकी तंत्र दुनिया के एक तिहाई जमीनी क्षेत्र को घेरते हैं. और अतिशोषण और अनुचित भूमि उपयोग के लिहाज से सबसे कमजोर माने जाते हैं. मरुस्थलीकरण शुष्क, अर्ध शुष्क और शुष्क उप आर्द्र क्षेत्रों में भूमि के पतन का निम्नीकरण का नतीजा होता है  जिसका प्रमुख कारण या तो इंसान होते हैं या फिर जलवायु परिवर्तन. ऐसे में हमें अपने संसाधनों के समुचित उपयोग और उनके पतन को रोकने के उपायों पर ध्यान देने की जरूरत है.

   (‘न्यूज़ 18 हिंदी के साभार )

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