सुचिता निनावे
विशेषज्ञों से सलाह लेने के बाद हमने जीनोमइंडिया परियोजना में 99 जनसंख्या समूहों को शामिल किया है। स्वस्थ लोगों के 10,074 जीनोम की सफलतापूर्वक सीक्वेंसिंग की जा चुकी है। हमारे भविष्य के कामों के लिए यह जानकारी पर्याप्त होगी। हम आगे डेटासेट का विस्तार भी करेंगे।
अगले चरण में हम बीमारियों से ग्रस्त आबादी पर ध्यान केंद्रित करेंगे। स्वस्थ आबादी के डेटा का इस्तेमाल रेफरेंस या मानक के तौर पर किया जाएगा ताकि उससे तुलना कर कैंसर और डायबिटीज जैसी लाइफस्टाइल बीमारियों, तंत्रिका संबंधी विकारों के साथ ही गंभीर, दुर्लभ बीमारियों से जूझ रहे लोगों का विश्लेषण किया जा सके, उनकी जेनेटिक्स को समझा जा सके। वैज्ञानिकों को सिकल सेल एनीमिया के लिए जिम्मेदार जीन के साथ-साथ इसके निदान के बारे में भी पता है। लेकिन, अगर यह बीमारी किसी खास इलाके, जैसे कि ओडिशा की एक खास आबादी में तेजी से बढ़ रही है, तो जीनोमिक अध्ययन से हमें इसकी वजह समझने में मदद मिल सकती है।
वहीं दूसरी तरफ, जैव प्रौद्योगिकी विभाग भी “ह्यूमन माइक्रोबायोम इनिशिएटिव” चला रहा है। इससे आनुवंशिकी और माइक्रोबायोटा की परस्पर क्रिया का स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर को समझा जा सकेगा। विभिन्न समूहों से जुड़े लोगों की आंतों के माइक्रोबायोम का अध्ययन और डाइट, प्रदूषण, लाइफस्टाइल जैसे पर्यावरणीय कारकों के विश्लेषण के जरिए रिसर्चर उन जटिल कारकों को बेहतर ढंग से समझ सकेंगे, जिनकी वजह से कुछ लोगों को बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है और इलाज का उनके शरीर पर कैसा असर पड़ता है।
जीनोमइंडिया परियोजना का मुख्य उद्देश्य केवल अकादमिक या फिर वैज्ञानिकों या रिसर्चर्स के शोधपत्र प्रकाशित करने भर तक नहीं है। बल्कि, हमारे भविष्य के जीनोमिक्स अनुसंधान और विकास के लिए एक राष्ट्रीय संसाधन तैयार करना है। इस समय फरीदाबाद स्थित इंडियन बायोलॉजिकल डेटा सेंटर (आईबीडीसी) में डेटासेट अपलोड किया जा चुका है और प्रतिष्ठित संस्थानों के वैज्ञानिकों के साथ साझा करने के लिए भी प्रबंध किया गया है।
यह डेटा किसी भी कॉमर्शियल या फिर अंतरराष्ट्रीय संस्था के साथ साझा नहीं किया जाएगा। एक्सेस किए गए किसी भी डेटा में व्यक्तियों की पहचान नहीं की जा सकेगी। जो भारतीय शोधकर्ता एक्सेस हासिल करेंगे, वे अपने शोध परिणाम तो साझा कर सकते हैं, लेकिन आईबीडीसी से मिले सीक्वेंस डेटा को नहीं।
(सुचिता निनावे केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग की इंफॉर्मेशन सिस्टम बायोलॉजी, साइंटिफिक डिसीजन यूनिट में वैज्ञानिक ‘जी’ हैं)
(‘डाउन-टू-अर्थ’ से साभार )