डी एन एस आनंद
28 फरवरी 2021. जी हां, उसी दिन वैज्ञानिक चेतना साइंस वेब पोर्टल की, जमशेदपुर, झारखंड में शुरुआत हुई। उद्देश्य था- जन जन तक विज्ञान पहुंचाना एवं लोगों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास एवं विस्तार। दायरा बना प्रकृति एवं समाज तथा उससे जुड़े जन मुद्दे। आज 28 फरवरी 2022 है। यानी ठीक एक वर्ष बीत गया। यह आजादी का 75 वां वर्ष है। वैज्ञानिक चेतना न्यूज मीडिया इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण वर्ष के रूप में मना रहा है। 28 फरवरी, राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का अवसर भी खास है। भारतीय संविधान ने वैज्ञानिक मानसिकता के विकास को नागरिकों का मौलिक कर्तव्य निर्धारित किया है। वैज्ञानिक चेतना ग्रुप इस जिम्मेदारी का निर्वाह करते हुए, जन जन तक विज्ञान पहुंचाने एवं लोगों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास एवं विस्तार के लिए सतत प्रयासरत एवं प्रतिबद्ध है। ताकि एक अवैज्ञानिक सोच, जड़ मानसिकता, अंधविश्वास मुक्त समतामूलक, विविधतापूर्ण धर्मनिरपेक्ष, न्यायपूर्ण, तर्कशील, विज्ञान सम्मत, आधुनिक भारत का निर्माण संभव हो सके।
निश्चय ही यह कोई आसान काम नहीं है। खासकर जब सत्ता व्यवस्था पर काबिज ताकतें अपने निहित स्वार्थ एवं फायदे के लिए धर्मांधता , संकीर्णता, कट्टरता को संरक्षण एवं प्रतिगामी, पूर्वाग्रही, नफरती सोच को बढ़ावा दे रही हों। देश को आजाद हुए 75 वर्ष बीत गए। निश्चय ही इस बीच कुछ क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। इसमें ज्ञान- विज्ञान भी शामिल है। पर 21 सदी के सूचना विस्फोट तथा तकनीकी क्रांति के मौजूदा दौर में भी, रूढ़ परम्पराओं, मूढ़ मान्यताओं, कुरीति एवं पाखंड का बोलबाला कायम है तथा अंधविश्वास का चरम रूप विकास एवं प्रगति के दावे को मुंह चिढ़ाता है।
महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन, मंगल मिशन के दौर में भी देश की लगभग एक चौथाई आबादी निरक्षर हैं। देश की करीब एक तिहाई आबादी गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करती है तो करीब आधी आबादी न्यूनतम स्वास्थ्य सुविधाओं से भी वंचित हैं। झारखंड में डायन हत्या की लगातार मिलने वाली खबरें भी चिंतित एवं व्यथित करती हैं। संवैधानिक प्रावधानों के बावजूद समाज में आधी आबादी महिलाओं की स्थिति अब भी बहुत अच्छी नहीं है। समाज में आर्थिक, सामाजिक रूप से अपेक्षाकृत कमजोर वंचित समूहों, दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों आदि की स्थिति चिंता पैदा करने वाली है। अमीरी – गरीबी के बीच लगातार बढ़ती खाई के बीच मेहनतकशों, गरीबों, किसानों, मजदूरों छात्र- छात्राओं, युवाओं की स्थिति दिनों दिन बदहाल होती जा रही है। लगातार बढ़ रहे रोजगार के संकट ने इसे और गहरा दिया है। ऐसे में विज्ञान- तकनीक की दुनिया बदलने और बेहतर बनाने वाली भूमिका सचमुच बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है।
वैज्ञानिक चेतना की पहल
इसी परिदृश्य में वैज्ञानिक चेतना साइंस वेब पोर्टल की शुरुआत हुई। लोगों में वैज्ञानिक जागरूकता, वैज्ञानिक चेतना के विकास का लक्ष्य लेकर। वेबसाइट तैयार हुआ। सोशल मीडिया में फेसबुक से लेकर यूट्यूब तक का इस्तेमाल किया गया। इसने अपने वेबसाइट के जरिए जनमुद्दों से संबंधित जनपक्षीय आलेखों, पोस्टरों, ग्राउंड रिपोर्ट, रिव्यू आदि तथा साइंस फार सोसायटी, झारखंड के साथ मिलकर फेसबुक लाइव, परिचर्चा, व्याख्यान, जनसंवाद, जन विज्ञान अभियान के जरिए झारखंड एवं देश के अधिकाधिक लोगों तक पहुंचने एवं उनमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विकास का प्रयास सतत चलता रहा।
इसकी निगाहें देश के विभिन्न भागों में जारी रचनात्मक गतिविधियों, सृजन और संघर्ष पर टिकी रहीं। वैचारिक स्तर पर इसने संविधान, लोकतंत्र एवं मानवीय मूल्यों को आधार बनाया ताकि बेहतर समाज के निर्माण में लगे समूहों के बीच संवाद एवं बेहतर समझ विकसित करने की प्रक्रिया को बल मिल सके। इसने वैचारिक आग्रहों – पूर्वाग्रहों, संकीर्णता, कट्टरता, नफरत और हिंसा की जगह लोकतांत्रिक मूल्यों के विकास पर बल दिया ताकि असहमति, मतभिन्नता तथा लोकतांत्रिक विरोध को स्वीकार करने एवं मिलजुलकर मेहनत करने एवं मिल बांटकर खाने वाली समझ को आगे बढ़ाया, विकसित किया जा सके।
सभी प्रकार की गैरबराबरी, शोषण उत्पीड़न के विरुद्ध संविधान सम्मत, समतामूलक विविधतापूर्ण, तर्कशील समाज के निर्माण के लक्ष्य को आगे बढ़ाया जा सके। दरअसल पिछला एक साल, सीखने, समझने एवं इस पहल की ठीक एवं ठोस बुनियाद तैयार करने में लग गया। शिक्षा स्वास्थ्य, कुपोषण, प्रकृति – पर्यावरण संरक्षण, अंधविश्वास समेत झारखंड में विस्थापन पलायन, प्राकृतिक संसाधनों का अनुचित दोहन, डायन हत्या, अंधविश्वास जैसे मामले इसके दायरे में रहे। वैज्ञानिक चेतना न सिर्फ जनमुद्दों पर, जनहित में आवाज उठाता रहा है बल्कि इसको लेकर जारी जन संघर्षों के साथ खड़ा होने का हर संभव प्रयास करता रहा है तथा यह सिलसिला जारी रहेगा।
भविष्य की योजना
वैज्ञानिक चेतना न सिर्फ़ सभी प्रकार की गैरबराबरी, लूट, शोषण – उत्पीड़न के विरुद्ध सशक्त आवाज बनने, बल्कि शोषण उत्पीड़न मुक्त, समतामूलक, बेहतर समाज के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध एवं प्रयासरत है तथा यह भविष्य में भी लोकतांत्रिक, सृजनात्मक गतिविधियों के जरिए बेहतर, सकारात्मक, सामाजिक परिवर्तन एवं श्रेष्ठ मानवीय मूल्यों को स्थापित करने का हर संभव प्रयास करता रहेगा।
डी एन एस आनंद
महासचिव, साइंस फार सोसायटी, झारखंड
संपादक, वैज्ञानिक चेतना, साइंस वेब पोर्टल, जमशेदपुर, झारखंड