मौत के बाद भी अगर आप किसी के काम आ सकें तो इससे बढियां और क्या हो सकता है। मौत के बाद अगर आपका दिल किसी के  सीने में धड़के तो इससे बड़ी बात क्या हो सकती है। आपकी मौत के बाद आपकी आंखें फिर से इस हसीन दुनिया को निहारें इससे सुंदर क्या हो सकता है। ये सब संभव है, लेकिन तब जब आप ऐसा नेक और सराहनीय काम के लिए आगे आएंगे जिसके बाद दुनियां आपको याद करेगी। आपके इस बेहद ही महान कार्य को दुनिया सलाम करेगी, आप खुद अंगदान करें और दूसरों को भी अंगदान के लिए प्रेरित करें। अंगदान जैसा महादान हो ही नहीं सकता। अंगदान कर आप किसी को नया जीवन दे सकते हैं, आप किसी के चेहरे पर फिर से मुस्कान ला सकते हैं। आप किसी को फिर से ये दुनिया दिखा सकते हैं। अंगदान करके आप फिर किसी की जिंदगी को नई उम्मीद से भर सकते हैं। अंगदान करने से न केवल आपको बल्कि दूसरे को भी खुशी देती है।

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नोएडा निवासी राकेश के ब्रेन डेड घोषित होने के बाद परिजनों ने अंगदान का फैसला लिया। इसके बाद बुधवार को राजधानी के तीन अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती पांच लोगों को नया जीवन मिला। इसमें एक सेना का जवान भी शामिल है, जो लिवर खराब होने के चलते आरआर अस्पताल में उपचाराधीन था।

एम्स के ट्रामा सेंटर से मिली जानकारी के अनुसार,  सड़क हादसे में घायल नोएडा निवासी राकेश प्रसाद को गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया था। यहां ब्रेन डेड घोषित होने के बाद परिजनों से अंगदान की अपील की गई, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। इसके बाद बुधवार को एम्स की टीम ने यह प्रक्रिया शुरू की। इस दौरान एम्स में भर्ती तीन मरीजों को हार्ट, कॉर्निया और किडनी प्रत्यारोपित की। दूसरी किडनी सफदरजंग अस्पताल में भर्ती एक मरीज को प्रत्यारोपित की।

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इनके अलावा एम्स से आरआर अस्पताल तक एक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया, जिसके जरिये लिवर लेकर पहुंची टीम ने 38 वर्षीय सेना के जवान का प्रत्यारोपण पूरा किया। दिल्ली पुलिस ने बताया कि बुधवार सुबह आठ बजकर 15 मिनट पर उन्हें अंगदान को लेकर सूचना मिली थी, जिसके बाद तत्काल ग्रीन कॉरिडोर बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई।  एम्स से आरआर अस्पताल के बीच विशेष ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। करीब आठ किलोमीटर की इस दूरी को सात मिनट में पूरा किया गया। सुबह नौ बजकर 24 मिनट पर एम्स से रवाना हुई टीम नौ बजकर 31 मिनट पर आरआर अस्पताल पहुंच  गई थी।

5 लाख लोग ऑर्गन ट्रांसप्लांट के इंतज़ार में हैं
भारत में ही हर साल लगभग 5 लाख लोग ऑर्गन ट्रांसप्लांट के इंतज़ार में हैं। ऑर्गन ट्रांसप्लांट की संख्या और उसकी उपलब्धता होने की संख्या के बीच एक बड़ा फासला है। अंगदान एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें अंग दाता अंग ग्राही को अंगदान करता है। दाता जीवित या मृत हो सकता है। दान किए जा सकने वाले अंग किडनी, लंग्स, दिल, आंख, लीवर, पैनक्रिया, कॉर्निया, छोटी आंत, स्किन और हड्डी के टिशु, हृदय वाल्व और नस हैं। अंगदान जीवन के लिए अमूल्य उपहार है। अंगदान उन व्यक्तियों को किया जाता है, जिनकी बीमारियाँ अंतिम अवस्था में होती हैं और जिन्हें अंग प्रत्यारोपण (Organ Transplant) की आवश्यकता होती है।

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भारत में हर दस लाख में सिर्फ 0.08 डोनर ही अपना अंगदान करते हैं
एक रिसर्च के अनुसार, किसी भी समय किसी व्यक्ति के अंग के खराब हो जाने की वजह से हर साल कम से कम लगभग पांच लाख व्यक्तियों की मृत्यु अंगों की अनुपलब्धता के कारण हो जाती है, जिनमें से दो लाख व्यक्ति लीवर की बीमारी और 50 हजार व्यक्ति दिल की बीमारी के मौत हो जाती हैं। इसके अलावा, लगभग डेढ़ लाख व्यक्ति किडनी ट्रांसप्लांट के इंतज़ार में रहते हैं लेकिन सिर्फ पांच हजार व्यक्तियों को ही किडनी ट्रांसप्लांट हो पाता है। अंगदान की बड़ी संख्या में जरूरत होते हुए भी भारत में हर दस लाख में सिर्फ 0.08 डोनर ही अपना अंग दान करते हैं। यही कारण है कि बीमार व्यक्तियों को ऑर्गन ट्रांसप्लांट की जरुरत होते हुए भी उनकी मौत हो जाती है और ऑर्गन मिलता ही नहीं। लाखों व्यक्ति अपने शरीर के किसी अंग के खराब हो जाने पर उसकी जगह किसी के दान किये अंग की बाट जोहते रहते हैं। ऐसे व्यक्ति अभी भी जीना चाहते हैं, लेकिन उनके शरीर का कोई अंग अवरूद्ध हो जाने से उनकी जिन्दगी खतरे में आ जाती है। शरीर के किसी अंग के काम न करने की वजह से वे निराश हो जाते हैं, उनकी जीवन सांसें गिनती की रह जाती हैं, उसके संकट में पड़े जीवन में जीने की उम्मीद को बढ़ाने में अंग प्रतिरोपण एक बड़ी भूमिका अदा कर सकता है।

जागरूकता की कमी के कारण अंगदान से डरते हैं लोग
आज भी जागरूकता की कमी के कारण, लोगों के मन में अंगदान के बारे में डर और भ्रांतियां हैं।  अंगदान में अंगदाता के अंगों जैसे कि दिल, लीवर, किडनी, इंटेस्टाइन, फेफड़े अदि का दान उसकी मृत्यु के पश्चात जरूरतमंद व्यक्ति में प्रत्यारोपित करने के लिए किया जाता है। जिससे एक व्यक्ति को नई जिंदगी मिल सकती है। अंग दान-दाता कोई भी हो सकता है जिसका अंग किसी अत्यधिक जरुरतमंद मरीज को दिया जा सकता है। मरीज में प्रत्यारोपित करने के लिये आम इंसान द्वारा दिया गया अंग ठीक ढंग से सुरक्षित रखा जाता है जिससे समय पर उसका इस्तेमाल हो सके।

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क्‍या है अंगदान की प्रक्रिया
किसी व्‍यक्ति की ब्रेन डेथ की पुष्टि होने के बाद, डॉक्‍टर उसके घरवालों की इच्छा से शरीर से अंग निकाल लेता हैं। इससे पहले सभी कानूनी प्रकियाएं पूरी की जाती हैं। इस प्रक्रिया को एक निश्‍चित समय के भीतर पूरा करना होता है। ज्‍यादा समय होने पर अंग खराब होने शुरू हो जाते हैं। अंग निकालने की प्रक्रिया में अमूमन आधा दिन लग जाता है।

कितने समय में कर सकते हैं अंगदान
किसी भी अंग को डोनर के शरीर से निकालने के बाद 6 से 12 घंटे के अंदर को ट्रांसप्लांट कर देना चाहिए। कोई भी अंग जितना जल्दी प्रत्यारोपित होगा, उस अंग के काम करने की संभावना उतनी ही ज्यादा होती है। लीवर निकालने के 6 घंटे के अंदर और किडनी 12 घंटे के भीतर ट्रांसप्लांट हो जाना चाहिए। वहीं आंखें 3 दिन के अंदर प्रत्‍यारोपण हो जाना चाहिए।

अंगदाता 8 से ज्यादा जीवन को बचा सकता है।
अंग प्रतिरोपित व्यक्ति के जीवन में अंगदान करने वाला व्यक्ति एक ईश्वर की भूमिका निभाता है। अपने अंगों को दान करने के द्वारा कोई अंग दाता 8 से ज्यादा जीवन को बचा सकता है। इस तरह एक जीवन से अनेक जीवन बचाने की प्रेरणा देने का अंगदान दिवस एक बेहतरीन मौका देता है, हर एक के जीवन में कि वह आगे बढ़े और अपने बहुमूल्य अंगों को दान देने का संकल्प लें। अगर आप अंगदान के प्रति कोई भ्रम है तो यह लेख निश्चित रूप से आपके लिए है। हम आपको यह बता रहे हैं कि ऑर्गन डोनेशन क्या है और यह किस तरह इंसान को जीवन देता है। आप भी इससे जुड़ कर लोगों को जीवन दे सकते हैं।

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अंगदान को लेकर विदेशों में ज्यादा जागरूकता
वहीं भारत के मुकाबले अमेरिका, यूके, जर्मनी में 10 लाख में 30 डोनर और सिंगापुर, स्पेन में हर 10 लाख में 40 डोनर अंगदान करते हैं। इस मामले में दुनिया के कई मुल्कों के मुकाबले भारत काफी पीछे है। आकार और आबादी के हिसाब से स्पेन, क्रोएशिया, इटली और ऑस्ट्रिया जैसे छोटे देश भारत से काफी आगे हैं। जानकारों का कहना है कि भारत में सरकारी स्तर पर उपेक्षा इसकी बड़ी वजह है। जागरूकता भी काफी कम है। यही वजह है कि भारत में बड़ी संख्या में मरीज अंग प्रतिरोपण के लिए इंतजार करते-करते दम तोड़ देते हैं। भारत में उत्तरी और पूर्वोत्तर राज्यों में स्थिति बहुत खराब है जबकि दक्षिण भारत अंगदान के मामले में जागरूक प्रतीत होता है। खासतौर पर तमिलनाडु जहां प्रति दस लाख लोगों पर अंगदान करने वालों की संख्या 136 है।

अंगदान पर भारत की कानूनी स्थिति
भारतीय कानून द्वारा अंगदान कानूनी हैं। भारत सरकार ने मानव अंग अधिनियम (THOA), 1994 के प्रत्यारोपण को अधिनियमित किया, जो अंग दान की अनुमति देता है, और ‘मस्तिष्क की मृत्यु’ की अवधारणा को वैध बनाता है। किसी के द्वारा दिये गये अंग से किसी को नया जीवन मिल सकता है। संसार में मनुष्य जन्म से श्रेष्ठ और कुछ भी नहीं है, मनुष्य को ही संसार में ईश्वर का प्रतिनिधि माना गया है, वही दया, संवेदना एवं धर्म का मूर्तिमान रूप है और इस धरती का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है, क्योंकि वही एक जीवन एवं मृत्यु के संघर्ष में जूझ रहे व्यक्ति को अपने अंगदान से नया जीवन देने का सामर्थ्य रखता है। मौत के बाद अवशेषों को जलाने या दफनाने से बेहतर होता है कि वो किसी को जिंदगी दे सके। इसलिये अंगदान की दयालुता ऐसी भाषा है जिसे बहरे सुन सकते हैं और अंधे देख सकते हैं। आप जो अंगदान करते हैं वह किसी और को जिन्दगी में एक और जीने का मौका देता है। वह कोई आपका करीबी रिश्तेदार हो सकता है, एक दोस्त हो सकता है, कोई आपका प्यारा हो सकता है, या आप खुद हो सकते हैं। इसलिये हर व्यक्ति को अंगदान का संकल्प लेना चाहिए, तभी विश्व अंगदान दिवस मनाने की सार्थकता और उपयोगिता है।

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