अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने खाद्यान्न और ईंधन निर्यात पर प्रतिबंध को लेकर चिंता जताई है, लेकिन साथ में गेहूं निर्यात प्रतिबंध में ढील देने को लेकर भारत सरकार का आभार भी जताया है। साथ ही कहा कि भारत के फैसले से गेहूं की वैश्विक कीमतें घट जाएगी। आईएमएफ के मुताबिक यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से लगभग 30 देशों ने खाद्यान्न और ईंधन सहित अन्य जरूरी वस्तुओं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए हैं। इससे वैश्विक स्तर पर महंगाई बढ़ने और बाजारों के अस्थिर होने का जोखिम है। आईएमएफ ने गेहूं निर्यात पर घोषित प्रतिबंध में ढील और कुछ माल को भेजने की अनुमति देने पर भारत सरकार के फैसले का स्वागत किया।
गेहूं की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमतें 2008 के बाद अब इतनी बढ़ी हैं। इसकी वजह कुछ प्रमुख निर्यातक देशों में उपज की कमी से वैश्विक स्तर पर उपलब्धता कम होना, यूक्रेन और भारत समेत गेहूं निर्यात नहीं होना। इसके अलावा 2022-23 में आपूर्ति संबंधी चिंताओं के कारण भी दबाव बढ़ रहा है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में आईएमएफ प्रवक्ता गेरी राइस ने कहा, “हम खाद्य वस्तुओं, ईंधन और उर्वरक निर्यात पर प्रतिबंध लगाने जैसे फैसलों से बहुत चिंतित हैं। ये वैश्विक स्तर पर मूल्य वृद्धि व बाजार में अस्थिरता का कारण बन सकते हैं। इसलिए यह मुद्दा भारत से कहीं आगे है। एक सवाल पर गेरी राइस ने कहा, “हमारी निगरानी से संकेत मिलता है कि यूक्रेन युद्ध के बाद से 30 देशों ने खाद्यान्न और ईंधन सहित अन्य जरूरी सामान के निर्यात में कटौती की है। यह काफी चिंतित करने वाला है। अगर भारत की बात करें तो हर हाल में गेहूं निर्यात पर घोषित मूल प्रतिबंध में ढील और कुछ माल को भेजने की इजाजत देने के फैसले का स्वागत करते हैं।
हम न केवल भारत, बल्कि उन सभी देशों से प्रतिबंधों में और ढील देने की उम्मीद करते हैं, जिन्होंने इन्हें लागू किया है।” दरअसल बीते माह भीषण गर्मी की वजह से उत्पादन घटने की आशंका के चलते बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए सरकार ने गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। संयुक्त राष्ट्र की खाद्य एजेंसी का कहना है कि भारत द्वारा गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाने और यूक्रेन में रूसी आक्रमण के बाद उत्पादन कम होने की आशंकाओं के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमतों में उछाल आया है।
पाबंदी के बाद भी भारत से 70 लाख टन गेहूं निर्यात की उम्मीद
वाशिंगटन। भारत ने कीमतों को काबू में रखने के लिए भले ही गेहूं निर्यात पर पाबंदी लगा दी है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र की खाद्य एजेंसी फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन ने पाबंदियों के बावजूद भारत से 70 लाख टन गेहूं के निर्यात की उम्मीद जताई है। यह पिछले पांच वर्षों के औसत निर्यात से ज्यादा होगा।
एजेंसी ने बृहस्पतिवार को एक रिपोर्ट में कहा कि वैश्विक गेहूं बाजार 2022-23 का सत्र बहुत अधिक अनिश्चितता के बीच शुरू हो रहा है। यूक्रेन में जारी लड़ाई, कई देशों में कारोबार नीतियों में बदलाव और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊंची कीमतों से गेहूं बाजार के नजरिये का पता चलेगा। अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर गेहूं का उत्पादन 2021 की तुलना में 2022 में घट सकता है। यह 0.8% घटकर 77.1 करोड़ टन रह सकता है। एजेंसी
यूएन की खाद्य एजेंसी ने रिपोर्ट में किया दावा
गेहूं की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमतें 2008 के बाद अब इतनी बढ़ी हैं। इसकी वजह कुछ प्रमुख निर्यातक देशों में उपज की कमी से वैश्विक स्तर पर उपलब्धता कम होना, यूक्रेन और भारत समेत गेहूं निर्यात नहीं होना। इसके अलावा 2022-23 में आपूर्ति संबंधी चिंताओं के कारण भी दबाव बढ़ रहा है।