14 जून का दिन विश्व रक्तदान दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन को विश्व रक्तदाता दिवस के नाम से भी जाना जाता है.भारत में औसतन हर साल 1.4 करोड़ यूनिट्स ब्लड लगता है, लेकिन इसके मुकाबले मिलता है सिर्फ 1.1 करोड़ यूनिट्स। हाल ही में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की रिपोर्ट आई, जिसमें कहा गया कि देश में 15-49 साल की 57% महिलाएं एनीमिया की शिकार हैं। इसके बावजूद देश में ब्लड डोनर करने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने इस दिन को रक्तदान दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी. साल 2004 में इस दिन की स्थापना इसलिए की गई थी, जिससे लोगों को रक्तदान के लिए प्रोत्साहित करना और रक्त उत्पादों की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाना था. ऐसे में लोगों को रक्तदान से संबंधित कुछ रोचक तथ्यों के बारे में पता होना जरूरी है.
क्यों मनाया जाता है रक्तदान दिवस?
14 जून को नोबल प्राइस विजेता कार्ल लैंडस्टेनर (Karl Landsteiner) का जन्मदिवस है. ये एक साइंटिस्ट थे, जिन्होंने ABO ब्लड ग्रुप सिस्टम को खोजा था. ऐसे में इनके जन्म दिवस पर विश्व रक्तदान दिवस मनाया जाता है. इनकी खोज से पहले यह ब्लड ट्रांसफ्यूजन बिना ग्रुप की जानकारी के किया जाता था. जब कार्ल लैंडस्टेनर नेइसकी खोज की तो उन्हें सन 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
इस साल की थीम क्या है?
वर्ल्ड ब्लड डोनर डे की इस साल की थीम Donating blood is an act of solidarity. Join the effort and save lives” यानी रक्तदान करना एकजुटता का कार्य है ऐसे में प्रयास का हिस्सा बनें और जीवन बचाएं, हैं.
कौन कर सकता है ब्लड डोनेट?
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, कोई भी स्वस्थ पुरुष या महिला रक्तदान कर सकती है। पुरुष तीन महीने और महिलाएं चार महीने के अंतराल में नियमित रक्तदान कर सकती हैं।
- उम्र 18 साल से 65 साल के बीच होनी चाहिए।
- वजन 45 किलोग्राम से कम नहीं होना चाहिए।
- डोनर का टेम्प्रेचर और पल्स नॉर्मल होनी चाहिए।
- ब्लड प्रेशर सामान्य होना चाहिए।
- हीमोग्लोबिन 12.5 ग्राम से कम नहीं होना चाहिए।
- हैजा, टाइफाइड, टिटनेस, प्लेट, डिप्थीरिया का टीका लगवाने के 15 दिन बाद।
- रैबीज की वैक्सीन लगवाने के एक साल बाद।
किन लोगों को नहीं करना चाहिए ब्लड डोनेट?
- जिसका किसी भी कैंसर का इलाज हुआ हो।
- किसी गंभीर बीमारी या एलर्जी से पीड़ित हों।
- डायबिटीज है और इंसुलिन ले रहे हैं।
- महिलाएं पीरियड और प्रेग्नेंसी के दौरान।
- दूध पिलाने वाली मांएं।
खून चढ़ाते वक्त तेज सर्दी और बुखार आना ठीक नहीं
खून चढ़ने के बाद ईचिंग, फीवर, बॉडी पर रेशे नजर आ सकते हैं। कई बोतल ब्लड चढ़ने के चलते फेफड़ों को दिक्कत हो सकती है। फिर भी अगर किसी को खून चढ़ाने के दौरान तेजी ठंड लगकर बुखार आ जाए तो खून चढ़ाना तुरंत रोक दें और डॉक्टर से जांच कराएं।
खून देने के हैं कई फायदे, दूर रहेंगी बीमारियां
- ब्लड डोनेट करने से हार्ट अटैक का खतरा कम होगा।
- कैंसर होने का जोखिम कम हो सकता है।
- लिवर से जुड़ी समस्याओं से राहत मिलती है।
- वजन कम करने में मदद मिलती है।