लक्ष्मी नारायण

कुछ लोगों के चेहरे पर बुढ़ापे में भी जवानी का नूर टपकता रहता है जबकि अधिकांश लोगों के साथ ऐसा नहीं होता. क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे क्या कारण है. एक रिसर्च के मुताबिक इसके पीछे एक विटामिन की कमी है.

उम्र का बढ़ना नेचुरल प्रोसेस है. राजा से रंक तक हर इंसान की उम्र बढ़ती है और इसका असर उनके चेहरे पर दिखता है. लेकिन कुछ लोगों को आपने जरूर देखा होगा जिनकी उम्र का अंदाजा आप नहीं लगा सके होंगे. अक्सर ऐसे लोग अपनी वास्तविक उम्र से कम के दिखते है. ऐसा लगता है कि 50 साल की उम्र में भी उनके चेहरे से जवानी का नूर टपक रहा है. कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों होता है. वैज्ञानिकों ने इसका पता लगा लिया है. वैज्ञानिकों के अनुसार इसके लिए एक विटामिन जिम्मेदार हो सकता है.

विटामिन डी सबसे ज्यादा जिम्मेदार
न्यूट्रिएंट्स जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक एजिंग की प्रक्रिया को धीमी करने में विटामिन डी का महत्वपूर्ण रोल है. रिसर्च के मुताबिक विटामिन डी एजिंग और एज रिलेटेड डिजीज से संबंधित कई महत्वपूर्ण कारकों पर असर डालता है. रिसर्च के मुताबिक उम्र के साथ-साथ पूरी शारीरिक प्रक्रिया धीरे-धीरे स्लो होने लगती है. इसके कई हॉलमार्क है जैसे कि क्रोनिक इंफ्लामेशन यानी कोशिकाओं में इंफ्लामेशन, इंटरसेलुलर कम्युनिकेशन, स्टेम सेल की थकान, कोशिकाओं की संवेदनशीलता, माइटोकोंड्रिया का कमजोर होना, पोषक तत्वों का सही से एब्जोर्ब्सन नहीं हो पाना, प्रोटियोस्टेसिस लॉस, जीन के टेलोमीयर का छोटा होना और कई तरह के जेनेटिक बदलाव इनमें प्रमुख है. इसकी प्रक्रिया को समझना बहुत जटिल है लेकिन इन सारी प्रक्रियाओं में विटामिन डी की महत्वपूर्ण भूमिका है.

डीएनए को डैमेज होने से रोकता है
विटामिन डी वसा में घुलनशील विटामिन है जो मुख्य रूप से हमें सूर्य की किरणों से प्राप्त होता है. शरीर के अंदर प्रक्रिया के दौरान यह कैल्सिट्रायोल में बदल जाता है उसके बाद यह एक्टिव हो जाता है. कैल्सिटोल ही कैल्शियम और फॉस्फोरस का अवशोषण शरीर में होने देता है. अगर शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाए तो शरीर को कैल्शियम और फॉस्फोरस भी नहीं मिलेगा चाहे आप इसके कितना भी कुछ क्यों न खा लें.

रिसर्च के मुताबिक कैल्सिट्रायोल शरीर की कई फिजियोलॉजिकल प्रक्रिया में भाग लेता है. विटामिन जी जीन में डीएनए का उपस्थिति, स्थायित्व और उसके अस्तित्व को बनाए रखता है. पहले की रिसर्च में भी पाया गया है कि जब डीएनए में टेलोमीयर छोटा होने लगता है तब एजिंग की प्रक्रिया बढ़ने लगती है. अध्ययन के मुताबिक विटामिन डी सप्लीमेंट डीएनए को डैमेज होने से रोकता है और उसमें ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस नहीं होने नहीं देता.

विटामिन डी के लिए क्या खाएं
हालांकि विटामिन डी मुख्य रूप से सूर्य की किरणों से मिलता है, इसके बावजूद हमें विटामिन डी युक्त फूड का सेवन करना जरूरी है. विटामिन डी के लिए ऑयली फिश जैसे कि सेलमन, सर्डिन, हिरिंग, मर्केल आदि, मटन, अंडे का पीला भाग, फोर्टिफाइड अनाज, गाय का दूध, मशरूम आदि का सेवन करना चाहिए.

       (‘न्यूज़ 18 हिंदी’ से साभार )

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