भारत के बाद नाइजीरिया में हर साल 67,869,  पाकिस्तान में 56,519, इथियोपिया में 22,857, कांगों में 11,100, तंजानिया में 12,662 और बांग्लादेश में 10,496 नवजातों की मौत की वजह वायु प्रदूषण था भारत में हर साल वायु प्रदूषण की स्थिति कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2019 में इसकी वजह से 116,168 से भी नवजातों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। यह नवजात शिशु इतने छोटे थे कि उन्होंने अपने जीवन के सात दिन भी इस दुनिया में नहीं बिताए थे और वो वायु प्रदूषण का मतलब भी नहीं जानते थे।

यह जानकारी अमेरिका स्थित शोध संस्थान हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट (एचईआई) द्वारा प्रकाशित आंकड़ों में सामने आई है। आंकड़ों से यह भी पता चला है कि वैश्विक स्तर पर 2019 में वायु प्रदूषण के चलते 4.76 लाख से ज्यादा नवजातों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। भारत के बाद नाइजीरिया में हर साल 67,869,  पाकिस्तान में 56,519, इथियोपिया में 22,857, कांगों में 11,100, तंजानिया में 12,662 और बांग्लादेश में 10,496 नवजातों की मौत की वजह वायु प्रदूषण था।

इतना ही नहीं संस्थान द्वारा जारी रिपोर्ट एयर क्वालिटी एंड हेल्थ इन सिटीज: स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर रिपोर्ट 2022” के हवाले से पता चला है कि 2010 से 2019 के बीच जिन 20 शहरों में पीएम2.5 में सबसे ज्यादा वृद्धि दर्ज की गई थी उनमें से 18 शहर भारत में थे। वहीं अन्य दो शहर इंडोनेशिया के थे।

रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि नाइजीरिया, पेरू और बांग्लादेश में पीएम2.5 का स्तर वैश्विक औसत से भी कई गुना ज्यादा है। गौरतलब है कि इस रिपोर्ट में दुनिया के 7,239 शहरों में पीएम2.5 और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ2) के आंकड़ों का व्यापक विश्लेषण किया गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान जिन 50 शहरों में पीएम2.5 में सबसे ज्यादा वृद्धि दर्ज की गई थी उनमें से 41 भारत में और 9 शहर इंडोनेशिया में हैं। दूसरी और 2010 से 2019 के बीच जिन 20 शहरों में पीएम2.5 के स्तर में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई थी वो सभी शहर चीन में स्थित हैं।

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