दयानिधि

104 देशों में किए गए अध्ययन में मूल्यांकन किए गए 1,052 जगहों में से लगभग 43.5 फीसदी में दवा सामग्री पाई गई। दुनिया भर में लोगों की बीमारी के इलाज और रोकथाम के लिए 1900 से अधिक सक्रिय दवा सामग्री (एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट्स, एपीआई) का उपयोग किया जाता है। दवाओं के उत्पादन, उपयोग और निपटान के दौरान दवाएं तथा उनको बनाने की सामग्री को वातावरण में फेंका जा रहा है। यहां तक मरीजों के उपचार के लिए सुझाई गई दवाओं को भी फेंक दिया जाता है, यह आखिरकार सतह के पानी में मिल जाती हैं। दुनिया के कई क्षेत्रों में सतह के पानी में दवाओं तथा इनको बनाने की सामग्री का पता चला है।

एक हालिया अध्ययन के परिणाम बताते हैं कि दवा प्रदूषण एक वैश्विक समस्या है जो दुनिया की नदियों के स्वास्थ्य को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है। प्रदूषण को लेकर 104 देशों में 258 नदियों पर अध्ययन किया गया, इसमें मूल्यांकन किए गए 1,052 जगहों में से लगभग 43.5 फीसदी में दवा सामग्री की मात्रा पाई गई। 23 जगहों में दवा सामग्री ‘सुरक्षित’ मात्रा से अधिक पाई गई, जिसमें एंटीडिप्रेसेंट, एंटीमाइक्रोबियल, एंटीहिस्टामाइन, बेंजोडायजेपाइन, दर्द निवारक और अन्य दवाओं के पदार्थ शामिल हैं।

अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि दुनिया भर में लगभग 43.5 फीसदी नदियों में दवा तथा दवा सामग्री की मात्रा पाई गई। कम से कम एक नमूने में 53 दवा सामग्री का पता चला, जिसमें सबसे अधिक दवा कार्बामाजेपिन, मेटफॉर्मिन जिसका उपयोग टाइप 2 मधुमेह के उपचार के लिए किया जाता है।

 

इनमें कैफीन, जो कि एक उत्तेजक केमिकल भी पाया गया। आधे से अधिक जगहों के सतही जल में अधिकतम दवा सामग्री की मात्रा पाई गई, जिनमें उप-सहारा अफ्रीका, दक्षिण एशिया और दक्षिण अमेरिका शामिल हैं, पाकिस्तान में लाहौर सबसे प्रदूषित पाया गया।

अध्ययनकर्ताओं ने कहा 137 जगहों में से जहां कई नमूने लिए गए थे, उनमें से 34.1 फीसदी में दवा या दवा सामग्री पाई गई जो की पारिस्थितिकी के लिए चिंता का विषय है।

यदि हमें संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों, विशेष रूप से लक्ष्य 6, “स्वच्छ जल और स्वच्छता” को पूरा करना है, तो हमें दवा प्रदूषण की वैश्विक समस्या से निपटने की तत्काल आवश्यकता है।

अध्ययनकर्ता एलेजांद्रा बौजास-मोनरॉय ने कहा यह नदी प्रणालियों में इकलौता दवा और इसके मिश्रण के प्रभावों का सही मायने में वैश्विक मूल्यांकन है। मोनरॉय यॉर्क विश्वविद्यालय के शोधकर्ता हैं।

उन्होंने कहा कि निष्कर्ष बताते हैं कि दुनिया भर में नदियों का एक बहुत बड़ा हिस्सा दवा प्रदूषण से खतरे में है। इसलिए हमें पर्यावरण में इन पदार्थों के उत्सर्जन को कम करने के लिए बहुत कुछ करना चाहिए। यह अध्ययन एनवायर्नमेंटल टॉक्सिकोलॉजी एंड केमिस्ट्री नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

दुनिया की लगभग आधी से ज्यादा नदियां दवाओं के कारण दूषित हो रही हैं। नदियों में दवाइयों के कारण बढ़ रहा प्रदूषण भी डराने लगा है, क्योंकि यह प्रदूषण अप्रत्यक्ष तौर पर करोड़ों लोगों के जीवन को प्रभावित कर सकता है।

‘जर्नल एनवायरमेंटल टॉक्सीकोलॉजी एंड केमिकल’ में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, इन नदियों के जल का 43.5 प्रतिशत भाग दवाओं के कारण दूषित हो चुका है। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ योर्क के शीर्ष अलेजांद्रा बुजस-मोनरॉय के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 104 देशों में 1,052 नमूनों का विश्लेषण किया। इनमें सुरक्षित माने जाने वाले स्तरों से अधिक स्तरों पर 23 अलग-अलग दवाओं के मिश्रण मिले।
भारत की स्थिति 

इसी वर्ष फरवरी में आई रिपोर्ट के मुताबिक, भारत जैसे निम्न मध्यम आय वाले देशों की नदियों में सबसे अधिक फार्मास्युटिकल प्रदूषण की मात्रा पाई गई है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली और हैदराबाद के वैज्ञानिकों सहित विल्किंसन और उनके सहयोगियों ने दिल्ली में यमुना नदी और हैदराबाद में कृष्णा और मुसी नदियों सहित 104 देशों में 258 नदियों के 1,052 नमूना स्थलों से नमूनों में दवाओं के अंश का विश्लेषण किया। इस अध्ययन में चार दवाओं कैफीन, निकोटीन, पैरासिटामोल और निकोटिन का पता चला था।

घातक सुपरबग के पनपने का खतरा

झील के अध्ययनों से पता चला है कि गर्भ निरोधक गोलियां व अन्य सिंथेटिक एस्ट्रोजेन हार्मोन जैसी दवाएं इसमें मौजूद पानी को उच्च स्तर तक दूषित करती हैं। वैज्ञानिकों को डर है कि पर्यावरण में रोगाणुरोधी यौगिकों की उपस्थिति दवा-प्रतिरोधी बैक्टीरिया के निर्माण में योगदान दे रही है, जिससे घातक सुपरबग के पनपने का भी खतरा है।

 

तनाव, एलर्जी, दर्द निवारण और ताकत बढ़ाने वाली दवाइयों के मिले अंश

अध्ययन के दौरान नदी के पानी में तनाव, एलर्जी, मांसपेशियों में अकड़न, दर्द निवारक और ताकत बढ़ाने जैसी दवाइयों के अंश मिले हैं। ब्रिटिश नदियों के पानी में लगभग 70 प्रतिशत भाग में मिर्गी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा कार्बामाजेपिन, अकेले ब्रिटेन में 54 नमूनों की जांच में इस तरह की 50 दवाओं के अंश मिले। अध्ययन के अनुसार 43 प्रतिशत नदियों के नमूनों में केवल 23 प्रतिशत भाग ही सुरक्षित सैंपल का था।
(‘डाउन टू अर्थ ‘ पत्रिका से साभार )
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