दयानिधि

विश्व बैंक ने ‘क्लाइमेट इन्वेस्टमेंट अपॉर्चुनिटीज इन इंडियाज कूलिंग सेक्टर’ नामक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थायी तरीके से ठंडा करने की रणनीति से न केवल भारत को उत्सर्जन कम करने में मदद मिलेगी बल्कि 2040 तक 1.6 ट्रिलियन डॉलर के निवेश का अवसर भी खुलेगा।

भारत जलवायु में हो रहे बदलाव के कारण खतरनाक गर्मी ओर लू से जूझ रहा है, जल्द ही देश इस तरह की घटनाओं के लिए दुनिया भर में शीर्ष पर होगा। 2030 तक देश भर में 16-20 करोड़ से अधिक लोग सालाना घातक गर्मी और लू का सामना कर सकते हैं।

इस झुलसाती गर्मी से निपटने के लिए एक स्थायी ठंडा करने की रणनीति की जरूरत है। विश्व बैंक की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे न केवल देश को रोजगार सृजित करने और उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी बल्कि 2040 तक 1.6 ट्रिलियन डॉलर का निवेश के अवसर भी खोल सकती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2037 तक भारत में ठंडा करने के उपकरणों की मांग मौजूदा स्तर से आठ गुना अधिक होने का अनुमान है। यानी हर 15 सेकंड में एक नए एयर कंडीशनर की मांग होगी, जिससे अगले दो दशकों में साल भर के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 435 प्रतिशत की वृद्धि होगी।

बढ़ती गर्मी आर्थिक उत्पादकता को खतरे में डाल सकती है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत की अधिकांश आबादी अभी भी ठंडा करने के उपकरणों का खर्च उठाने में सक्षम नहीं है। भारत में 75 प्रतिशत कर्मी या 38 करोड़ लोग स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाली गर्मी में काम करते हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि गर्मी के तनाव के कारण उत्पादकता में गिरावट के कारण 2030 तक लगभग 3.5 करोड़ लोगों की नौकरी में कटौती का सामना करना पड़ सकता है।

भारत में विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर अगस्टे तानो कौमे ने कहा भारत की ठंडा करने की रणनीति जीवन और आजीविका को बचाने में मदद कर सकती है, कार्बन उत्सर्जन को कम कर सकती है और साथ ही भारत को पर्यावरण के अनुकूल (ग्रीन कूलिंग) करने के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित कर सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक 2040 तक हर साल 30 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड को कम किया जा सकता है।

2019 में, केंद्र ने इमारतों के अंदर ठंडा करने (इनडोर कूलिंग) और कोल्ड चेन, कृषि और फार्मास्यूटिकल्स सहित विभिन्न क्षेत्रों में स्थायी तरीके से ठंडा करने के उपायों के लिए इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान (आईसीएपी) लॉन्च किया था। विश्व बैंक की रिपोर्ट आईसीएपी के साथ मिलकर काम करती है, भारत के ठंडा करने के क्षेत्र को आगे बढ़ाने वाले अवसरों की तलाश करती है।

बिजली की मांग में होगी बढ़ोतरी 

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2050 तक, भारत की 45 प्रतिशत बिजली की मांग केवल भवनों के अंदर ठंडा करने से होगी। रिपोर्ट में इस बात पर गौर किया गया  है कि सभी के लिए गर्मी से बचने के लिए बड़े पैमाने पर सरकारी प्रयासों की आवश्यकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक 2040 तक, स्थायी तरीके से ठंडा करने के तरीकों से सालाना 20 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम किया जा सकता है।

रिपोर्ट में गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी में डिस्ट्रिक्ट कूलिंग टेक्नोलॉजी के उपयोग को उजागर किया गया है, जिसे आमतौर पर गिफ्ट सिटी के रूप में जाना जाता है। यह तंत्र एक केंद्रीय संयंत्र भूमिगत पाइपों के माध्यम से कई इमारतों को ठंडा करता है। यह अलग-अलग इमारतों को ठंडा करने की लागत कम करने का एक प्रभावी तरीका है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह ऊर्जा के बिल को कम से कम 20 से 30 प्रतिशत तक कम कर सकता है।

रिपोर्ट में यात्री परिवहन एयर कंडीशनिंग क्षेत्र में ऊर्जा की खपत अगले दशक में दोगुनी और 2038 तक चौगुनी होने का अनुमान लगाया है। भारत में यात्री कार एयर कंडीशनिंग बाजार के अगले साल तक एक अरब डॉलर को पार करने की उम्मीद है।

अध्ययन में दावा किया गया है कि देश का ऑटोमोटिव हीटिंग, वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग बाजार 2026 तक 2 अरब डॉलर से अधिक तक पहुंचने का अनुमान है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यात्री परिवहन एयर कंडीशनिंग की दक्षता में सुधार से 20 प्रतिशत ऊर्जा की बचत हो सकती है। नए वाहन डिजाइन और सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों का उपयोग कूलिंग लोड को और कम कर सकता है और उत्सर्जन को कम कर सकता है।

रिपोर्ट में पाया गया है कि वर्ष 2038 तक भारत में ठंडा करने के लिए वार्षिक रेफ्रिजरेंट की मांग छह गुना से अधिक बढ़ सकती है। ओजोन के कमजोर पड़ने के लिए जिम्मेवार हाइड्रोफ्लोरोकार्बन के प्रभावी चरण के लिए उपकरणों की मरम्मत करने, रखरखाव और निपटान में सुधार की आवश्यकता है। रिपोर्ट के मुताबिक अगले 20 वर्षों में तकनीशियनों के लिए 20 लाख नौकरियों का सृजन भी कर सकता है।

(डाउन-टू-अर्थ पत्रिका से साभार)

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