समय को मापने (Time Measurement) की तकनीक में वैज्ञानिकों ने ऐसा तरीका खोजा है जिसमें शुरुआती बिंदु को निर्धारित करने की जरूरत नहीं होगी. रिडबर्ग परमाणु अवस्था (Rydburg State) के व्यातिकरण (Interference) जरिए वैज्ञानिकों ने एक महीन अंतराल निर्धारित करने की प्रक्रिया बनाई है जिससे 4 नैनोसेकेंड का अंतराल तय किया जा सकता है.

समय (Time) को नापना कोई बहुत बड़ी चुनौती नहीं रही, लेकिन जैसे जैसे लोगों और वैज्ञानिकों को ज्यादा सटीकता की जरूरत पड़ी, समय की और ज्यादा बेहतर और सटीक रूप से मापने की जरूरत पड़ी. पहले पेंडुलम वाली घड़ियों (Clocks) का बोलबाला था फिर बैटरी वाली घड़ियों के बाद अब इलोक्ट्रॉनिक घड़ियों का जमाना आया लेकिन दूसरी तरफ वैज्ञानिक और भी कम से कम समय के मापन के प्रयास करते रहे हैं. समय मापन के लिए शुरूआत और अंत के बीच का अंतराल निश्चित करना तब चुनौती होती है जब यह अंतराल कम होता जाता है. नए अध्ययन में सुझाया गया है कि क्वांटम फॉग (Quantum Fog) का आकार इसका समाधान हो सकता है.

रिडबर्ग अवस्था का महत्व

स्वीडन की उपसाला यूनिवर्सिटी के सोधकर्ताओं ने रिडबर्ग अवस्था (Rydberg Position) पर प्रयोग ने समय के मापन का नया तरीका खोजने में मदद की है. यह अवस्था किसी भी वस्तु की तरंग वाली प्रकृति को कही जाता है. इस नए तरीके खास बात यह है कि अंतराल मापन के लिए सटीक शुरुआत बिंदु को निर्धारित करने की जरूरत नहीं होती है.

कितने खास होते हैं रिडबर्ग परमाणु

रिडबर्ग परमाणुओं को कणों की दुनिया में एक ज्यादा ही फूले हुए गुब्बारे की तरह समझा जा सकता है. इनमें फर्क इतना होता है कि ये हवा की जगह लेजर से फूले हुए होते हैं.  इन परमाणुओं में इलेक्ट्रॉन बहुत ही उच्च अवस्था में होते हैं और केंद्रक से बहुत दूर स्थित होते हैं. इसके लिए लेजर का उपयोग इलेक्ट्रॉन को उच्च ऊर्जा में लाने के लिए कई तरह से उपयोग में लाने के लिए किया जाता है.

रिडबर्ग अवस्था की उपयोगिता

कुछ अनुप्रयोगों में एक दूसरी लेजर का उपयोग इलेक्ट्रॉन की स्थितियों और समय में बदलाव पर नजर रखने के लिए किया जाता है. इस तकनीक का उपयोक कुछ बहुत ही ज्यादा तेजी इलेक्ट्रॉनिक्स की गति मापने के लिए भी किया जा सकता है. इंजीनियरों के लिए परमाणुओं को रिडबर्ग अवस्था में लाना कोई बहुत कठिन नहीं है, खास तौर से तब जब क्वांटम कम्प्यूटर के नए हिस्सों को डिजाइन करना होता है.

समय का अंतराल का निर्धारण

रिजबर्ग इलेक्ट्रॉन की गतिविधियों के गणित को रिजबर्ग वेव पैकेट कहा जाता है. शोधकर्ताओं ने अपने नए प्रयोगों में क्वांटम स्तर के टाइमस्टैम्पिंग को निर्धारित करने में सफल रहे. उनके शोध में उन्होंने हीलियम के परमाणुओं को लेजर से उत्तेजित किया और अपने नतीजों को सैद्धांतिक अनुमानों से तुलना कर दर्शाया कि कैसे समय के अंतराल के नतीजों में सुनिश्चित किया जा सकता है.

शुरुआती बिंदु की जरूरत नहीं

इस अध्ययन की अगुआई करने वाले उपसाला यूनिवर्सिटी की भौतिकविद मार्था बेरहोल्ट्स ने न्यू साइंटिस्ट को बताया कि अगर हम किसी काउंटर का उपयोग शून्य को परिभाषित करते हैं तो हमे उसी बिंदु से गिनना शुरू करते हैं. इसका फायदा यह होता है कि हमें फिर घड़ी को शुरू करने की जरूरत नहीं होती है. ऐसे में क्वल इंटरफरेंस संरचना को देखने की जरूरत होती है जो कि केवल 4 नैनो सेकेंड था.

 

महीन पैमाने पर रिडबर्ग वेव पैकेट तकनीक में कई तरह के स्पैक्ट्रोस्कोपी का उपयोग बहुत छोटे अंतराल की घटनाओं का किया जा सकता है.खास तौर पर ऐसे मामलों में जहां अभी और तब यानि शुरुआती और अंतिम बिंदु तय करना स्पष्ट नहीं होता है या असुविधाजनक होता है.  इन संकेतको के जरिए एक सेकेंड के 1.7 ट्रिलियन के हिस्से तक की घटना का मापन किया जा सकता है. भविष्य की क्वांटम वाच प्रयोग हीलियम की जगह दूसरे परमाणु और अलग-अलग ऊर्जा वाले लेजर का भी उपयोग किया जा सकता है.

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