मकाक्स (Macaques) पर हुए अध्ययन में पाया गया है कि बच्चे पैदा करने के बाद (Post Pregnancy) मादाओं की हड्डियों में कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं जिनमें से कुछ तो स्थायी भी होते हैं. इस अध्ययन का वैसे तो मानवों (Humans) से कोई सीधा संबंध नहीं हैं. लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके नतीजे इंसानों के मामले में मददगार हो सकते हैं.

बच्चे पैदा होने के बाद मां में बहुत सारे शारिरिक बदलाव आते हैं. प्राइमेंट माताओं (Primate Mothers) में तो यह बदलाव उनकी हड्डियों (Bones ) में सबसे ज्यादा होता है. मकाक्स (Macaques) पर हुए नए अध्ययन में पाया गया है कि गर्भावस्था के कारण उनके हड्डियों के ढांचे में स्थायी निशान बन जाता है. और इसके अलावा भी बहुत से प्रमुख बदलाव होते हैं. यह शोध बच्चे पैदा होने के बाद हड्डियों में किस तरह के बदलाव आते हैं, इसी के महत्व को समझने की जरूरत को रेखांकित करता है. यह अध्ययन वैसे तो इंसानों पर नहीं हुआ था और ना ही इसके नतीजे सीधी तरह से इंसानों पर लागू होते हैं. लेकिन इसके नतीजे इंसानों के लिए कई लिहाज से उपयोगी हो सकते हैं.

 

मकाक्स और इंसान- प्राइमेंट समूह का हिस्सा

मकाक्स और इंसान दोनों ही प्राइमेट की समूह में आते  हैं जिनके 60 करोड़ साल पहले एक ही पूर्वज हुआ करते थे.  ऐसे में यह अध्ययन कुछ मायनों में इंसानों के साथ जोड़कर देखा जा सकता है. वैसे बी मकाक्स की कई तरह की गर्भ के बाद की समस्याओं इंसानों के जैसी ही पाई गई हैं.  लेकिन फिर भी मकाक्स और इंसानों में अंतर भी कम नहीं है जिसे बिलकुल भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.

 

बड़ी घटनाओं का हड्डियों पर असर

बच्चा पैदा होने के बाद मादा मकाक्स में कैल्शियम, फॉस्फोरस, और मैग्नीशियम की काफी मात्रा में कमी पाई गई थी जब उनकी तुलना उन मादाओं से की गई जिन्हें गर्भ धारण करने का अनुभव नहीं था. इस अध्ययन से यह पता चला है कि कैसे जीवन में बड़ी घटनाओं का प्राइमेट्स के हड्डी के ढांचे के ऊतकों पर समान्य रूप से प्रभाव पड़ता है.


हड्डियों में बदलाव

प्राइमेट में एक मजबूत आधार पर मांस का शरीर विकसित होता लगता है. लेकिन उनकी हड्डियां वास्तव में गतिमान होती हैं. वे पूरे जीवन भर चौड़ी होती रहती हैं और उनकी वृद्धि में सालाना उतार चढ़ाव भी देखने को मिलते हैं जो प्रायः लाइफस्टाइल के कारकों से प्रभावित होते हैं. जहां हड्डियों का घनत्व उम्र के साथ कम हो सकता है खास तौर पर मासिक धर्म के बाद, लवेकिन जीवन भर, कमजोरी, खुराक जलवायु, और गर्भावस्था कैल्शियम वाले ऊतकों में स्थायी निशान छोड़ सकते हैं जिन्हें बाद में भी जाना जा सकता है.

हड्डियों में कैल्शियम का कम होना

इंसानों में महिलाओं की गर्भावस्था के दौरान, प्रमाण सुझाते हैं कि मां का शरीर अपने हड्डियों से बहुत सारा कैल्शियम खींचता है. ऐसा तब ज्यादा होता है जहां महिला ने पर्याप्त मात्रा में पोषण भरा आहार नहीं लिया हो, वजन कम हो या फिर हड्डियों का घनत्व कम हो.  जब मां बच्चे को दूध पिलाती है तो उसके खून में फिर से कैल्शियम आ जाता है जिससे कैल्शियम समृद्ध दूध बन सके.

 

 

गहन अध्ययन की जरूरत

वैज्ञानिकों ने इसके बाद की स्थिति का पता लगाने का तरीका निकाला है और पाया है कि दूध पिलाना बंद करने के बाद कुछ समय के लिए समस्या आती है. फोरेंसिक और पुरातत्व विज्ञान में हड्डियों की जांच के जरिए ही यह जानना का कोई गर्भवती रह चुकी है या नहीं एक विवादास्पद मुद्दा है. आज यह जानने के लिए भले ही कई तरीके विकसित हो गए हों. लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि अब हड्डियों के बारे में ज्यादा गहराई से जानने का समय आ गया है.

 

हड्डियों में संकेत

शोधकर्ताओं का कहना है कि उनका अध्ययन दर्शाता है कि प्रजनन क्षमता खत्म होने क बाद भी हड्डी का ढांचा प्रजनन संबंधी स्तर में बदलावों पर प्रतिक्रिया देता है. इसके अलावा ये नतीजे इस बात की फिर से पुष्टि करते हैं कि मादाओं के अंगों पर बच्चे पैदा करने का खासा असर होता है. साथ ही यह भी कहा जा सकता है कि प्रजनन के प्रमाण जिंदगी भर के लिए हड्डियों में लिख दिए जाते हैं.

इस अध्ययन में सात मृथ रेसस मकाक्स पर शोध किया गया था जिसमें से चार मादा थीं और दे नर थे.  उनकी जांघ की हड्डी में प्रमुख तौर से अंतर देखने को मिले जिससे गर्भावस्था और दूध पिलाने की समय के बाद होने वाले तुलनात्मक बदलाव का शोधकर्ताओं को पता चला.  इसके अलावा कैल्शियम और फॉस्फेट के घनत्व का भी जन्म से संबंध पाया गया PLOS ONE  में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने इस पर और शोध की जरूरत है, लेकिन इसके साथ इसका मानवीय संबंध और कोण पर अध्ययन किया जाना चाहिए.

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