लक्ष्मी नारायण

हम सब जानते हैं कि सर्द मौसम शरीर में आमूल-चूल परिवर्तन कर देता है. इससे हार्ट पर भी खतरा बढ़ जाता है. पिछले कुछ दिनों से कोल्ड वेव चरम पर है. इनमें कई अस्पतालों में हार्ट अटैक के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी है.

भीषण सर्दियां अपने साथ कई दुश्वारियां लाती हैं. अचानक तापमान गिरने से बॉडी के अंदरुनी अंगों पर जबर्दस्त प्रेशर पड़ता है. इसमें कई अन्य परेशानियों के साथ ब्लड प्रेशर भी बढ़ जाता है. यह उन लोगों के लिए जानलेवा साबित हो जाता है जिन्हें पहले से हार्ट संबंधी जटिलताएं हैं. मुश्किल यह है कि जब किसी को हार्ट संबंधी परेशानियां होती है तो इसका पता न के बराबर चलता है. ऐसे में व्यक्ति अंजान रहता है लेकिन इस चक्कर में मौसम का बेरहम हमला हार्ट के लिए दुश्मन बनने लगता है. नतीजा हार्ट अटैक, स्ट्रोक या कार्डिएक अरेस्ट के रूप में सामने आने लगता है. पिछले साल इसी सर्द महीने में सिर्फ कानपुर के अस्पतालों में कुछ ही दिनों के अंदर 98 लोगों की मौत हार्ट अटैक से हो गई. एक्सपर्ट के मुताबिक इस साल भी कोल्ड वेव बढ़ने के बाद हार्ट अटैक के मरीजों की संख्या में 20 से 25 फीसदी का इजाफा हुआ है. ऐसे में युवाओं को भी सर्तक रहने की जरूरत है.

सर्दियों में क्यों बढ़ जाता है हार्ट की परेशानी

फोर्टिस एस्कॉर्ट हार्ट इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली में इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के एग्जक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. अतुल माथुर ने बताया कि सर्दियों में आमतौर पर हार्ट से संबंधित दिक्कतें बढ़ती ही है. इसके कई कारण होते हैं. दरअसल, सर्दियों में तापमान में गिरावट के साथ ब्लड वैसल्स यानी खून की वाहिकाएं संकुचित होने लगती है. इसे vasoconstriction कहते हैं. एक तरह से शरीर में जो खून के रास्ते हैं उसकी दीवार सिकुड़ने लगती है. इससे हाई ब्लड प्रेशर होने लगता है. हाई ब्लड प्रेशर हार्ट की दीवार को भी प्रभावित करता है. ठंड में हार्ट में स्पाज्म हो सकता है. इसके साथ यदि व्यक्ति को पहले से ही हार्ट संबंधी जटिलताएं हो तो परेशानी और बढ़ जाती है.

युवाओं में क्यों बढ़ रहा हार्ट अटैक

डॉ. अतुल माथुर ने बताया कि युवाओं में हार्ट अटैक बढ़ने के भी कई कारण हैं. दरअसल, आज तेजी से लोगों का लाइफस्टाइल बदल रहा है. दफ्तरों में एक-दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ लगी रहती है, नाइट शिफ्ट भी लोगों को करना पड़ता है. इन सबसे मेंटल स्ट्रेस काफी बढ़ रहा है. मेंटल स्ट्रेस के कारण कॉर्टिसोल हार्मोन निकलता है जो अप्रत्यक्ष तौर पर हार्ट को प्रभावित करता है. इन सबके अलावा जंक फूड, फास्ट फूड, प्रोसेस्ड फूड, शराब, सिगरेट हार्ट पर और ज्यादा परेशानी बढ़ाते हैं. यही कारण है कि यंग एज में लोगों में हार्ट अटैक होने लगा है. हालांकि हार्ट अटैक किस वजह से हुई है यह किसी मरीज का परीक्षण करने के बाद ही पता चल सकता है. चूंकि हार्ट अटैक का पहले से कोई लक्षण नहीं है, इसलिए जब कोई युवा कठिन मेहनत वाला कोई काम करता है या जिम में रहता है तब अचानक उसके हार्ट में ब्लॉकेज या क्लॉट हो सकता है. या किसी को पहले से हार्ट संबंधी कोई परेशानी है और उसे पता नहीं है तो इस स्थिति में हार्ट के मसल्स में स्पार्किंग का खतरा रहता है. किसी को जन्म से कार्डियोमायोपैथी भी हो सकती है. इन सबके कारण हार्ट अटैक का खतरा रहता है. वहीं कोविड के बाद इस बात का भी अंदेशा है कि लोगों के हार्ट में वायरल इंफेक्शन हो गया है. इससे मायोकाइटिस कहते हैं.

कोल्ड वेव में खुद को हार्ट अटैक से कैसे बचाएं

डॉ. अतुल माथुर कहते हैं कि कोल्ड वेव में ऐसे भी हार्ट अटैक के खतरे से बचने का तरीका एकदम आसान है. बस इसे डेडिकेशन के साथ करने की जरूरत है. सबसे पहले तो अगर परिवार में हार्ट अटैक का संबंध है तो नियमित रूप से इससे संबंधित जांच कराएं. कम से कम हर सप्ताह बीपी चेक करें. नियमित रूप से एक्सरसाइज करें. हेल्दी फूड जिसमें कुदरती चीजें हों, जैसे कि साबुत अनाज, हरी पत्तीदार सब्जियां, ताजे फल हो, को शामिल करें. पिज्जा, बर्गर, पैकेटबंद चीजों का सेवन न के बराबर करें. प्रोसेस्ड फूड न खाएं. मीठी चीजें भी कम से कम खाएं. कोल्ड वेव में मॉर्निंग वॉक न करें. इसके बजाय लंच करने से पहले एक घंटा वॉक कर लें. अगर बाहर बहुत अधिक सर्दी है तो घर के अंदर ही फिजिकल एक्टिविटी बढ़ाएं. सिगरेट-शराब से दूर रहें और तनाव न लें. तनाव है तो इस दूर करने के लिए मेडिटेशन या एक्सपर्ट से सलाह लें.

       (‘न्यूज़ 18 हिंदी’ से साभार )

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