साइंस हमें तर्क और वास्तविक आधार पर नए प्रयोगों की समझ देती है. विज्ञान ने गूढ़ रहस्यों को खोलते हुए हमारे जीवन को आसान बनाया. हम अपने रोजाना जीवन में जिन चीजों का इस्तेमाल करते हैं, उसमें विज्ञान और आविष्कारों की भूमिका 99 फीसदी होती है. जानते हैं कि सैकड़ों सालों से दुनिया को बदलने वाले वैज्ञानिक भगवान या ईश्वर को लेकर क्या सोचते रहे हैं.

1. गैलीलियो गैलीली (1564 – 1642) – खगोलशास्त्री और वैज्ञानिक गैलीलियो गैलीली के इस सिद्धांत को रोमन कैथोलिक चर्च ने गलत बताया था कि पृथ्वी और दूसरे ग्रह सूर्य के चारों ओर घूमते हैं. बल्कि उन्हें इस खोज के लिए विधर्मी ठहराया गया. गैलीलियो अपनी बात पर अड़े रहे कि उन्होंने जो खोज की, वो एकदम सही है.  गैलीलियो ने ईश्वर के बारे में लिखा, “मैं यह विश्वास करने के लिए बाध्य नहीं हूं कि वही ईश्वर जिसने हमें इंद्रियां, तर्क और बुद्धि प्रदान की है, वो हमसे ये उम्मीद करता है कि हम उस बुद्धि का इस्तेमाल नहीं करें.

2. अल्बर्ट आइंस्टीन (1879 – 1955) – 20वीं सदी के सबसे प्रसिद्ध भौतिकविदों में एक अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म एक धर्मनिरपेक्ष यहूदी परिवार में हुआ. एक वयस्क के रूप में, उन्होंने “व्यक्तिगत भगवान” के विचार को खारिज करते हुए धार्मिक लेबल से बचने की कोशिश की, हालांकि वह खुद को नास्तिक भी नहीं कहते थे. आइंस्टीन ने एक लेख में ईश्वर के बारे में इस तरह लिखा, “सबसे खूबसूरत चीज जिसे हम अनुभव कर सकते हैं वह रहस्यमय है – हमारे लिए किसी अथाह चीज़ के अस्तित्व का ज्ञान, सबसे शानदार सुंदरता के साथ सबसे गहरे कारण की अभिव्यक्ति. मैं कल्पना नहीं कर सकता एक ईश्वर जो अपनी रचना की वस्तुओं को पुरस्कृत और दंडित करता है या जिसके पास उस तरह की इच्छा है जैसा हम स्वयं में अनुभव करते हैं.”

3. रोज़लिंड फ्रैंकलिन (1920 – 1958) – रोजालिंड फ्रैंकलिन ने एक्स-रे विवर्तन के उपयोग को आगे बढ़ाने में मदद की. उनका जन्म लंदन में एक यहूदी परिवार में हुआ. अपने पिता को लिखे पत्रों में उन्होंने जाहिर किया उन्हें ईश्वर की सत्ता और मृत्यु के बाद के जीवन के अस्तित्व पर गंभीरता से संदेह है. वह ईश्वर को नहीं मानती थीं.

4. स्टीफन हॉकिंग (जन्म 1942) -भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग तो साफतौर पर ईश्वर और धर्म को नकार देते थे. वह नास्तिक थे. हॉकिन्स स्वर्ग या पुनर्जन्म में विश्वास नहीं करते थे. उनका कहना था कि धर्म के चमत्कार विज्ञान के साथ “संगत नहीं हैं”. वह कहते थे भगवान ने ब्रह्मांड को नहीं बनाया.

5. वेंकटरमन रामकृष्णन (जन्म 1952) – नोबल पुरस्कार प्राप्त साइंटिस्ट वेंकटरमन रामकृष्णन का जन्म भारत के तमिलनाडु के ऐसे शहर में हुआ, जो शिव के प्रसिद्ध मंदिर के लिए जाना जाता है. वह भी धर्म, ज्योतिष जैसी बातों पर सवाल उठाते हैं. उनका मानना ​​है कि ज्योतिषशास्त्र मनुष्यों की “पैटर्न खोजने, सामान्यीकरण करने और विश्वास करने की इच्छा से विकसित हुआ. उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि अंधविश्वास पर आधारित संस्कृति वैज्ञानिक ज्ञान और तर्कसंगत विचारों पर आधारित संस्कृति से बदतर प्रदर्शन करेगी.”

6. सर फ़्रांसिस बेकन (1561 – 1626) – 16वीं सदी सर फ्रांसिस बेकन वैज्ञानिक पद्धति के संस्थापकों के रूप में जाने जाते हैं. बेकन मानते थे कि व्यवस्थित तरीके से डेटा इकट्ठा करना और उसका विश्लेषण करना वैज्ञानिक प्रगति के लिए जरूरी है. वह ईश्वर को मानते थे. बेकन ने लिखा: “भगवान ने नास्तिकता को समझाने के लिए कभी चमत्कार नहीं किया, क्योंकि उनके सामान्य काम ही इसे समझाते हैं. यह सच है, कि थोड़ा सा दर्शन मनुष्य के मन को नास्तिकता की ओर झुकाता है; लेकिन दर्शन की गहराई मनुष्य के मन को धर्म की ओर ले आती है.

7. चार्ल्स डार्विन (1809 – 1882) – चार्ल्स डार्विन को उनके विकासवाद के सिद्धांत के लिए जाना जाता है. ईश्वर के प्रश्न पर डार्विन ने मित्रों को लिखे पत्रों में स्वीकार किया कि उनकी भावनाओं में अक्सर उतार-चढ़ाव होता रहता है. उन्हें यह विश्वास करने में कठिनाई होती है कि एक सर्वशक्तिमान ईश्वर ने इतनी पीड़ा से भरी दुनिया बनाई होगी.

8. मारिया मिशेल (1818 – 1889) -मारिया मिशेल अमेरिका की पहली महिला खगोलशास्त्री थीं. 20 की उम्र में उन्होंने अपने संप्रदाय की शिक्षाओं पर सवाल उठाना शुरू कर दिया. उन्होंने जीवनभर चर्च के सिद्धांतों को अधिक महत्व नहीं दिया. यद्यपि वह भगवान की सत्ता पर विश्वास करती थीं लेकिन उनका कहना था धर्म भगवान को जिस तरह से जाहिर करता है, वह सवाल खड़े करता है. उनका कहना था, “वैज्ञानिक जांच, लगातार आगे बढ़ने से, भगवान के काम करने के नए तरीकों का पता चलेगा, और हमें पूरी तरह से अज्ञात के गहरे रहस्योद्घाटन मिलेंगे.”

9. मैरी क्यूरी (1867 – 1934) – मैरी क्यूरी नोबल पुरस्कार पाने वाली वैज्ञानिक थीं. वह कैथोलिक धर्म में पली- बढ़ीं. लेकिन किशोरावस्था में वह अज्ञेयवादी बन गईं. मैरी और उनके पति पियरे क्यूरी दोनों ही किसी विशिष्ट धर्म का पालन नहीं करते थे. उन्हें यह कहते हुए उद्धृत किया गया, “जीवन में किसी भी चीज़ से डरना नहीं है, इसे केवल समझना है. अब और अधिक समझने का समय है, ताकि हम कम डर सकें.”

      (‘न्यूज़ 18 हिंदी’ से साभार )

 

 

 

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