विकास शर्मा

हाल ही में अमेरिकी कंपनी के एक यान ने चंद्रमा पर लैंडिंग कर इतिहास रच दिया है. लेकिन इस पर अभी तक संशय यही है कि क्या ये लैंडिंग सफल कही जा सकती है या नहीं है. लैंडिंग के बाद यान सही तरह से काम कर सकेगा या नहीं सब कुछ इस पर निर्भर करेगा. लेकिन यह पहली बार नहीं है कि लैंडिंग में ऐसी परेशानी देखी गई हो.

हाल ही में एक अमेरिकी लैंडर ओडिसेयस की चंद्रमा पर सफल लैंडिंग की. अमेरिका के टेक्सास की इंट्यूटिव मशीन का लूनार लैंडर ओडिसेयस चंद्रमा पर लैंडिंग करने में तो सफल रहा, लेकिन यह लैंडिंग पूरी तरह  से सटीक नहीं थी और लैंडिंग के बाद यान थोड़ा सा टेढ़ा भी हो गया. इस घटना  से यह कई मायनों में एक अनोखी लैडिंग बन गई है.

वैसे तो यह एक प्राइवेट कंपनी का लैंडर था पर इसमें नासा का भरपूर सहयोग था. चंद्रमा के मामले में नासा निजी कंपनियों की कमर्शियल लूनार पेलोड सर्विस कार्यक्रम के तहत वित्तीय सहायता करता रहा है. नासा कई प्रयोगों के  लिए भी कंपनियों को प्रायोजित कर रहा है.  इस साल के शुरू में एक और अमेरिकी कंपनी फर्म एस्ट्रोबायोटिक का अभियन पेरेग्राइन वन चंद्रमा पर लैंडिंग करने  में नाकाम रहा था. लेकिन इंट्यूटिव मशीन सफल रही.

ओडिसेयस ने सफल लैंडिंग कर एक इतिहास रचा. किसी निजी कंपनी की चंद्रमा पर यह पहली लैंडिंग है. पर यह लैंडिंग सटीक लैंडिंग नहीं थी. यान उतरने के बाद टेढ़ा हो गया. दरअसल लैंडिंग के समय इस यान का एक पैर टूल  गया था. सॉफ्ट लैंडिंग तो सफल हो गई और यान के काम करने की क्षमताओं पर असर हो सकता है.

इससे पहले जापानी स्पेस एजेंसी जाक्सा ने हाल ही में स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून (स्लिम) यान की सफलता पूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग की थी. ऐसा करने के बाद जापान ऐसे देशों की सूची में पांचवा देश हो गया. स्लिम की भी टेढ़ी लैंडिंग थी. और इससे उसक कार्यों में भी बाधा आई थी.  पर जापान ने किसी तरह से रोबोटिक रोवर की मदद से यान की तस्वीरें हासिल कर लीं पर अमेरिकी कंपनी ने अभी तक ओडिसेयस की तस्वीरें साझा नहीं की हैं.

चंद्रमा पर लैंडिंग हमेशा से ही एक बहुत ही कठिन काम माना जाता है क्योंकि यहां पर एक समतल लैंडिंग साइट मिलना बहुत मुश्किल है. इसके अलावा नियत साइट पर सटीक लैंडिंग करना बहुत ही मुश्किल है. यही कारण है कि कई अभियान असफल हो जाते हैं. इस घटना ने एक बार फिर यही रेखांकित किया है कि चंद्रमा पर लैंडिंग कितनी कठिन है.

       (‘न्यूज़ 18 हिंदी’ से साभार )

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