विकास शर्मा

कल्पना चावला अमेरिका और भारत की ही नहीं दुनिया भर की लड़कियों के लिए प्रेरणा हैं. वे भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री थीं साथ भारत से अमेरिका में जाकर पढ़ाई कर देश का नाम रोशन करने वालों की सूची में प्रमुख स्थान रखती हैं.

कल्पना चावला भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री के तौर पर पहचानी जाती है लेकिन उनका जीवन दुनिया की महिलाओं और लड़कियों के लिए एक प्रेरणा है. कल्पना चावला ने बचपन से ही उड़ान के सपने देखे और उन्हें अपनी मेहनत और प्रतिभा से ऐसे पर लगाए जिससे उन्हें ऐसा मुकाम हासिल किया  जो आम लोगों के लिए असंभव ही लगता है. भारत में करनाल से लेकर अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा तक का सफर उनके सपनों की सफलता की बानगी है और केवल 41 साल  की उम्र में ही वे दूसरी बार अंतरिक्ष जाने में सफल रहीं. उनका कहना था कि वे अंतरिक्ष के लिए ही बनी हैं और उन्होंने हर पल अंतरिक्ष के लिए ही बिताया है.

कल्पना चावला की डेट ऑफ बर्थ
कल्पना चावला (Kalpana Chawla) का जन्म 17 मार्च 1962 को भारत (India) के हरियाणा (Haryana) के करनाल जिले में हुआ था. वे अपने पिता बंसारी लाल और मां संयोगिता की चौथी संतान थीं वैसे मैट्रिक की परीक्षा के लिए उनकी पात्रता के लिए पिता ने उनकी आधिकारिक जन्मतिथि को बदलकर 01 जुलाई 1961 कर दी थी. इसके बाद ही वो मैट्रिक के परीक्षा में शामिल हो सकीं. तब से नासा तक में आधिकारिक तौर पर उनकी जन्मतिथि 1 जुलाई ही दिखती है, लेकिन भारत में उनकी जयंती 17 मार्च को ही मनाई जाती है.

हरफन मौला कल्पना
कल्पना बचपन से ही बहुत होशियार और सक्रिय लड़की थीं. उन्हें डांसिंग साइकलिंग और रनिंग के अलावा कविता लिखने का भी बहुत शौक था. स्कूल के समय से ही वे डांसिंग की हर प्रतियोगिता में प्रतिभागी रहा करती थीं. इसके अलावा उन्होंने वॉलीबॉल और रेस में भी भाग लिया और वे लड़कों के साथ बैडमिंटन और डॉजबॉल भी खेला करती थीं. उन्हें चांदनी रात में बाइक चलना भी खूब अच्छा लगता था.

पढ़ाई में भी अव्वल रहती थीं कल्पना
खेलकूद के अलावा कल्पना की पढ़ाई में भी बहुत गहरी रुचि थी और वे हमेशा टॉप छात्रों की सूची में बनी रहा करती थीं. उन्होने चंडीगढ़ के पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग स्नातक की डिग्री ली और 1982 में अमेरिका के टेक्सास यूनिवर्सिटी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर्स की डिग्री ली 1986 में उन्होंने मास्टर्स की दूसरी डिग्री भी ली और 1988 में  बोल्डर में यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो से पीएचडी पूरी की.

उड़ान के लिए लगाव
कल्पना की उड़ने के लिए बचपन से ही बहुत लगाव था. उन्होंने खुद ही जिद करके पंजाब यूनिवर्सिटी में एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग विषय का चयन किया जिसे सामान्यतः लड़के चुना करते थे. वे इस विषय का चयन करने वाली कॉलेज की पहली लड़की थीं. इसी सपने को हासिल करते हुए वे सी प्लेन, मल्टी इंजिन एयरक्राफ्ट और ग्लाइडर तक की सर्टिफाइड कमर्शियल पायलट और ग्लाइडर और एयरोप्लेन के लिए सर्टिफाइड फ्लाइट इंस्ट्रक्टर भी बन गईं.

बड़े सपनों की प्रेरणा
कल्पना को उड़ने का सपना छोटा नहीं था कि एक हवाई जहाज की यात्रा से पूरा हो सके. इसके लिए उन्होंने अमेरिका जा कर नासा में दाखिला पाने का प्रयास किया और उसमें  सफलता हासिल करते हुए अंतरिक्ष यात्री भी बनीं. उनका कहना था, “सपनों से सफलता तक का रास्‍ता तो तय होता है मगर क्‍या आपमें इसे ढूंढने की इच्‍छा है? उसे पाने के लिए उस मार्ग पर चलने का साहस है? क्‍या आप अपने सपनों को हासिल करने के लिए पूर्ण रूप से दृढ़ हैं?”

35 की उम्र में पहली अंतरिक्ष यात्रा
जब कल्पना चावला ने पहली बार नासा के लिए आवेदन दिया तब वे सफल नहीं हो सकीं. उनके दूसरे प्रयास में वे 23 चयनित उम्मीदवारों में शामिल थीं.  मार्च 1995 में नासा ने उन्हें अपनी अंतरिक्ष यात्री कोर टीम में शामिल किया गया और उन्हें 1997 में अपनी पहली अंतरिक्ष उड़ान के लिए चुना गया और 19 नवंबर से 5 दिसंबर 1997 तक उनकी पहली अंतरिक्ष यात्रा रही उस समय उनकी उम्र केवल 35 साल ही थी.

2003 में उन्होंने कोलंबिया शटल से अंतरिक्ष के लिए दूसरी उड़ान भरी. 16 जनवरी को शुरू हुआ ये 16 दिन का अभियान 1 फरवरी को खत्म होना था. यह वही दिन था जब धरती पर लौटने के दौरान शटल पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करे के बाद अचानक दुर्घटनाग्रस्त हो गया और यान में विस्फोट होने से कल्पना समेत 6 अन्य अंतरिक्ष यात्रियों की भी मौत हो गई.

   (‘न्यूज 18 हिन्दी’ से साभार )
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