विकास शर्मा

मानव अंतरिक्ष उड़ान का अंतरराष्ट्रीय दिवस हर साल 12 अप्रैल को मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन साल 1961 को सोवियत संघ के यूरी गागरिन अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाले पहले व्यक्ति बने थे और पृथ्वी का चक्कर लगाकर वापस लौटे थे. इन घटना ने अंतरिक्ष के क्षेत्र की अपार संभावनाओं को खोल दिया था.

अप्रैल का महीना अंतरिक्ष के इतिहास में खास महत्व रखता है. इसी महीने पहला इंसान अंतरिक्ष में गया था और पहला भारतीय भी, इनमें से पहली घटना 12 अप्रैल को हुई थी. 12 अप्रैल 1961 को ही सोवियत नागरिक यूरी गागरिन ने अंतरिक्ष में उड़रकर लौटने वाला पहला इंसान बनने का गौरव हासिल कर इतिहास रचा था. इस घटना को एक तरह से असंभव को संभव करने वाली घटना माना गया था और इसने ना केवल इंसानी संभावनाओं को पर लगा दिए थे बल्कि विज्ञान फंतासी को संभव होने की उम्मीद तक जगा दी थी. संयुक्त राष्ट्र हर साल यह दिन मानव अंतरिक्ष उड़ान का अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाता है.

संयुक्त राष्ट्र का संकल्प
संयुक्त राष्ट्र की आम सभा ने A/RES/65/271 संकल्प के जरिए 7 अप्रैल 2011 को 12 अप्रैल को इंटरनेशनल डे ऑफ ह्यूमन स्पेस फ्लाइट के रूप में मनाने का ऐलान किया था जिसे अंतरिक्ष में मानव युग की शुरुआत का दिन माना जाता है. इसमें विज्ञान और तकनीक से लोगों और राज्यों की भलाई बढ़ाने और संधारणीय विकास के लक्ष्यों को हासिल करने में अंतरिक्ष के अहम योगदान की और बाह्य अंतरिक्ष को शांतिप्रिय उपयोग जैस संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्यों को दोहराया जाता है.

एक गहरी प्रतिबद्धता के लिए
इस एक घटना ने मानव की भलाई के लिए यह अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए ऐतिहासिक तौर पर आयाम खोलने का काम किया था. संयुक्त राष्ट्र की आम सभाव ने इस दिवस को अपनाते हुए अंतरीक्ष के उपयोग के विस्तार और अन्वेषण  को मानवता के लिए साझा हितों के लिए गहरी प्रतिबद्धता दर्शाई थी जिससे पूरी मानवजाति का भला हो सके.

चार साल पहले बनी थी योजना
यूरी गागरिन को अंतरिक्ष में यात्रा करवाने वाले इस अंतक्ष अन्वेषण कार्यक्रम की शुरुआत 4 अक्टूबर 1957 को हुई थी जब सोवितय संघ ने दुनिया का पहला अंतरिक्ष यान सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजा गया था. इसका बाद 1961 को रूसी लेफ्टिनेंट यूरी गागरिन वोस्तोक 1 यान के जरिए पहले ऐसे इंसान बने जो पृथ्वी की कक्षा में पहुंचे.

एक बड़े युग का आगाज
गागरिन की उड़ान 108 मिनट की यात्रा में 327 किलोमीटर की ऊंचाई तक गए थे. इसके बाद 16 जून 1963 को पहली महिला अंतरिक्ष यात्री बनने का गौरव वेलेन्तीना तेराश्कोवा को मिला और फिर 20 जुलाई 1969 को नील आर्मस्ट्रॉन्ग चांद पर पहला कदम रखने वाले दुनिया के पहले इंसान बने. 17 जुलाई 1975 को अमेरिका और रूस, के क्रमशः अपोलो और सुयोज यानों को अंतरिक्ष में जोड़ने की पहली ऐतिहासिक घटना हुई.

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का योगदान
इस दौरान अमेरिका और रूस के अंतरिक्ष भी शीत युद्ध का अखाड़ा बन गया था. लेकिन सोवियत संघ के विघटन और यूरोपीय संघ के निर्माण के दौरान दुनिया के देश अंतरिक्ष मामलों में  सहयोग करने पर सहमत हुए और इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की परिकल्पना के जरिए 17 देशों ने मिल कर काम किया जिसमें एक ही स्पेस स्टेशन में विभिन्न देशों के अंतरिक्ष यात्री और वैज्ञानिक वहां जाकर प्रयोग कर सकें.

अंतरिक्ष पर्यटन सहित कई संभावनाएं
यह परिकल्पना सच्चाई में बदली पहली बार रूस और अमेरिका ने साथ मिलकर काम किया जो कभी असंभव माना जाता था. स्पेस स्टेशन में लंबे मानव अभियानों के लिए हुए प्रयोगों ने लोगों को ध्यान ज्यादा खींचा. अंतरिक्ष में भोजन और रहने संबंधित रोजमर्चा की अन्य समस्याओं के समाधान पर लंबे समय से प्रयोग हो रहे हैं जो अंतरिक्ष पर्यटन का आधार मजबूत करने का काम कर रहे हैं.

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के बाद से तो अंतररष्ट्रीय सहयोग वाले अभियान ही ज्यादा होने लगे हैं और अब तो 2020 के दशक में निजी क्षेत्र ने भी अंतरिक्ष पर्यटन के क्षेत्र में दखल दे दिया है. इस दशक में अंतरिक्ष के मामले में दुनिया ने बहुत बड़े बड़े अभियानों की शुरुआत की है और करने जा रही है. चंद्रमा और मंगल पर बसने की योजनाओं पर अरबों डॉलर खर्च होने लगे हैं. कहना गलत नहीं होगा, लेकिन भले ही अभी दुनिया युद्ध के खतरों का आंकलन कर रही है. लेकिन अंतरिक्ष मानवों को एक कर सकता है  और एक होकर ही इससे संबंधित चुनैतियां हल कर सकता है.

    (‘न्यूज़ 18 हिंदी के साभार )

Spread the information

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *