विकास शर्मा

पिछले पांच सालों से हर 7 जून को दुनिया में विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस मनाया जाता है. इसका मकसद यही है कि लोग खराब खाने से पैदा होने वालो को खतरों के साथ भोजन की सुरक्षा के महत्व को समझें जिससे हम भोजन के उत्पादन, प्रसंस्करण, भंडारण, वितरण और उस दौरान उसके संरक्षण की अहमियत और संवेदनशीलता को समझें और दूसरों को भी समझाएं. इसलिए इस साल “मानक भोजन जीवन की रक्षा करते हैं” थीम अपनाई गई है.

दुनिया में सभी इंसानों को भोजन उपलब्ध करना मानवता का प्रमुख कर्तव्य तो है ही. लेकिन यह भोजन पाना मानव अधिकार की तरह भी होना चाहिए. जीवन को कायम रखने और अच्छी सेहत को प्रोत्साहित करने के लिए सुरक्षित भोजन तक पहुंच पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराना एक चुनौती है. वैश्विक खाद्य समस्या केवल भोजन का उत्पादन करना ही नहीं है, बल्कि उत्पादों को भोजन के रूप में तैयार करना, तैयार भोजन की सुरक्षित रखना और सभी तक पहुंचने यह सुनिश्चित करना आसान कार्य नहीं है. विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र की संस्था खाद्य एवं कृषि संगठन ने इस साल विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस की थीम ही “मानक भोजन जीवन सुरक्षित” करते हैं, रखी है.

खाद्य सुरक्षा का महत्व
भोजन को मानक रखने का अर्थ ही भोजन को सुरक्षित रखना है, खराब भोजन से कई तरह के संक्रमण, बीमारियां होती हैं जो बैक्टीरिया, वायरस, रासायनिक पदार्थ, आदि भोजन और पानी के जरिए शरीर में प्रवेश करती हैं. ऐसे में जरूरी है कि लोगों को भोजन तो मिले लेकिन वह सुरक्षित रहे यह भी उतना ही जरूरी है. नहीं तो उसे तैयार करने में जो श्रम, समय और संसाधन लगे हैं उनका भी भारी नुकसान होता है.

हर स्तर पर सुरक्षा जरूरी
भोजन तैयार करने में भोजन की शृंखला में फसल का उत्पादन, प्रसंस्करण, भंडारण, और वितरण जैसी कई प्रक्रियाएं शामिल होती हैं और इस दौरान यह सुनिश्चित भी करना होता है कि भोजन की खपत होने से पहले वह किसी भी स्थिति में खराब ना हो. इस बात में कोई संदेह नहीं है कि भोजन का उत्पादन चुनौती पूर्ण है उतना ही उसे संरक्षित या सुरक्षित रखना भी.

एक बड़ा खतरा
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक अनुमान है कि दुनिया में हर साल 60 करोड़ बीमीरियों के मामले भोजन के कारण पैदा होते हैं. यही वजह है कि असुरक्षित भोजन मानव स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्थाएं, आदि के लिए एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है. दुनिया में बहुत से लोग की सुरक्षित भोजन तक पहुंच नहीं है. इसके लिए भोजन उत्पादन नहीं बल्कि भोजन प्रबंधन और हमारे तंत्र जिम्मेदार है.

बढ़ते संक्रमण और मौतें
एक आंकलन के अनुसार दुनिया में 4 लाख 20 हजार लोग संक्रमित या विषाक्त भोजन करने से मरते हैं. इतना ही नहीं दुनिया में भोजन की वजह से पैदा होने वाली बीमारीयां का 40 फीसद हिस्सा 5 साल से कम उम्र के बच्चे झेलते हैं जिसमें 1.25 लाख हर साल मर जाते हैं. इसकी वजह भोजन आपूर्ति की शृंखला में किसी ना किसी स्तर पर गड़बड़ी ही होती है.

लोगों की भागीदारी
यही कारण है कि हर साल 7 जून को विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस का लक्ष्य लोगों का इस समस्या के प्रति ध्यान खींचना और उन्हें प्रेरित करना है जिससे इसे पहचान कर उसकी रोकथाम की जा सके. मकसद यही है कि भोजन की वजह से पैदा होने जोखिमों का बेहतर प्रबंधन हो और खाद्य सुरक्षा, मानव स्वास्थ्य, आर्थिक सम्पन्नता, कृषि, बाजार पहुंच, पर्यटन आदि में योगदान दिया जा सके.

एक अवसर की तरह
विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन दुनिया के अन्य सहयोगी सदस्य देशों और संगठनों के साथ मिलकर विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस मनाते हैं. यह एक अवसर के तौर पर देखा जाना चाहिए कि हम जो खा रहे हैं वह सुरक्षित रहे, लोगों के बीच मुख्य धारा में भोजन की सुरक्षा एक प्रमुख मुद्दा हो और दुनिया भर में भोजन से पैदा होने वाली बीमारियों का बोझ कम हो सके.

हकीकत यह है कि विकास के अन्य पैमानों में हम इतने ज्यादा उलझ गए हैं कि अपनी मूल भूत जररूतों के प्रति गंभीरता खोते जा रहे हैं. चाहे पीने योग्य पानी का प्रबंधन हो या फिर खाद्य आपूर्ति या उसकी सुरक्षा हमने कभी इस बात जोर नहीं दिया कि हमारे विकास कार्य इन चुनौतियों से तालमेल बिठा सकें. हम सभी को समझना ही होगा कि खाद्य सुरक्षा सरकारों, उत्पादनकर्ताओं, और उपभोक्ताओं सभी की साझा जिम्मेदारी है.  खेतों से लेकर घर की टेबल तक पहुंचने वाले भोजन के प्रति हर एक व्यक्ति की कोई ना कोई भूमिका है.

    (‘न्यूज़ 18 हिंदी’ के साभार )

Spread the information