देश में बेरोजगारी का डेटा जारी करने वाली संस्था सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के ताजा आंकड़े चौंकाने वाले हैं. CMIE के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर-दिसंबर 2021 की अवधि में बेरोजगारों की कुल संख्या 3.18 करोड़ रही. ज्यादा चिंताजनक बात ये है कि इनमें 3.03 करोड़ लोगों की उम्र 29 साल से कम है. यह आंकड़ा 2020 में कोरोना के वक्त देशभर में लगे लॉकडाउन के समय से भी ज्यादा है. उस वक्त देश के 2.93 करोड़ युवा बेरोजगार थे .

सबसे चिंताजनक ये है कि 3.03 करोड़ युवा ऐसे हैं, जो काम की तलाश कर रहे हैं. 1.24 करोड़ युवा ऐसे हैं, जो रोजगार चाहते तो हैं, लेकिन पूरी शिद्दत से काम नहीं तलाश कर रहे. अगर इन्हें भी शामिल कर लें तो युवा बेरोजगारों की संख्या 4.27 करोड़ हो जाती है. बता दें कि CMIE, देश में बेरोजगारी का डेटा जारी करने वाली एकमात्र संस्था है. इसके द्वारा जारी किए जाने वाले डेटा का इस्तेमाल रिजर्व बैंक सहित केंद्र सरकार के कई डिपार्टमेंट भी करते हैं.

सीएमआईई ने अपनी रिपोर्ट कहा है कि भारत को तत्काल 7.9 फीसदी लोगों को रोजगार देने की जरूरत है जो बेरोजगारी दर में आते हैं या दिसंबर, 2021 में कुल बोरोजगार हुए लोगों में से 3.5 करोड़ लोगों को रोजगार देने की जरूरत है जो सक्रियता से नौकरी खोज रहे हैं। सीएमआईई ने कहा है कि भारत की बेरोजगारी की समस्या बेरोजगारी दर से जाहिर नहीं हो रही है। यह कम रोजगार दर की समस्या है और यह युवा महिला श्रम बल को हतोत्साहित करती है।

निष्क्रिय लोगों को रोजगार देना बड़ी चुनौती

सीएमआईई ने कहा है कि रोजगार के मोर्चे पर चुनौतियां उससे कहीं अधिक बड़ी हैं जितनी वह दिख रही हैं। उसका कहना है कि सबसे बड़ी चुनौती अतिरिक्त 1.7 करोड़ लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना है, जिनके पास रोजगार भी नहीं है और अगर नौकरी मिले तो काम करना चाहते हैं लेकिन वह सक्रियता के साथ नौकरी नहीं खोज रहे हैं।

बेरोजगारों में महिलाएं एक तिहाई

सीएमआईई की रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर 2021 में सक्रियता के साथ नौकरी खोज रहे 3.5 करोड़ लोगों में 80 लाख महिलाएं थीं। वहीं, 1.7 करोड़ निष्क्रिय बेरोजगारों में से 53 फीसदी या 90 लाख महिलाएं काम करना चाहती हैं, लेकिन वह सक्रिय रूप से काम नहीं खोज रही हैं। इस तरह कुल बोरोजगारों में करीब एक तिहाई महिलाएं हैं। इसमें कहा गया है कि यह जांच का विषय है कि इतनी बड़ी संख्या में महिलाएं काम करने की इच्छुक हैं, लेकिन क्यों नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर रही हैं । यह रोजगार की उपलब्धता की कमी है या श्रम बल के साथ जुड़ने के लिए महिलाओं को सामाजिक सहयोग की कमी है।

वर्ल्ड बैंक भी दे चुका है संकेत

विश्व बैंक के आंकड़ों का हवाला देते हुए, सीएमआईई ने कहा कि विश्व बैंक ने महामारी से प्रभावित 2020 में वैश्विक रोजगार दर 55 फीसदी रहने का अनुमान जाहिर किया, जबकि भारत में यह 43 फीसदी के निचले स्तर पर है। हालांकि, सीएमआई ने भारत की रोजगार दर 38 फीसदी रहने का अनुमान जाहिर किया है।

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