महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस (International Day for the Elimination of Violence against Women) हर साल 25 नवंबर मनाया जाता है. इस दिन को महिला को उनके अधिकारों के लिए जागरूक किया जाता है. कई सार्वजनिक कार्यक्रमों का समन्वय किया जा रहा है और हिंसा मुक्त भविष्य की आवश्यकता को याद करने के लिए प्रतिष्ठित इमारतों और स्थलों को ‘नारंगी’ बनाया जा रहा है , उलेखनीय है कि इसका थीम “ऑरेंज द वर्ल्ड : एंड वायलेंस अगेंस्ट वूमेन नाउ!” है। महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा से मुक्त एक उज्जवल भविष्य का प्रतिनिधित्व करने के लिए नारंगी हमारा रंग है। नारंगी आंदोलन का हिस्सा बनें !
Adivasi Women’s Network, Women and Gender Resource Center और Interstate Adivasi Women’s Network द्वारा #16DaysOfActivism के नाम से झारखण्ड में 16 दिनों तक विभिन्न कार्यक्रम किया जाएगा . यह लैंगिक हिंसा के विरुद्ध पखवाड़ा एक वैश्विक अभियान का हिस्सा है, जो 25 नवंबर, यानी अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा प्रतिरोध दिवस, से शुरू होता है और 10 दिसंबर, मानवाधिकार दिवस तक जारी रहता है। झारखण्ड में आज शुरु होने वाले इस अभियान का उद्देश्य स्थानीय, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लिंग आधारित और लैंगिक हिंसा के बारे में तथा एक मानवाधिकार मुद्दे के रूप में जागरूकता बढ़ाना है। इस अभियान की शुरुआत 1991 में प्रथम वीमेन्स ग्लोबल लीडरशिप इंस्टिट्यूट द्वारा की गई थी।
25 नवम्बर 2021 से शुरू करते हुए 10 दिसम्बर 2021 तक झारखंड में इन NGOs द्वारा अनेक कार्यक्रम होंगे जिसमें हिंसा के खिलाफ खड़े होने को लेकर जागरूकता फैलाया जाएगा। “चुप्पी तोड़ो, हिंसा के विरुद्ध मुँह खोलो” के नारे के साथ खेल, नाच-गाना, रैप व अन्य प्रदर्शन के माध्यम से यह अभियान आगे बढाया जायेगा .
महिलाओं के खिलाफ हिंसा का यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा | राष्ट्रीय महिला आयोग (National Women Commission) के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2021 से 25 मार्च 2021 के बीच महिलाओं के विरुद्ध हिंसा की 1,463 शिकायतें प्राप्त हुईं. गत वर्ष लॉकडाउन के दौरान जब ज्यादातर लोग घरों में बंद थे, राष्ट्रीय महिला आयोग को मिलने वाली घरेलू हिंसा की शिकायतों की संख्या में 2019 के मुकाबले वृद्धि देखने को मिली. आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019 में आयोग को घरेलू हिंसा से संबंधित 2,960 शिकायतें मिली थीं जबकि 2020 में 5,297 शिकायतें प्राप्त हुईं और यह सिलसिला अब भी बरकरार है.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019 में आयोग को महिलाओं के विरुद्ध किए गए अपराध की कुल 19,730 शिकायतें मिलीं जबकि 2020 में यह संख्या 23,722 पर पहुंच गई. लॉकडाउन खत्म होने के एक साल बाद भी आयोग को हर महीने महिलाओं के विरुद्ध अपराध की दो हजार से अधिक शिकायतें मिल रही हैं जिनमें से लगभग एक चौथाई घरेलू हिंसा से संबंधित हैं. पिछले साल कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन लगाया गया था लेकिन इसके कारण घरेलू हिंसा की कई पीड़िताएं उनके साथ फंस गई थीं जो यह कृत्य करते हैं. लॉकडाउन लगाए जाने के बाद आयोग को घरेलू हिंसा की इतनी शिकायतें मिलने लगी थीं कि आयोग ने इसके लिए समर्पित एक व्हाट्सऐप नंबर की शुरुआत की थी.
ऐसे में झारखण्ड में 25 नवम्बर से राँची के मोरहाबादी मैदान से शुरु हो रहे इस अभियान का महत्व आसानी से समझा जा सकता है . तो आइए, इस वैश्विक अभियान का हिस्सा बनिए और लिंग आधारित हिंसा को जड़ से मिटाने का संकल्प लीजिए।