चिंता हमें तनाव देती है और अगर ये तनाव लंबे समय तक बना रहे, तो ये डिप्रेशन यानी अवसाद में तब्दील हो सकता है. ऐसे में मेंटल हेल्थ (Mental Health) यानी मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता (Awareness) बहुत ज्यादा जरूरी हो जाती है. वैसे भी मेंटल हेल्थ शरीर के नजरअंदाज किये जाने वाले हिस्सों में से एक है. डिप्रेशन, चिंता, बेचैनी और दूसरी मानसिक बीमारियों के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए मेंटल हेल्थ डे मनाया जाता है. हर साल 10 अक्टूबर को दिवस मनाने का मकसद मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारियों का सामाजिक कलंक मिटाना होता है. 

मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों का जागरुक होना जरूरी

आम तौर पर मानसिक स्वास्थ्य को लोग बहुत मामूली समझते हैं और बीमारी से होनेवाले खतरों को ज्यादातर नजर अंदाज कर दिया जाता है. इसलिए मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं के प्रति शिक्षित और जागरुक करना जरूरी है. जागरुक होने से लोगों का बीमारी के विषय पर बात करने के लिए हौसला बढ़ेगा.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में भारत के लोग सबसे ज्यादा डिप्रेशन में हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि यहां हर सात में से एक शख्स डिप्रेशन और बेचैनी का शिकार है. 1990 से 2017 के आंकड़ों के हवाले से भारतीय लोगों के मानसिक बीमारी से जुड़ा दावा किया गया है.

वर्ष 2021 के लिए इस दिन की थीम

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाये जाने के लिए हर वर्ष एक थीम निर्धारित की जाती है. डब्ल्यूएफएमएच के प्रेसिडेंट डॉ इंग्रिड डेनियल ने विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2021 के लिए थीम की घोषणा की है. इस वर्ष की थीम निर्धारित की गयी है. ‘एक असमान दुनिया में मानसिक स्वास्थ्य’ (Mental Health in an Unequal World). इस दिन आयोजित होने वाली सभी कार्यक्रम इसी थीम पर आधारित होंगे.

महत्त्व

मानसिक तनाव, चिंता और डिप्रेशन की वजह से दुनिया में बहुत सारे लोग सोशल स्टिग्मा, डिमेंशिया, हिस्टिरिया, एग्जाइटी, आत्महीनता जैसी कई तरह की दिक्कतों और मानसिक बीमारियों से जूझ रहे हैं. इन दिक्कतों की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करने और लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे मनाया जाता है. जिससे लोग मानसिक दिक्कतों और बीमारियों के प्रति जागरूक हों और समय रहते अपना इलाज करवा सकें.

इस दिन को मनाने की शुरुआत

वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे की शुरुआत वर्ष 1992 में हुई थी. इस दिन को पहली बार संयुक्त राष्ट्र के उप महासचिव रिचर्ड हंटर और वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ की पहल पर मनाया गया था. इस दिन को मनाये जाने की सलाह वर्ष 1994 में संयुक्त राष्ट्र के तत्कालीन महासचिव यूजीन ब्रॉडी ने दी थी और इसे मनाये जाने के लिए एक थीम भी निर्धारित की गयी थी. तब से हर वर्ष यह दिन एक विशेष थीम के साथ मनाया जाता है.

विषय पर बात करना भारत में माना जाता है सामाजिक कलंक

भारत में आनेवाली नस्ल के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए स्थिति चिंताजनक है. भारतीय समाज में आज भी मानसिक बीमारी सामाजिक कलंक समझी जाती है. इस विषय पर लोग बात करने से झिझकते हैं. उन्हें भेदभाव का शिकार होने का डर रहता है. इसके अलावा भारत में मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं को हल करनेवालों की तादाद भी बहुत कम है.

मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं में डिप्रेशन, तनाव, तन्हाई, बेचैनी, प्रियजनों की मौत पर सदमा, मूड का खराब होना शामिल है. मासिक बीमारी के इलाज का बेहतरीन तरीका थेरेपी, परामर्श और इलाज है. कभी-कभी पीड़ित का तनाव मात्र उचित सलाह से भी कम किया जा सकता है. WFMH की पहल पर मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाने की शुरुआत 1992 में की गई थी.  WFMH अंतरराष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य संगठन है. संगठन में दुनिया भर के 150 देश शामिल हैं.

 

 

 

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