‘प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल अकैडमी ऑफ साइंसेज ‘ (PNAS) में यह अध्ययन प्रकाशित हुआ है. हैंबर्ग की वुर्त्सबुर्ग यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले जर्मन बायोलॉजिस्ट पाट्रिक शुल्थीसिस के नेतृत्व में यह अध्ययन हुआ है. जिसके लिए शोधकर्ताओं ने इस संबंध में अब तक हुए 465 पिछले अध्ययनों का विश्लेषण किया है जिनमें स्थानीय स्तर पर चींटियों की गिनती की कोशिश की गई थी.
मछलियां झुंड में क्यों तैरती हैं ?
वैज्ञानिकों का मानना है कि चींटियों की गिनती एक अहम काम है. उनका कहना है कि चींटियों को गिनकर उनके रहवास और जीवन चक्र में आ रहे बदलावों का पता लगाया जा सकता है जो जलवायु परिवर्तन और अन्य कई तरह के परिवर्तनों को समझा जा सकता है.
इसके अलावा चींटियां बीजों को फैलाने, सूक्ष्म जीवों को पलने-बढ़ने, बड़े जीवों के लिए भोजन और छोटे जीवों के सफाए जैसे जरूरी काम आती हैं जिनमें से हरेक काम का पारिस्थितिक संतुलन के लिए महत्व है.
कैसे हुआ अध्ययन ?
सैकड़ों बार ऐसे अध्ययन हो चुके हैं जिनमें चीटियों की संख्या गिनने की कोशिश की गई है. हालांकि अब तक के ये अध्ययन छोटे-छोटे इलाकों में हुए हैं जहां शोधकर्ताओं ने एक सीमित क्षेत्र में चीटिंयों की संख्या गिनने की कोशिश की. ताजा अध्ययन में शोधकर्तआं ने ऐसे ही 489 अध्ययनों का विश्लेषण किया. शोधकर्ता कहते हैं कि बहुत से प्रकृतिविज्ञानियों ने पृथ्वी पर चींटियों की सटीक गणना की कोशिश की है लेकिन व्यवस्थागत और गणनात्मक अनुमानों की कमी इसके आड़े आती रही है. वे कहते हैं, “सभी महाद्वीपों के मुख्य जैव-विविध क्षेत्रों से आंकड़े लेकर हमने एक अनुमान लगाया है कि 20 × 1015 (20 क्वॉड्रिलियन) चींटियां हैं.