आजादी के 75 वर्षों बाद स्वतंत्र भारत में वह महत्वपूर्ण घड़ी सामने आयी जब CSIR के 80 साल के इतिहास में पहली बार कोई महिला वैज्ञानिक इसके शीर्ष पद पर पहुंची हैं। ये हैं डॉ नल्लाथंबी कलाईसेल्वी। ये सीएसआईआर की पहली महिला महानिदेशक बनाई गई हैं। सचमुच तमिलनाडु की इस बेटी ने अपनी प्रतिभा, योग्यता, क्षमता, लगन एवं अनुभव के बल पर जो मुकाम हासिल किया है, वह न सिर्फ देश की आधी आबादी महिलाओं का, प्रतिकूल परिस्थितियों में भी आगे बढ़ने का, हौसला बढ़ाती है, बल्कि देश का मान भी बढ़ाती है। निश्चय ही यह देश के लिए गर्व का क्षण है।

लोगों के बीच एक आम धारणा है कि बड़े-बड़े स्कूलों और अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई करके ही जीवन में बड़ी कामयाबी हासिल की जा सकती है, लेकिन तमिल माध्यम से स्कूली पढ़ाई कर तमिलनाडु की एक बेटी ने विज्ञान की दुनिया में वह मुकाम हासिल किया है, जो अबतक किसी भी भारतीय महिला को नहीं मिला था. यह कहानी है सीएसआइआर की पहली महिला महानिदेशक नल्लाथांबी कलाईसेल्वी की. ऐसे में वह उन बेटियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गयी हैं, जो विज्ञान के क्षेत्र में करियर बनाना चाहती हैं.

Spread the information

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed