ललित मौर्य

भारत में 66 फीसदी यानी 60.5 लाख मौतों की वजह यह गैर संक्रामक बीमारियां थी। देखा जाए तो महिलाओं के मामले में यह आंकड़ा 65 फीसदी था दुनिया भर में होने वाली करीब तीन-चौथाई मौतों के लिए कैंसर, मधुमेह, सांस और ह्रदय रोग जैसी गैर संक्रामक बीमारियां जिम्मेवार हैं। देखा जाए तो यह बीमारियां हर साल औसतन 4.1 करोड़ लोगों का जीवन लील रही हैं। मतलब कि इन बीमारियों की वजह से हर मिनट 78 लोगों की जान जा रही है।

 

इतना ही नहीं रिपोर्ट के मुताबिक हर सेकंड एक 70 या उससे ज्यादा उम्र के वृद्ध की मौत इन बीमारियों के कारण हो रही है। यह जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी नई रिपोर्ट “इनविजिबल नम्बर्स: द ट्रू एक्सटेंट ऑफ नॉन कम्युनिकेबल डिजीज एंड व्हाट टू डू अबाउट देम” में सामने आई है।   

गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने यह रिपोर्ट यूएन महासभा के 77वें सत्र के मौके पर जारी की है। इस रिपोर्ट के साथ ही डब्लूएचओ ने गैर संक्रामक बीमारियां के बढ़ते खतरे को स्पष्ट करने के लिए एक एनसीडी डेटा पोर्टल भी लांच किया है।

 

 

रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में चार प्रमुख गैर-संक्रामक रोग लोगों की जान ले रहे हैं जिनमें हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह और लम्बे समय से चली आ रही सांस की बीमारी शामिल है। देखा जाए तो इनमें से ज्यादातर बीमारियां बढ़ते प्रदूषण, खान-पान और हमारी आदतों जैसे तम्बाकू व शराब का सेवन, अस्वस्थ आहार और शारीरिक सक्रियता व व्यायाम की कमी से जुड़ी हैं। जिनपर सही ध्यान दिया जाए तो इन्हें बढ़ने से रोका जा सकता है।

डब्लूएचओ द्वारा जारी इस रिपोर्ट और पोर्टल में न केवल 194 देशों में इन बीमारियों के बढ़ते खतरे और जोखिम पर प्रकाश डाला है, साथ ही उन उपायों की भी बात की हैं जिनकी मदद से इनके जोखिम को कम किया जा सकता है। इन उपायों की मदद से न केवल जीवन बल्कि स्वास्थ्य पर बेतहाशा किए जा रहे खर्च को रोकने में भी मदद मिल सकती है। देखा जाए तो यह बीमारियां दुनिया के लिए एक ऐसा अदृश्य खतरा है जिसे दुनिया नजरअंदाज कर रही है

 

 

इस पोर्टल में भारत के जो आंकड़े साझा किए गए हैं उनके अनुसार 2019 में 66 फीसदी यानी 60.5 लाख मौतों की वजह यह गैर संक्रामक बीमारियां थी। देखा जाए तो यह पुरुषों के मामले में यह आंकड़ा 67 फीसदी था जबकि 65 फीसदी महिलाओं की मौत के लिए यह बीमारियां जिम्मेवार थी।

पता चला है कि देश में 28 फीसदी मौतों के लिए ह्रदय सम्बन्धी बीमरियां, 10 फीसदी के लिए कैंसर, 12 फीसदी के लिए सांस सम्बन्धी बीमारियां, 4 फीसदी के लिए मधुमेह जबकि 12 फीसदी के लिए अन्य गैर-संक्रामक बीमारियां जिम्मेवार थी। वहीं इन बीमारियों से देश में असमय होने वाली मौत की सम्भावना करीब 22 फीसदी आंकी गई है।

वहीं यदि वर्षों से चली आ रही सांस सम्बन्धी बीमारी की बात करें तो भारत उन देशों में शामिल हैं जहां इससे होने वाली मृत्यु की दर सबसे ज्यादा है। भारत में यह आंकड़ा प्रति लाख लोगों पर 113 है। वहीं पुरुषों के मामले में यह करीब 126 प्रति लाख आंका गया है।

 

 

देखा जाए तो आज दुनिया के केवल कुछ गिने चुने देश ही एसडीजी के तहत 2030 तक इन बीमारियों से होने वाली मौतों में एक तिहाई की कमी के लक्ष्य को हासिल करने के ट्रैक पर हैं इस बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन के गैर संक्रामक बीमारियों संबंधी मामलों के निदेशक बेन्ते मिक्केलसेन का कहना है कि यह गलत अवधारणा है कि यह बीमारियां केवल अमीर देशों तक ही सीमित हैं। उनके अनुसार इन बीमारियों से असमय होने वाली करीब 85 फीसदी मौतें निम्न और मध्यम आय वाले देशों में होती हैं।

ऐसे में डब्लूएचओ के अनुसार इन देशों में इन बीमारियों की रोकथाम पर ध्यान देना जरूरी है। आंकड़ों के मुताबिक यदि निम्न व मध्य आय वाले देशों में इन बीमरियों की रोकथाम पर हर वर्ष 1.45 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया जाए तो उससे 2030 तक 218 लाख करोड़ रुपए का शुद्ध आर्थिक मुनाफा हासिल किया जा सकता है।

 

 

साथ ही रिपोर्ट ने यह भी कहा है कि यदि वैश्विक स्तर पर सही नीतियों को अपनाया जाए तो इनकी मदद से 2030 तक इन बीमारियों से होने वाली 3.9 करोड़ मौतों को टाला जा सकता है। 

( ‘डाउन टू अर्थ ‘ पत्रिका से साभार )
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