आईआईटी गुवाहाटी के वैज्ञानिकों का मानना है कि उनका दृष्टिकोण कीमोथेरेपी के लिए ज्यादा प्रभावी और नगण्य दुष्प्रभाव वाले उन्नत दवा वाहकों के विकास का रास्ता साफ करेगा।भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने एक कैंसर रोगी की संक्रमित कोशिकाओं तक सीधे कीमोथेरेपी दवाओं को पहुंचाने के लिए एक नई रणनीति विकसित की है जिससे दुष्प्रभावों (साइड इफेक्ट) में काफी कमी आई है।

 

इसकी जानकारी देते हुए रसायन विभाग के प्रोफेसर देबाशीष मन्ना ने कहा कि कीमोथेरेपी की दवाओं के विकास में शोधकर्ताओं की दो जरूरतें थीं – यह कैंसर कोशिकाओं पर लक्षित हो और जब भी आवश्यकता हो, बाहरी तौर पर दी जानी चाहिए।

आईआईटी गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने कैंसर मरीजों को दी जाने वाली कीमोथेरेपी का नया तरीका विकसित किया है, जिससे इलाज के दुष्प्रभावों को काफी कम किया जा सकता है। इसकी जानकारी देते हुए संस्थान के रसायन शास्त्र विभाग के प्रोफेसर देबाशीष मन्ना ने बताया कि कीमोथेरेपी की दवा विकसित करते समय शोधकर्ताओं की दो जरूरतें थीं एक यह कि दवा सीधे कैंसर कोशिकाओं को निशाना बनाए और दूसरी, जब जरूरत हो उसे बाहरी उत्प्रेरक से शरीर में मुक्त किया जा सके।

आईआईटी गुवाहाटी की ओर से सोमवार को जारी एक बयान में कहा गया कि कीमोथेरेपी की मौजूदा दवाएं कैंसर कोशिकाओं के अलावा स्वस्थ कोशिकाओं को भी मार देती हैं। इसकी वजह से मरीज को कई दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ता है। माना जाता है कि कीमोथेरेपी के दुष्प्रभावों के कारण भी उतनी ही मौतें होती हैं जितनी कि कैंसर से। इस शोध के परिणामों को रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री के प्रतिष्ठित जर्नलों केमिकल कम्युनिकेशंस और ऑर्गेनिक एंड बायोमोलेक्यूलर केमिस्ट्री में भी प्रकाशित किया गया है।
सीधे कैंसर कोशिकाओं में पहुंचेगी दवा

आईआईटी गुवाहाटी ने जो अणु विकसित किए हैं वे दवा धारण करने के लिए कैप्सूल के रूप में खुद इकट्टा होते हैं। यह कैप्सूल केवल कैंसर कोशिकाओं से ही जाकर चिपकता है। इसके बाद जब उस पर इंफ्रारेड लाइट डाली जाती है तो कैप्सूल का खोल टूट जाता है और दवा सीधे कैंसर कोशिका में पहुंच जाती है।

आईआईटी गुवाहाटी के वैज्ञानिकों का मानना है कि उनका दृष्टिकोण कीमोथेरेपी के लिए ज्यादा प्रभावी और नगण्य दुष्प्रभाव वाले उन्नत दवा वाहकों के विकास का रास्ता साफ करेगा।
आईआईटी-गुवाहाटी ने सोमवार को एक बयान में कहा, “कीमोथेरेपी में इस्तेमाल होने वाली मौजूदा दवाओं के साथ समस्या यह है कि वे कैंसरकारी कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने के साथ ही शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं को भी नुकसान पहुंचाती हैं, जिसके कई अवांछित दुष्प्रभाव भी होते हैं।” इसमें कहा गया कि वास्तव में, यह माना जाता है कि कैंसर से जितनी मौत होती हैं उतनी ही जान कीमोथेरेपी के दुष्प्रभावों के कारण जाती हैं। 

बयान में कहा गया, “कीमोथेरेपी की दवाओं की विषाक्तता की कमियों को दूर करने के लिए दुनिया भर में शोध किया जा रहा है। जिन कुछ रणनीतियों का पता लगाया जा रहा है उनमें दवाओं का लक्ष्य-केंद्रित वितरण और कैंसर कोशिकाओं और ऊतकों को उचित दवा की खुराक की मांग आधारित आपूर्ति शामिल है।” बयान में कहा गया है कि आईआईटी-गुवाहाटी के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित अणु, दवा को केंद्रित रखने के लिए कैप्सूल के रूप में खुद को इकट्ठा करते हैं, और उसके बाद केवल कैंसर कोशिकाओं से जुड़ जाते हैं।

इसमें कहा गया कि जब इन पर इंफ्रारेड प्रकाश डाला जाता है तो इनका खोल टूट जाता है और कैप्सूल में भरी दवा कैंसरकारी कोशिकाओं में पहुंच जाती है। आईआईटी-गुवाहाटी के वैज्ञानिक मानते हैं कि उनके दृष्टिकोण से कीमोथेरेपी के लिए दवा वाहकों की प्रभावशीलता बढ़ेगी और इसके दुष्प्रभाव नगण्य होंगे।

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