ललित मौर्या

क्या आप जानते हैं कि अब तक 110,00,000 टन प्लास्टिक महासागरों की अथाह गहराइयों में जमा हो चुका है। यह पहला मौका है जब वैज्ञानिकों ने इस बात का खुलासा किया है कि समुद्र तल में अब तक कितना प्लास्टिक कचरा जमा हो चुका है।

इस बारे में कॉमनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ऑर्गनाईजेशन (सीएसआईआरओ) और टोरंटो विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक नया अध्ययन किया है, जिसके नतीजे जर्नल ओशियोनोग्राफिक रिसर्च पेपर्स में प्रकाशित हुए हैं। बता दें कि कॉमनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ऑर्गनाईजेशन ऑस्ट्रेलिया की एक सरकारी एजेंसी है, जो वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए जिम्मेवार है।

रिसर्च के मुताबिक हर मिनट कचरे से भरे एक ट्रक के बराबर प्लास्टिक समुद्र में समा रहा है। जो पर्यावरण और जैवविविधता के लिए बेहद गंभीर संकट बन चुका है। वहीं आशंका जताई गई है कि 2040 तक प्लास्टिक का उपयोग बढ़कर दोगुना हो सकता है। ऐसे में समुद्री जीवन और पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के नजरिए से यह समझना बेहद महत्वपूर्ण है कि यह प्लास्टिक कैसे और कहां जाता है।

इस बारे में सीएसआईआरओ के वरिष्ठ शोध वैज्ञानिक डॉक्टर डेनिस हार्डेस्टी ने प्रेस विज्ञप्ति का हवाले से कहा है कि, “यह पहली मौका है जब हमने समुद्र तल तक पहुंचने वाले प्लास्टिक कचरे की मात्रा का अनुमान लगाया है। समुद्र तल पर पहुंचकर यह प्लास्टिक, छोटे टुकड़ों में टूटने और समुद्री तलछट के मिलने से पहले वहीं जमा हो जाते हैं।“

उनका आगे कहना है कि, “हम यह तो जानते हैं कि हर साल लाखों टन प्लास्टिक महासागरों में प्रवेश करता है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं था कि इसका कितना हिस्सा समुद्र तल पर जमा होता है।” अपने इस नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने प्लास्टिक से जुड़े इन्हीं रहस्यों का खुलासा किया है।

एक अनुमान के मुताबिक 192 देशों से निकला करीब 80 लाख टन प्लास्टिक कचरा हर साल समुद्रों में समा रहा है। अंतराष्ट्रीय शोधों से पता चला है कि समुद्रों में पहुंचने वाला करीब 80 फीसदी कचरा जमीन पर ठोस कचरे के कुप्रबंधन से जुड़ा है जो भूमि से जुड़े समुद्री मार्गों के जरिए समुद्र तल तक पहुंच रहा है। वहीं बाकी 20 फीसदी कचरा तटीय बस्तियों से समुद्रों में जा रहा है।

सतह की तुलना में तल पर 100 गुणा अधिक हो सकता है प्लास्टिक कचरा

उनके मुताबिक अधिकांश प्लास्टिक कचरे के लिए समुद्र तल एक विश्राम स्थल बन गया है, जहां एक करोड़ टन से ज्यादा प्लास्टिक के जमा होने का अनुमान है। टोरंटो विश्वविद्यालय में पीएचडी छात्र और अध्ययन से जुड़ी शोधकर्ता एलिस झू ने प्रेस विज्ञप्ति के हवाले से जानकारी दी है कि समुद्र तल पर मौजूद प्लास्टिक कचरे की मात्रा समुद्र की सतह पर तैरते प्लास्टिक से 100 गुणा अधिक हो सकती है।

उनके मुताबिक समुद्र की सतह प्लास्टिक का एक अस्थाई विश्राम स्थल है। ऐसे में इस बात की उम्मीद है कि यदि हम प्लास्टिक को समुद्रों में प्रवेश करने से रोक सकें तो इसकी मात्रा कम हो जाएगी। हालांकि रिसर्च से पता चला है कि यदि यह प्लास्टिक इसी तरह गहरे समुद्र में जाता रहा तो वो इस प्लास्टिक कचरे का एक स्थाई विश्राम स्थल बन जाएगा।

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि हर साल औसतन 40 लाख से 2.3 करोड़ मीट्रिक टन के बीच प्लास्टिक समुद्रों में समा रहा है। इतना ही नहीं जिस तरह से पिछले कुछ वर्षों में प्लास्टिक उत्पादन बढ़ा है वो अपने आप में एक बड़ी समस्या बन चुका है।

आंकड़ों के मुताबिक 2022 में वैश्विक स्तर पर सालाना होता प्लास्टिक उत्पादन बढ़कर 40 करोड़ टन से ज्यादा हो गया था, जो पिछले साल की तुलना में करीब 1.6 फीसदी अधिक है। इसमें से करीब 35 करोड़ टन प्लास्टिक कचरे के रूप वापस आ रहा है। विशेषज्ञों का यह भी अनुमान है कि 2050 तक हम 2,600 करोड़ मीट्रिक टन नए प्लास्टिक का उत्पादन कर लेंगें। अफसोस की बात है कि इस प्लास्टिक का करीब आधा कचरे का हिस्सा बन जाएगा।

इस बारे में आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) द्वारा हाल ही में जारी रिपोर्ट “ग्लोबल प्लास्टिक आउटलुक: पालिसी सिनेरियोज टू 2060” से पता चला है कि 2060 तक हर साल पैदा होने वाला यह प्लास्टिक कचरा अब से करीब तीन गुना बढ़ जाएगा। जो अगले 37 वर्षों में बढ़कर 101.4 करोड़ टन से ज्यादा होगा।

शोधकर्ताओं ने अपने इस अध्ययन में समुद्र तल पर जमा प्लास्टिक की मात्रा और उसके वितरण का पता लगाने के लिए रिमोट से चलने वाले वाहनों (आरओवी) से प्राप्त आंकड़ों का उपयोग किया है।

इस अध्ययन के जो नतीजे सामने आए हैं उनके मुताबिक समुद्र तल पर 30 लाख से 1.1 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा जमा है। आंकड़ों से यह भी पता चला है कि आमतौर पर प्लास्टिक महाद्वीपों के आसपास इकट्ठा होता है। शोधकर्ताओं का यह भी अनुमान है कि समुद्र तल पर मौजूद प्लास्टिक के कुल वजन का करीब 46 फीसदी 200 मीटर की गहराई में जमा हो सकता है। वहीं इसका 54 फीसदी भाग समुद्र की गहराई में 200 से 11,000 मीटर की गहराई में होने का अंदेशा है।

शोधकर्ताओं ने इस बात पर भी प्रकाश डाला है कि भले ही अंतर्देशीय और तटीय समुद्र, महासागरों की तुलना में बहुत कम क्षेत्र को कवर करते हैं, लेकिन उनमें समुद्र तल के बाकी हिस्से के बराबर प्लास्टिक जमा होने की आशंका है। बता दें कि पृथ्वी के कुल क्षेत्रफल के 56 हिस्से पर महासागर काबिज हैं, जबकि 11 फीसदी हिस्से पर अंतर्देशीय और तटीय समुद्र मौजूद हैं।

शोधकर्ताओं के मुताबिक यह निष्कर्ष हमें यह बेहतर ढंग से समझने में मदद कर सकते हैं कि प्लास्टिक समुद्र में कैसे व्यवहार करता है। गहरे समुद्र में प्लास्टिक के प्रवाह और जमा होने के कारणों को समझने से इसके बढ़ते प्रदूषण को कम करने और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए बेहतर निर्णय लेने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही यह समुद्री जीवन पर बढ़ते खतरों को भी सीमित करने में मददगार होगा।

       (‘डाउन-टू-अर्थ’ से साभार )

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