अमृत चंद्र

शोध की रिपोर्ट के मुताबिक, बायो जेल का ट्रायल चूहों पर किया गया. इससे उनके शरीर की सूजन काफी कम हुई. साथ ही हार्ट को हुए नुकसान को इसने रिपेयर भी किया. चूहों पर ट्रायल के दौरान ब्रेन इंजुरी में भी इसका इस्‍तेमाल किया गया और नतीजे चौंकाने वाले थे.

देश में पिछले कुछ महीनों में दिन का दौरा पड़ने से मौत के दर्जनों मामले सामने आ चुके हैं. होली के अगले ही दिन फिल्‍म अभिनेता सतीश कौशिक की दिल का दौरा पड़ने से मृत्‍यु हो गई. एका केयर ने साल 2022 के दौरान हेल्‍थ ट्रेंड को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट में उसने ऐसे 50 लाख लोगों का मेडिकल हेल्‍थ केयर रिकॉर्ड लेकर उसका विश्‍लेषण किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, हार्टअटैक के कारण होने वाली मौतों के आंकड़े और खासकर कम उम्र में दिल दौरे पड़ने के मामले लगातार बढ़ रहे हैा. वहीं, एक दूसरी रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में हृदय रोग से होने वाली मौतों का आंकड़ा 1 करोड़ 79 लाख है. इसमें से 35.80 लाख मौतें सिर्फ भारत में होती हैं.

डॉक्‍टरों के मुताबिक, पहला हार्टअटैक आने के बाद ज्‍यादातर लोग दिल की मरम्‍मत पर बहुत ज्‍यादा ध्‍यान नहीं देते हैं. जबकि, हार्टअटैक के बाद दिल कमजोर हो जाता है. दिल की मांसपेशियां, परतें और वॉल्‍व में डैमेज हो जाते हैं. इससे दूसरा दिल का दौरा उनके लिए जानलेवा साबित हो जाता है. अब वैज्ञानिकों ने हार्टअटैक के कारण दिल में हुए डैमेज को आसानी से ठीक करने के लिए एक बायो-जेल तैयार कर लिया है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इसका सफल ट्रायल किया जा चुका है. आइए जानते हैं कि हार्टअटैक के बाद इस जेल को शरीर में किस तरह से पहुंचाया जाएगा और ये कैसे काम करेगा?

कैसे हार्ट को रिपेयर करेगा बायो-जेल?
वैज्ञानिकों के मुताबिक, बायो-जेल काफी गाढ़ा है. मरीजों पर इस्‍तेमाल करने से पहले इसमें स्‍टेराइल वाटर मिलाकर इसे पतला किया जाएगा. इसके बाद हार्ट अटैक का शिकार हुए मरीज के शरीर में इंजेक्‍शन के जरिये पहुंचाया जाएगा. डेलीमेल की रिपोर्ट के मुताबिक, शरीर में पहुंचने के बाद बायो-जेल हार्ट के डैमेज हिस्‍सों की मरम्‍मत करना शुरू कर देगा. दरअसल, हार्ट अटैक के बाद दिल में कुछ दरारें पड़ने के साथ ही ब्‍लड वेसेल्‍स में भी कुछ डैमेज हो जाते हैं. बायो-जेल शरीर में पहुंचकर पूरे शरीर में ब्‍लड पहुंचाने वाली रक्‍तवाहिकाओं और हार्ट में आई दरारों की मरम्‍मत करके उसे पहले जैसी स्थिति में ले आएगा.

किस-किस पर किया जा चुका है ट्रायल?
वैज्ञानिकों के मुताबिक, उन्‍होंने बायो-जेल का चूहों और सुअरों पर सफल परीक्षण कर लिया है. एक साल के अंदर इंसानों पर इसके परीक्षण करने की तैयारी तेजी से चल रही है. शोध कर रही वैज्ञानिकों की टीम के मुताबिक, बायो-जेल इंसानों की कोशिकाओं के विकास की रफ्तार को बढ़ाएगा. इससे दिल का दौरा पड़ने के बाद हार्ट और रक्‍त वाहिकाओं को हुए जख्मों को जल्‍द से जल्‍द भरा जा सकेगा. शोध रिपोर्ट में बताया गया है कि बायो-जेल के चूहों पर किए गए ट्रायल में उनके शरीर के अंदर सूजन कम हुई. साथ ही सभी डैमेज को रिपेयर करने में सफलता हासिल हुई. यही नहीं, ब्रेन इंजुरी के मामलों में जब चूहों पर ट्रायल किया गया तो पता चला कि गंभीर दिमागी चोट में होने वाले दर्द और पल्मनरी आर्टियल हाइपरटेंशन के हालात में भी ये काम करेगा.

अमेरिका ने दी इंसानों पर ट्रांयल की मंजूरी
वैज्ञानिकों के मुताबिक, अब तक किए गए ट्रायल के नतीजे चौंकाने वाले हैं. यही नहीं, अमेरिका के एफडीए ने इंसानों पर इसके परीक्षण की मंजूरी दे दी है. यूसी सैन डियागो हेल्‍थ में कार्डियोवस्‍कुलर मेडिसिन विभाग में काम कर रहे डॉ. रेयान के मुताबिक, दुनियाभर में कोरोनरी हार्ट डिजीज, एक्‍यूट मायोकार्डियल इंफैक्‍शन और हार्ट फेल्‍योर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. लिहाजा, बायो-जेल जैसा कोई नया उपचार या थैरेपी हार्ट से जुड़े मामलों में कमी लाती है, तो ये पूरी दुनिया के लिए अच्‍छी बात होगी.

    (‘न्यूज 18 हिन्दी’ से साभार )

Spread the information