विकास शर्मा

एक बहुत बड़े विश्लेषणात्मक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने मोटापे, वजन कम करने के तरीकों और भोजन की प्रकृति पर बड़ा दावा किया है. शोधकर्ताओं का कहना है कि भले ही खाने में कैलोरी की मात्रा में योगदान ना हो, लेकिन मोटापा लाने में फ्रक्टोज की बड़ी भूमिका होती है क्योंकि उससे इंसान ज्यादा खाने के लालसा को बढ़ाने का काम करता है.

मोटापे पर हो चुके बहुत सारे शोध उसके बारे में कई तरह की राय दे चुके हैं. इनमें कुछ अध्ययनों ने ज्यादा भोजन को मोटापे का कारण माना है, कुछ ने फास्ट फूड की आदतों को, कुछ जंकफूड को भी मोटापे की एक बड़ी वजह मानते हैं. एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने मोटापे की समस्याओं के लिए जिम्मेदार कारकों में एक प्रमुख कारक फ्रक्टोज को माना है. भोजन में कैलोरी कि लिहाज से बड़ा योगदान नहीं देता है, लेकिन यह ज्यादा तैलीय वस्तुएं खाने की लालसा जरूर पैदा करता है जिसे इंसान अधिक खाता है और मोटापे की ओर अधिक तेजी से बढ़ने लगता है.

कार्ब्स या फैट या दोनों
कोलोराडो यूनिवर्सिटी के मेडिकल डॉक्टर रिचर्ड जॉनसन की अगुआई में हुए इस अध्ययन में सुझाया गया है कि वजन कम करने का फैसला करते समय यह फैसला नहीं करना होता कि खुराक में कार्ब्स या फैट में से किसे चुना जाए, बल्कि दोनों को ही एक साथ कैसे कम किया जाए यह तय करना होता है.

किस तरह का भोजन
दुर्भाग्य से पर्याप्त मात्रा में कार्बोहाइड्रेट फ्रक्टोज ऐसा करना मुश्किल बनाने का काम करता है. व्यवहारिक तौर पर करीब सभी अध्ययन मानते हैं कि अति प्रसंस्कृत भोजन और जंक फूड दोनों को कम करने वजन कम करने के लिहाज से अहम हैं. लेकिन यह स्पष्ट नहीं था कि क्या वजन कम करने वालों को शक्कर, ग्लाइसेमिक कार्बोहाइड्रेट, फैट,पॉली अनसैचुरेटेड फैट में से किसे कम करने पर जोर देना चाहिए, या फिर केवल प्रोटीन बढ़ाने पर जोर देना चाहिए.

फ्रक्टोज सर्वाइवल हायपोथेसिस
शोधकर्ताओं ने मोटापे पर खुराक संबंधी कई अवधारणों की समीक्षा की और प्रस्ताव दिया कि अमूमन  इस मामले में सभी अवधारणाएं मोटे तौर पर सही हैं, लेकिन कोई भी अपने आप में सम्पूर्ण नहीं है और उन्हें फ्रक्टोज सर्वाइवल हायपोथेसिस नाम की एकीकृत अवधारणा के आधार पर मिलाया जा सकता है.

क्या होता है फ्रक्टोज?
फ्रक्टोज एक प्रकार की शक्कर होती है जो फलों में प्राकृतिक तौर पर पाई जाती हगै. अगर फल में पर्याप्त मात्रा में विटामिन और फाइबर हों तो रोज सेब, केला और संतरा खाना कोई बड़ी समस्या नहीं है. यहां तक कि शरीर भी ग्लूकोज और नमकीन भोजन जैसे कार्बोहाइड्रेट से छोटी मात्रा में फ्रक्टोज बना लेता है. कई तरह के स्वीटनर्स और सिरप आदि से हमारे भोजन में फ्रक्टोज की मात्रा बढ़ जाती है और हमें पता भी नहीं चलता है.

ज्यादा खाने की लालसा?
शोधकर्ताओं ने मोटापे में योगदान देने वाले कारकों पर ध्यान किया और पाया कि शरीर में फ्रक्टोज का मेटाबॉलिज्म एजेनोसाइन ट्राइफॉस्फेट (एटीपी) नाम का पदार्थ में कमी कर देता है जो शरीर की कोशिकाओं की प्रक्रियाओं में ऊर्जा प्रदान करता है. एटीपी कम होने अर्थ है कि शरीर को और ईंधन की जरूरत है जिससे हमें भूख लगती है और हम अधिक खाने लगते हैं. इसी को शोधकर्ताओं ने फ्रक्टोज सर्वाइवल हायपोथेसिस कहा है.

ज्यादा भूख क्यों लगती है
यह अवधारणा कई तरह के सिद्धांतों से जुड़ जाती है जो बताती है कि मोटापा क्यों होता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि खुराक संबंधी तमाम तरह की उलझनें जा कर फ्रक्टोज से जुड़ती हैं जो हमारे मेटाबॉलिज्म को कम शक्ति वाली अवस्था में ले जाता है और हमारा भूख पर नियंत्रण नहीं रहता है. इसके बाद फैटी भोजन अधिक कैलोरी के स्रोत बने रहते हैं जिनसे वजन बढ़ता है.

फ्रक्टोज शरीर में जमा फैट का उपयोग करने से उसे रोकने का काम करता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि यह प्रक्रिया जानवरों के विकास से जुड़ी है जहां हाइबरनेशन के लिहाज से फ्रक्टोज की यह भूमिका उपयोगी साबित होती है क्योंकि शरीर में जमा फैट बाद में उपयोग में आ सकता है. लेकिन आज इंसानों में यह और अधिक खाना खाने की इच्छा पैदा करती है.

     (‘न्यूज़ 18 हिंदी’ से साभार )
Spread the information