आज विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार रोकथाम जागरूकता दिवस (World Elder Abuse Awareness Day) है। बुजुर्गों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार की रोकथाम के लिए लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से दुनिया भर में इसे 15 जून को मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 66/127 के परिणामस्वरूप इस दिवस के आयोजन की शुरुआत हुई थी। जैसे-जैसे दुनिया में बुजुर्गों की आबादी बढ़ रही है, वैसे-वैसे उनके साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। यह एक गंभीर सामाजिक बुराई है जो मानव अधिकारों को प्रभावित कर रही है। यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र भी जागरूकता के जरिए इसे रोकने के लिए प्रयासरत है।
बुजुर्गों के अधिकारों की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए काम करने वाली संस्था HelpAge India ने विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस पर राष्ट्रीय रिपोर्ट ‘ब्रिज द गैप -अंडर स्टैंडिंग एल्डर निड्स’ जारी की. संस्था की तरफ से पिछले 8 सालों से यह सर्वे किया जा रहा है. इस सर्वे में बुजुर्गों पर हो रहे अत्याचार और तकलीफों पर गौर किया जाता है. पिछले दो सालों से महामारी के कारण सभी ने बुरे दिन देखे हैं हालांकि अब महामारी का प्रभाव इतना नही हैं. लोग अपनी जिंदगी में व्यस्त हैं. इस बीच बुजुर्गों की क्या अवस्था है यह जानने के लिए हेल्पेज़ इंडिया ने 22 शहरों में सर्वे किया. जहां एक शहर में 200 बुजुर्ग और उनके 100 केयरटेकर का इंटरव्यू किया गया.
आय के लिए कितने प्रतिशत बुजुर्ग अपने परिवार पर हैं निर्भर?
रिपोर्ट में बताया गया है कि राष्ट्रीय स्तर पर 47% बुजुर्ग आय के स्त्रोत के लिए परिवार पर निर्भर हैं. जबकि 34% पेंशन और नकद हस्तांतरण पर निर्भर हैं. वहीं मुंबई 72% बुजुर्ग परिवार पर निर्भर है जबकि 16% पेंशन और नकद हस्तांतरण पर निर्भर है. इसका मतलब है के मुंबई में बड़ी संख्या में बुजुर्गों को परिवार का समर्थन प्राप्त होता है. राष्ट्रीय स्तर पर 71% बुजुर्ग काम नहीं कर रहे हैं. 36% बुजुर्ग काम करने के इच्छुक हैं और उनमें 40% जब तक संभव हो तब तक काम करना चाहते हैं. 61% बुजुर्गों को लगता है की बुजुर्गों के लिए पर्याप्त और सुलभ रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं है. वहीं मुंबई में 79% बुजुर्ग काम नहीं कर रहे हैं हालांकि 37.5% का कहना है कि उनके पास रोजगार के अवसर नहीं हैं.
स्वंयसेवा के लिए कितने प्रतिशत बुजुर्ग हैं तैयार ?
राष्ट्रीय स्तर पर 30% बुजुर्ग स्वयंसेवा और समाज में योगदान करने के इच्छुक हैं. मुंबई में 24% बुजुर्ग वॉलंटियर के रूप में समाज में योगदान देने के इच्छुक हैं लेकिन अब तक केवल 12% वर्तमान में स्वयंसेवा के कामों में शामिल हैं. 45% बुजुर्गों ने वर्क फ्रॉम होम का समर्थन किया. 34% बुजुर्गों का मानना है के काम करने वाले बुजुर्गों को अधिक सम्मान दिया जाना चाहिए. 29% बुजुर्गों का कहना है के सेवा निवृत्ति आयु में वृद्धि हो और बुजुर्गों के लिए विशेष नौकरी हो.
कितने प्रतिशत बुजुर्गों का ध्यान रखते हैं उनके केयरटेकर?
मुंबई में 41% देखभाल करने वाले (caretakers) जिसमें उनके परिवार के सदस्य भी शामिल हैं वहीं 24% बुजुर्गों का मानना है के वर्क फ्रॉम होम उनके लिए सबसे अच्छा है. राष्ट्रीय स्तर पर 52% बुजुर्गों ने परिवार के सदस्यों द्वारा उन्हें प्यार दिए जाने और उनकी देखभाल लिए जाने की बात कही. 78% बुजुर्गों का कहना है के उनका परिवार उनको अच्छी तरह से खिलाता है और अच्छा भोजन देता है. 41% बुजुर्गों ने बताया के उनका परिवार उनके चिकित्सा खर्च का ध्यान रखता है. 87% बुजुर्गों ने बताया कि उनके आस-पास ही स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध है. हालांकि 78% बुजुर्गों ने एप आधारित और ऑनलाइन स्वास्थ सुविधाओं की अनुपलब्धता का उल्लेख किया है. 67% बुजुर्गों ने बताया के उनका जीवन के इस महत्वपूर्ण चरण में कोई स्वास्थ बीमा नहीं है और केवल 13% सरकारी बीमा योजनाओं के तहत कवर किए गए हैं.
दुर्व्यहार के लिए कितने प्रतिशत बुजुर्गों परिवार से नहीं करते हैं बात?
राष्ट्रीय स्तर पर 47% बुजुर्गों ने कहा कि उनके साथ होने वाले दुर्व्यवहार के चलते उन्होंने परिवार से बात करना बंद कर दिया है. मुंबई में 33% बुजुर्गों ने कहा कि उन्होंने परिवार से बात करना बंद कर दिया है. राष्ट्रीय स्तर पर 58% बुजुर्गों ने राय व्यक्त करते हुए कहा कि परिवार के सदस्यों के लिए परामर्श की आवश्यकता की जरूरत है. जबकि 56% बुजुर्गो ने दुर्व्यवहार से निपटने के लिए कहा समयबद्ध निर्णय और नीतिगत स्तर पर उम्र के अनुकूल प्रतिक्रिया प्रणाली स्थापित किए जाने की आवश्यकता है.
कितने प्रतिशत बुजुर्गों के साथ होता है दुर्व्यहार?
46% बुजुर्गों को किसी भी दुर्व्यवहार निवारण तंत्र की जानकारी नहीं है. केवल 13% बुजुर्गों को माता पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 के बारे में जानकारी है. मुंबई के लगभग 60% बुजुर्गों का कहना है कि उनको निवारण तंत्र के बारे में पता नहीं. राष्ट्रीय स्तर पर 59% बुजुर्ग को लगता है की उनके साथ दुर्व्यवहार होता है. 10% बुजुर्गो ने उनके गंभीर दुर्व्यवहार की बात स्वीकार की. अपराधियों में रिश्तेदार 36%, बेटे 35%, बहु 21%, शामिल है.
कितने प्रतिशत बुजुर्गों के साथ होती है मारपीट?
राष्ट्रीय स्तर (National Level) पर बुजुर्ग के अत्याचारों में अपमान 57%, मौखिक दुर्व्यवहार (Verbal Abuse) 38%, उपेक्षा 33%, आर्थिक शोषण 24%, खतरनाक शारीरिक शोषण पिटाई और थप्पड़ 13% होता है. मुंबई में 67% बुजुर्गो को लगता है की दुर्व्यवहार समाज में प्रचलित है. 9% बुजुर्गो ने स्वयं को पीड़ित बताया. अत्याचार में बेटे 56%, बहु 28% फीसदी तकलीफ मुंबई के बुजुर्गो को होती है.
बुजुर्ग बोझ नहीं, आदर, सेवा और सम्मान के अधिकारी
वैज्ञानिक नजरिये से देखें तो बुढ़ापा एक अनिवार्य शारीरिक आवस्था है, ऐसे में युवाओं को एक बात बड़ी गहराई से बैठा लेनी होगी कि उन्हें भी समय के इस चक्र के गुजरना होगा। ऐसे में युवा पीढ़ी के सामने सामाजिक व्यवस्था को बरकरार रखने की बड़ी चुनौती है। युवाओं को बुजुर्गों की सेवा के संस्कार को बनाए रखना होगा। साथ ही आने वाली पीढ़ी को बताना होगा कि बुजुर्ग बोझ नहीं हैं। आदर, सम्मान और सेवा उनका अधिकार है, इससे उन्हें वंचित नहीं किया जा सकता है। नई पीढ़ी को यह भी बताना होगा कि बुजुर्गों का तिरस्कार एक अपराध है।