विकास कुमार 

करोड़ों देवी देवताओं वाला भारत देश, जहाँ हर गली चौराहे पर आपको धार्मिक स्थल दिख जाएगा, उस देश में संविधान की पूजा करने के लिए कोई मंदिर बनवाए !! सुनने में थोडा अजीब ज़रूर लगता हैं. लेकिन केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में सामाजिक विज्ञान के रिटायर्ड प्रोफेसर शिवदासन पिल्लई ने संविधान को भगवान मानते हुए एक मंदिर का निर्माण करवाया है. आम मंदिरों में जिस तरह दीपक जलता है , उसी प्रकार मंदिर में शिवदासन एक तेल का दिया भी जलाते हैं. मंदिर में भक्त छात्र हैं  जो नियमित तौर पर इस मंदिर में पहुँचते हैं. 

मीडिया को दिए बयान में 71 वर्षीय शिवदासान ने मंदिर को बनाने का उद्देश्य बताया- “मेरे स्वामी संविधान हैं, और मैं इसकी पूजा करता हूं।” यह हमारे देश, हमारे भाईचारे, हमारी विविधता और हमारे भविष्य की नींव है। “मैं अपने भगवान के आदर्शों का पोषण करना चाहता था, इसलिए मैंने एक का निर्माण किया,” 

संविधान भगवान है , यह इस घर की समृद्धि है

मंदिर की दीवार पर संविधान की प्रस्तावना भी उकेरी गई है। मंदिर में महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद, बीआर अंबेडकर, बुद्ध, नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई की तस्वीरें भी लगी हैं. आम मंदिरों में जहाँ लड्डू को प्रसाद के तौर पर बांटा जाता है , इस मंदिर में आने वाले लोगों को ‘प्रसाद’ के तौर पर अंग्रेजी अनुवाद मलयालम स्टिकर वितरित किया जाता है जिसमें लिखा है “संविधान भगवान है, और यह इस घर की समृद्धि है।”

आज के युवाओं में संविधान की जानकारी की कमी

शिवदासन पिल्लई को इस बात का मलाल है की आज की युवा पीढ़ी में, संविधान को लेकर जागरूकता की बेहद कमी है. वे कहते हैं “हमारा संविधान युवा पीढ़ी के लिए अज्ञात है।” स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस उनके लिए बस पत्ते हैं। मेरा छोटा सा प्रयास उनमें संविधान की भावना भरकर उन्हें सशक्त बनाना है। मैं व्यक्तिगत रूप से मानता हूं कि अगर हम भगवान को बनाए रखते हैं, तो देश में कोई संघर्ष या समस्या पैदा नहीं हो सकती है।”

बच्चों को संविधान भी समझाते हैं रिटायर्ड शिक्षक 

शिवदासन आज भी बच्चों को सविधान के बारे में समझाते हैं. वे कहते हैं  “मेरा मानना ​​है कि हमारे बच्चों में जिज्ञासु स्वभाव की कमी है।” वे सवाल पूछने से डरते हैं और उन्हें अपने शिक्षकों की बातों पर भरोसा करना चाहिए। हमें बेहतर नागरिक पैदा करने की जरूरत है, और मेरा मानना ​​है कि हमारा संविधान बाइबिल है। उन्होंने कहा, “यह दुनिया के सबसे अच्छे संविधानों में से एक है,” उन्होंने कहा कि वह अक्सर बच्चों को संविधान के महत्व और प्रमुख विशेषताओं के बारे में बताते हैं। वह नियमित रूप से संविधान पढ़ते हैं और बच्चों को सरल शब्दों में समझाते हैं।

आज सत्ता में बैठे लोग संविधान की रक्षा करने की बड़ी बड़ी  बातें तो करते हैं , लेकिन सामाजिक जीवन में असंवैधानिक कामों में लिप्त रहते हैं. संविधान की मूल भावना के विपरीत ग़ैरबराबरी को बढ़ावा देते हैं तथा जाति और धर्म के नाम पर उन्माद फैलाते हैं , ऐसे में  रिटायर्ड प्रोफेसर शिवदासन पिल्लई का छोटा सा प्रयास भले ही सांकेतिक ही हो लेकिन भारत के सभी नागरिकों को याद दिलाता है संविधान ही सर्वोपरि है

विकास कुमार 

विकास कुमार युवा चिंतक और स्वतंत्र पत्रकार है. वैज्ञानिक चेतना टीम के साथ भी जुड़े है

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