मानव अधिकार दिवस हर साल 10 दिसंबर को दुनिया भर में मनाया जाता है। वर्ष 1948 में पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 10 दिसंबर को हर साल इसे मनाये जाने की घोषणा की गयी थी। इसे सार्वभौमिक मानव अधिकार घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा के सम्मान में प्रतिवर्ष इसे विशेष तिथि पर मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में मानव अधिकार दिवस आधिकारिक तौर पर 1950 में 4 दिसंबर को स्थापित किया गया था।
हमारे गणतंत्र को 70 से अधिक वर्ष हो गये हैं. किसी भी व्यवस्था के परिपक्व होने और उसके स्थापित होने के लिए इतना समय काफी लंबा होता है. इतने लंबे समय के बाद जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं तो हमें इसकी मिली-जुली तस्वीर दिखायी देती है. जहां एक तरफ बहुत से संवैधानिक मूल्य, मान्यताओं को हमने पूरी तरह से अपने जीवन में उतार लिया है- जैसे हम सभी अपने राष्ट्र का सम्मान करते हैं, वहीं अनेक नियमों के पालन में अभी भी हम पीछे हैं.हम अक्सर अलग-अलग रूप में इसका उल्लंघन करते हुए पाये जाते हैं. इसका अर्थ है कि कहीं न कहीं नागरिक होने का जो हमारा अधिकार है, वह तो हमें मालूम हैं, पर हमारी जिम्मेदारियां हमें मालूम नहीं हैं. असल में हमारी इस कमी का कारण हमारी शिक्षा है. हमें यह बताया ही नहीं जाता कि जिस तरह एक नागरिक होने के नाते हमारे कुछ अधिकार हैं, उसी प्रकार हमारे कुछ कर्तव्य भी हैं, जिन्हें पूरा करना हमारी जिम्मेदारी है. शिक्षा के माध्यम से हर व्यक्ति के मन-मस्तिष्क में यह बात कूट-कूटकर भर देनी चाहिए कि हर व्यक्ति का समाज में सम्मान बराबर है, हर व्यक्ति बराबर है.
आनेवाले समय में संविधान द्वारा प्रदत्त इन दो अधिकारों को पूरी तरह स्थापित करने का प्रयास सरकार को, समाज को और आम जनता को करना चाहिए. इस समय देश के लिए सबसे अधिक चिंता का विषय महिलाओं के साथ हो रहा भेदभाव और हिंसा है. विशेषकर छोटी-छोटी बच्चियों के साथ हो रही बलात्कार व अन्य जघन्य घटनाएं बेहद चिंतित करने वाली है. इससे लगता है कि कहीं न कहीं महिलाएं आज भी भारतीय समाज में द्वय नागरिक हैं. उनको अभी भी प्रथम या समान नागरिकता नहीं मिल पायी है. आज भी वो भोग की वस्तु ही मानी जा रही हैं. इस मानसिकता में बदलाव लाने की जिम्मेदारी राजनीतिक दलों, सरकार और अगुवा संगठनों की थी, लेकिन वे ऐसा नहीं कर पाये. महिलाओं को समान अधिकार देने और संविधान की मूल आत्मा को स्थापित करने में हम पूरी तरह विफल रहे हैं. भले ही शिक्षा के मामले में थोड़ा सुधार हुआ है, लड़कियों का स्कूलों में नामांकन हुआ है और ड्राॅपआउट रेट संभल पाया है, पर अन्य कई मामलों में तो भेदभाव साफ दिख रहा है. यह कितनी बड़ी विडंबना है कि लड़कियों से तो उनके जन्म लेने का अधिकार भी छीना गया है, छीना जा रहा है और अभी भी उसमें खास सुधार नहीं हुआ है.
मानवाधिकार दिवस 2021 थीम
वर्ष 2021 की थीम समानता – असमानताओं को कम करना, मानवाधिकारों को आगे बढ़ाना (EQUALITY – Reducing inequalities, advancing human rights) है |
जानिये क्या हैं मुख्य मानवाअधिकार
मानव अधिकार का अर्थ उन मूल अधिकारों से है, जो सभी को समान रुप से जीवन जीने, स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और एक समान व्यवहार की प्राप्ति का अधिकार प्रदान करता है। ऐसे में कुछ ऐसे मौलिक अधिकार है जो हर व्यक्ति के लिए आवश्यक है, यह नियम कानून युद्ध बंदियों, कैदियों से लेकर सामान्य नागरिकों तक के लिए बनाए गये है।
- बोलने की आजादी
- आजादी और सुरक्षा का अधिकार
- आर्थिक शोषण के खिलाफ आजाव उठाने का अधिकार
- रंग, नस्ल, भाषा, धर्म के आधार पर समानता का अधिकार
- कानून के सामने समानता का अधिकार
- कानून के सामने अपना पक्ष रखने का अधिकार
- अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार
मानवाधिकार दिवस कैसे मनाया जाता है?
ये दिन मानव अधिकारों के सभी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए राजनीतिक सम्मेलनों, बैठकों, प्रदर्शनियों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, वाद-विवाद और कई और कार्यक्रमों का आयोजन करके मनाया जाता है। कई सरकारी सिविल और गैर सरकारी संगठन सक्रिय रूप से मानव अधिकार कार्यक्रमों में भाग लेते हैं।
मानवाधिकार दिवस पर कार्यक्रम को अधिक प्रभावशाली और सफल करने के लिये एक विशेष विषय का निर्धारण करके इसे मनाया जाता है। किसी भी देश में मानव गरीबी सबसे बड़ी मानव अधिकार चुनौती है। मानव अधिकार दिवस मनाने का मुख्य लक्ष्य या उद्देश्य मानव जीवन से गरीबी का उन्मूलन और जीवन को अच्छी तरह से जीने में मदद करना है। विभिन्न कार्यक्रम जैसे: संगीत, नाटक, नृत्य, कला सहित आदि कार्यक्रम लोगों को अपने अधिकारों को जानने में मदद करने और ध्यान केन्द्रित करने के लिये आयोजित किये जाते हैं।
बहुत से कार्यक्रम लोगों, बच्चों के साथ ही साथ युवाओं को अपने मानवाधिकारों के बारे में सीख देने के उद्देश्य से आयोजित किये जाते हैं। कुछ विरोधी गतिविधियों का आयोजन उन क्षेत्रों के लोगों को अवगत कराने के लिये किया जाता है जहाँ मानवाधिकार गैर मान्यता प्राप्त और अपमानित है।
मानवाधिकार दिवस को मनाने के कारण और उद्देश्य
मानव अधिकार दिवस मनुष्य के लिए वास्तविक अधिकार प्राप्त करने के लिए दुनिया भर में लोगों द्वारा मनाया जाता है। यह दिन दुनिया भर में लोगों के शारीरिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक भलें और कल्याण में सुधार करने के लिए मनाया जाता है। इसे मनाने के कुछ महत्वपूर्ण उद्देश्य और कारण निम्न है:
- दुनिया भर के लोगों के बीच में मानव अधिकारों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना।
- समग्र मानव अधिकारों की स्थिति में प्रगति के लिये संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रयासों पर जोर देना।
- एक साथ मानव अधिकारों के विशिष्ट मुद्दों को उजागर करने के लिए सहयोग और चर्चा करना।
- इस कार्यक्रम में अल्पसंख्यक समूहों जैसे: महिलाओं, नाबालिगों, युवाओं, गरीबों, विकलांग व्यक्तियों और आदि अन्य को राजनीतिक निर्णय लेने में भाग लेने और मनाने के लिये प्रोत्साहित करना।
मानव अधिकार दिवस के उद्धरण
- “नागरिकों को राज्य की संपत्ति बनाने के लिए संघर्ष करना हमारे लिए वास्तविक संघर्ष है।”
- “हम में से बहुत से मानवाधिकारों और कलात्मक स्वतंत्रता की परवाह में रंगने के लिये प्रोत्साहित करते हैं।”
- “लोगों को उनके मानव अधिकारों से वंचित करना उनके द्वारा मानवता को बहुत बड़ी चुनौती है।”