सुबोध कुमार झा

हम अपने महान भारतवर्ष के आजादी के 75वें वर्ष का अभिनंदन अमृत महोत्सव के रूप में कर रहे हैं। जिसका मुख्य उद्देश्य जनमानस में राष्ट्रप्रेम, भाईचारा तथा राष्ट्रीय एकता की भावना विकसित करना है। साथ ही साथ हमारी वर्तमान व भावी पीढ़ी को स्वतंत्रता संग्राम में शहीद हुए महान स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में जानने की भी आवश्यकता है। आखिर कौन से जज्बे ने उन्हें आजादी के आंदोलन में अपनी आहुति देने के लिए प्रेरित किया ? राष्ट्रीय फलक पर नजर डालें तो स्वतंत्रता सेनानियों की उम्र कोई मायने नहीं रखता, जहाँ खुदी राम बोस युवावस्था में ही हँसते हुए फांसी के फंदे का वरण करते हैं वहीं पूरे देश में नवयुवकों में असीम उत्साह पाया गया था।

यह हमारे देश की अनूठी विरासत ही है जहाँ हमें उम्र, धर्म व जाति के इतर राष्ट्रप्रेम व राष्ट्रनिर्माण की भावना सभी क्षेत्रों में व सभी समुदायों में मिलती है। पढ़े लिखे लोगों से लेकर किसान , मजदूर, महिलाएं बिना सोचे समझे स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े। उनके मन में कभी भी यह विचार या भय नहीं आया कि देश के स्वाधीनता आंदोलन में अपनी जान भी गवानी पड़ सकती है। उन्होंने अपने जीवन का एकमात्र लक्ष्य देश की आजादी को आत्मसात कर लिया था। आज हमें अपने महान स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने तथा उनके श्री चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करने का सुअवसर प्राप्त हुआ है।हमें युवा पीढ़ी को उनकी गौरवगाथा का बोध कराना नितांत आवश्यक है।आइए हम समवेत रूप में उनका वंदन करें।

स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में हमारा संताल क्षेत्र हमेशा अपनी गौरबशाली गाथाओं से राष्ट्रीय स्तर पर जाना जाता है। सिद्धू , कान्हू , चाँद , भैरव का बलिदान हुल क्रांति के रूप में जाना जाता है। वहीं दूसरी ओर हमारे अन्य स्वतंत्रता सेनानियों अमानत अली, सलामत अली, त्रिगुणा नंद खवाड़े, पंडित बिनोदा नंद झा, अशर्फ़ी लाल कसेरा , रामराज्य जजवारे, भुबनेश्वर पांडेय, छोटे लाल मोदी व अन्य गुमनाम योद्धाओं, जिन्होंने देश की आजादी हेतु अपना अमूल्य योगदान दिया ।

अंग्रेजों के खिलाफ संताल में बिगुल फूंकने का काम अनेक गुमनाम योद्धाओं ने किया। त्रिकुट व डिगरिया पहाड़ उनकी शरणस्थली हुआ करती थी और कार्यक्षेत्र समस्त संताल परगना। डिगरिया पहाड़ के बम कांड स्वतंत्रता संग्राम के सरकारी रिकॉर्ड में भी दर्ज है।स्थानीय लोहाबाड़ी भी स्वतंत्रता आंदोलन का केंद्र हुआ करता था। जहाँ सभी स्वतंत्रता सेनानियों की गुपचुप बैठक आयोजित होती थी और लिए गए निर्णय के आलोक में आजादी के दीवाने सर पर कफन बांध कर चल पड़ते थे और अभीष्ट कार्य अंग्रेजों भारत छोड़ो के नारो के साथ बुलंद होता था। न तन पर जामा, न पेट में अनाज का दाना , फिर भी दिलों में देश प्रेम की आग जो सिर्फ अंग्रेजों से लोहा लेने के बाद ही शांत होती थी।

आजाद चौक पर पुलिस फायरिंग में असर्फी लाल कसेरा जी की मौत या त्रिगुणा नंद खवाड़े जी का जांघ में पुलिस की गोली लगने के चलते शहीद होना, यह कुछ वाक्या प्रकाश में आते हैं। लेकिन असंख्य गुमनाम योद्धाओं के प्राणों की आहुति का कहीं अभिलेख नहीं मिलता है। ऐसे स्वनामधन्य गुप्त स्वतंत्रता सेनानियों को आजादी के 75वें वर्ष में सादर अभिनंदन।
संताल परगना में स्वतंत्रता संग्राम के ऊपर एकमात्र प्रामाणिक पुस्तक स्व नथ मल सिंघानिया जी के द्वारा लिखित 1942 की क्रांति में संताल परगना ही दृष्टिगोचर होती है। इसके अतिरिक्त गजेटियर में उपलब्ध घटना क्रम को ही प्रामाणिक इतिहास माना जा सकता है।वर्तमान में श्री उमेश कुमार जी के द्वारा कुछ शोध परक पुस्तकों का लेखन व प्रकाशन किया गया जिसमें संताल क्षेत्र की स्वतंत्रता संग्राम की जानकारी प्राप्त होती है।

परतंत्रता की बेड़ी को तोड़ कर स्वतंत्रता की प्राप्ति एक दिवा स्वप्न का सच होने की अनुभूति मात्र ही शरीर में सिहरन पैदा करती है और हमारे पूर्वजों जिन्हें इस स्पंदन को अनुभव करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, सोचिये क्या नजारा रहा होगा। समस्त देशवासियों का मन मयूर‌ अपना पंख फैलाकर आजादी का वरण करने हेतु अधीर रहे होंगे और 15 अगस्त 1947 को जब हमारा देश आजाद हुआ होगा तो क्या अलौलिक नजारा रहा होगा।

हमारी स्वतंत्रता सेनानियों की पीढ़ी समाप्त हो चुकी है और आज आजादी के 75वें वर्षगाँठ पर उन्हें यादकर श्रद्धांजलि अर्पित करना , यह हमारा परम सौभाग्य होगा।‌ साथ ही साथ हमें प्रण लेना होगा कि हम अपनी संप्रभुता को अक्षुण्ण बनाये रखेंगे तथा “एक भारत, श्रेष्ठ भारत ‘ की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में कार्य कर गरीबी, अशिक्षा, भ्रष्टाचार, जातीय भेदभाव व क्षेत्रवाद इत्यादि को जड़ से समाप्त करेंगे और हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों को वर्तमान पीढ़ी से यही अपेक्षाएं भी है। 

(सुबोध कुमार झा देवघर सेंट्रल स्कूल के प्राचार्य हैं एवं बच्चों के बीच विज्ञान परक, रचनात्मक गतिविधियों से जुड़े हैं )

 

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