मच्छरों (Mosquitoes) और इंसानों (Humans) के बीच संबंध को लेकर हुए अध्ययन में पाया गया है कि कुछ लोग मच्छरों को ज्यादा आकर्षित करते है. इसका कारण उनकी त्वचा का खास पदार्थ है जो ऐसी गंध (Special smell) पैदा करता है जिससे मच्छर इंसान की ओर खिंचे चले आते हैं. इस अध्ययन ने पुरानी कई धारणाओं को खारिज करने का काम किया है.

कई लोगों को लगता है कि उन्हें मच्छर (Mosquitoes) ज्यादा परेशान करते हैं, जबकि कुछ लोग को मच्छरों से कभी कोई परेशानी नहीं होती हैं. क्या ऐसा होता है कि कुछ लोग मच्छरों के काटने के प्रति संवेदशनशील होते हैं. वे शिकायत करते हैं कि मच्छर उनके कान में भिनभिना रहे हैं, जबकि उनके आसपास के लोगों को ऐसा कम या बिलकुल नहीं लगता है. जी हां कुछ लोग मच्छरों के लिए वाकई चुंबक (Mosquito Magnets) की तरह काम करते हैं. नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने इसका कारण खोजते हुए यह नतीजा निकाला है कि इंसान के शरीर से एक खास तरह गंध (Unique Smell) निकलती है जो उन्हें व्यक्ति विशेष की ओर आकर्षित करती है.

कई धारणाओं को किया खारिज

नए शोध में पाया गया है कि जिन लोगों के प्रति मच्छर आकर्षित होते हैं उसके लिए वे खुद जिम्मेदार हैं. इसमें पाया गया है कि हमारे शरीर की खास गंध मच्छरों को आकर्षित करती है.  यह नया अध्ययन उस पुरानी धारणाओं को तोड़ने वाला साबित हो रहा है जिसमें लोगों के खून के प्रकार, खून में शर्करा की मात्रा, लहसुन या फिर केले खाने, और यहां तक कि औरत तक होने की वजह मानी जाती है.

त्वचा की खास गंध

शोधकर्ताओं का पहली बार मच्छरों  को आकर्षित करने वाली विशेषता की व्याख्या की है. उनका कहना है कि इंसान की त्वचा से निकलने वाले फैटी एसिड एक खास तरह की गंध निकालते हैं जिसका मच्छर प्रतिरोध नहीं कर पाते हैं और उस इंसान की ओर खिंचे चले आते हैं. इस अध्ययन के नतीजे सेल जर्नल में प्रकाशित हुए हैं.

कर्बोक्सिल एसिड का कमाल

अध्ययन में बताया गया है कि मच्छर ऐसे लोगों के प्रति ज्यादा आर्कषित होते हैं जिनकी त्वचा में कार्बोक्सिल एसिड के स्तर ज्यादा होते हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि इंसान की त्वचा  में इन फैटी एसिड और इनका मच्छरों के लिए चुंबक होने का बहुत गहरा नाता रहा है. तीन साल के अध्ययन के बाद शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों को कई दिनों तक दिन में छह बार बाहों में नायलॉन की स्टॉकिंग पहलने को कहा. इसके कुछ सालों के बाद शोधकर्ताओं ने इन नायलॉन का संभावित जोड़े के साथ परीक्षण किया.

क्या किया प्रयोग में

उन्होंने एक दो चयन वाले ऑलफैक्टोमीटर का उपयोग किया जिसमें एक चेंबर के दो हिस्से थे जिसमें हरएक मेंएक स्टॉकिंग थी  और एडिस एगिप्टी मच्छर थे जो जिका डेंगू, पीला ज्वर और चिकनगुनिया फैलाने के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं. इसके बाद उन्होंने देखा कि के ये मच्छर किस नायलॉन की ओर आकर्षित होकर जाते हैं.

कुछ लोगों मे ज्यादा आकर्षण

रॉकफेलर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया कि एडिस एगिप्टी मच्छर एक खास प्रतिभागी की ओर आकर्षित हुआ जो दूसरे स्थान वाले प्रतिभागी की तुलना में चार गुना ज्यादा आकर्षक था.  जब कि यह सबसे कम आकर्षक प्रतिभागी की तुलना में सौ गुना ज्यादा आकर्षक था. उन्होंने पाया कि मच्छरों को आकर्षित करने वाले प्रतिभागियों में कार्बोक्सिलिक ऐसिड का बहुत ज्यादा स्तर थे.

लंबे समय बाद भी नहीं बदला कुछ

जहां कुछ प्रतिभागियों को सालों तक अध्ययन किया गया और यह जानने की कोशिश की गई कि क्या वे वाकई मच्छर आकर्षित करने वाले चुंबक हैं  उन्होंने पाया कि वास्तव में ऐसा ही है. समय के साथ इन प्रतिभागियों में काफी कुछ बदल सकता था, लेकिन यह व्यक्ति की जैसे स्थायी विशेषता थी. कार्बोक्सीलिक ऐसिड एक तरह के चिकने अणु होते हैं, त्वचा की प्रकृतिक नमी वाली परत का हिस्सा होते हैं और अलग अलग लोगों अलग मात्रा में बनते हैं.

 

त्वचा पर रहने वाले हेल्दी बैक्टीरिया इन एसिट को खाते हैं जिससे हमारी त्वचा में एक गंध पैदा होती है. शोधकर्ताओं ने इस मामले में मच्छरों  की जीन भी संपादित कर उनकी सूंघने की क्षमता खत्म करने का प्रयास किया. इसके बाद भी वे मच्छरों को आकर्षित करने वाले लोगों की ओर आते रहे.

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