विकास कुमार
यह आजादी का 75 वां वर्ष है। पर डायन हत्या एवं अंधविश्वास को लेकर झारखंड अब भी अक्सर चर्चा में रहता है। एक तरफ प्रचुर प्राकृतिक संपदा एवं उद्योग धंधे,दूसरी ओर शिक्षा स्वास्थ्य की बदहाल स्थिति, कुपोषण पर्यावरण प्रदूषण, बेरोजगारी, विस्थापन एवं पलायन जैसी चुनौतियां। इन समस्याओं से मुक्त झारखंड के निर्माण के लिए जन विज्ञान अभियान को बढ़ावा देने की जरूरत है। राज्य में साइंस कम्युनिकेशन के काम को आगे बढ़ाने, उसके साथ यहां के बाल- युवा विज्ञानियों, विज्ञान संचारकों को जोड़ने की दिशा में हर संभव प्रयास जरूरी है। निश्चय ही विज्ञान फिल्म महोत्सव इसमें मददगार साबित होगा। साइंस फार सोसायटी, झारखंड एवं वैज्ञानिक चेतना, साइंस वेब पोर्टल झारखंड इस दिशा में सतत प्रयासरत है। आजादी का अमृत महोत्सव यानी वैज्ञानिक दृष्टिकोण वर्ष निश्चय ही इसमें मददगार साबित हो सकता है।
दरअसल फिल्में जनसंचार का एक शक्तिशाली और प्रभावी माध्यम हैं जिससे हम, अपने क्षेत्र, देश और दुनिया में जनमुद्दों, समस्याओं और चुनौतियों को जान और समझ सकते हैं । बहुत सारे समकालीन वैज्ञानिक, तकनीकी, सामाजिक एवं पर्यावरणीय मुद्दे हैं, जिन पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है और फिल्में उन मुद्दों से जुड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। समस्याओं/चुनौतियों की सही समझ ही हमें समाधान खोजने के लिए प्रेरित करती है। विज्ञान फिल्में मनोरंजन भी प्रदान करती हैं और यदि उचित कहानी के माध्यम से बताया जाए तो विज्ञान मजेदार एवं रोचक हो सकता है।
विज्ञान फिल्म समारोह दुनिया भर की फिल्मों को प्रदर्शित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह दर्शकों के बीच एक व्यापक दृष्टिकोण बनाने और फिल्म निर्माताओं, छात्रों, विज्ञान संचारकों और आम लोगों को एक साथ एक मंच पर लाता है . जिससे बेहतर समाज और दुनिया बनाने के लिए बेहतर आपसी समझ एवं संवाद बन सके । कोविड -19 महामारी के कारण, सीमित गतिशीलता के कारण फिल्म निर्माण भी प्रभावित हुआ और फिल्म समारोह ऑनलाइन मोड तक सीमित हो गए। महामारी पर धीरे-धीरे काबू पाने और बढ़ते टीकाकरण से सार्वजनिक स्थानों का खुलना सुनिश्चित हुआ । हालांकि ऑफलाइन फिल्म फेस्टिवल के आयोजन की गति अब भी धीमी है.
लंबे संघर्ष के बाद, झारखंड राज्य का जन्म वर्ष 2000 में हुआ था। लेकिन 21 वर्षों के बाद भी, यह बिखरी हुई, बदहाल स्वास्थ्य सेवा / शिक्षा प्रणाली, विस्थापन, पलायन, अवैध खनन, डायन हत्या, कुपोषण आदि जैसे मुद्दों का सामना कर रहा है। समृद्ध झारखंड का सपना अभी भी अधूरा है। सरकार द्वारा कला और संस्कृति की काफी उपेक्षा हुई है तथा यह सिलसिला अब भी जारी है। इस उपेक्षा के बावजूद, झारखंड के युवा फिल्म निर्माता, अपनी सीमित संसाधनों से ही सही, झारखंड के जमीन से जुड़े मुद्दों पर अपनी बातें लोगों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं, भारत और विदेशों में भी सम्मान एवं ख्याति प्राप्त कर रहे हैं । भले ही यहां के फिल्म समारोहों में लोकप्रिय बाजारू संस्कृति पर आधारित फिल्में नियमित रूप से दिखाई जाती हैं, पर उसमें स्थानीय संस्कृति और सामाजिक मुद्दों पर आधारित फिल्में शायद ही कभी अपना स्थान पाती हैं। दर्शकों तक व्यापक पहुंच के लिए इन फिल्मों को एक उचित मंच की भी जरूरत है। साथ ही झारखंड में विज्ञान फिल्मों के प्रदर्शन की संस्कृति नहीं रही है , जिसे विकसित करने की जरूरत भी महसूस होती है।
इस चुनौतीपूर्ण परिदृश्य में, साइंस फॉर सोसाइटी, झारखंड और वैज्ञानिक चेतना मीडिया समूह झारखंड के लोहरदगा में पहले झारखंड विज्ञान फ़िल्म महोत्सव का आयोजन करने जा रहा है । लोहरदगा एक कस्बाई शहर है जो राजधानी रांची से करीब 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
वहां तीन दिवसीय साइंस फिल्म फेस्टिवल का आयोजन प्रस्तावित है। फेस्टिवल में झारखंड और पूरे देश और विदेशों की विभिन्न श्रेणियों की फिल्में जैसे- वृत्तचित्र, फिक्शन फिल्म, लघु फिल्म, एनिमेशन फिल्में दिखाई जाएंगी। फिल्में हिंदी, अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषा (अंग्रेजी उपशीर्षक के साथ) होंगी। इसमें प्रसिद्ध फ़िल्मकारों के अलावा युवा फिल्म निर्माताओं की भी भागीदारी होगी, जो अपनी फिल्मों के प्रदर्शन की स्क्रीनिंग के बाद ऑडियंस से चर्चा भी करेंगे। वहां लोकप्रिय विज्ञान फिल्मों के अलावा, विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर आधारित फिल्में भी दिखाई जाएंगी क्योंकि हमारा मानना है कि विज्ञान और समाज अलग-अलग नहीं रह सकते। साथ ही, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अलग-अलग सामाजिक और राजनीतिक पहलू हैं और इसके बारे में एक आलोचनात्मक दृष्टिकोण विकसित करने की आवश्यकता है क्योंकि विज्ञान के फल सत्ता – व्यवस्था के केंद्रों द्वारा नियंत्रित होने के बजाय उसे आम लोगों तक पहुंचाया जाना चाहिए। फिल्मों का फोकस क्षेत्र (विषय) होगा: विज्ञान और प्रौद्योगिकी, नवाचार, पर्यावरण, कृषि, स्वास्थ्य और चिकित्सा, जल प्रबंधन, पारंपरिक ज्ञान, जीवनी, विज्ञान का इतिहास आदि। फिल्म स्क्रीनिंग के अलावा, विज्ञान संचार की गहरी समझ और विस्तृत दायरा बनाने के लिए समानांतर सत्र जैसे मास्टर क्लास, फिल्म कार्यशाला, पैनल चर्चा भी होगी। फिल्म महोत्सव का विज्ञान फिल्मों को बढ़ावा देना, युवा पीढ़ी के बीच विज्ञान फिल्में बनाने की रुचि पैदा करना एवं समझ विकसित करना भी प्रमुख उद्देश्यों में शामिल है.
साइंस फॉर सोसाइटी, झारखंड पिछले 30 वर्षों से झारखंड में वैज्ञानिक जागरूकता के क्षेत्र में काम कर रही है। हमारा लक्ष्य एक संवैधानिक, धर्मनिरपेक्ष, समतावादी, विविधतापूर्ण, न्यायसंगत, आधुनिक, आत्मनिर्भर झारखंड और भारत का निर्माण करना है, जो अंधविश्वास और सभी प्रकार की असमानता और शोषण, उत्पीड़न से मुक्त हो। इस साल भारत सरकार, भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है । साइंस फॉर सोसाइटी झारखंड भी इस वर्ष को ‘वैज्ञानिक दृष्टिकोण वर्ष ‘ के रूप में मना रहा है। इस अवसर पर पूरे वर्ष हम जनता के बीच विभिन्न मुद्दों पर सामाजिक, वैज्ञानिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। वैज्ञानिक चेतना पोर्टल देश में अग्रणी विज्ञान समाचार पोर्टलों में से एक के रूप में उभर रहा है, जिसमें प्रमुख विशेषज्ञों द्वारा विज्ञान के उभरते मुद्दों पर लेख प्रकाशित किया जाता है , इसके अलावा लेख और ऑडियो-विजुअल दोनों माध्यमों में विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर जमीनी रिपोर्ट शामिल हैं।
यह झारखंड में अपनी तरह की पहली पहल है और हमारी परिकल्पना है कि, विज्ञान फिल्म महोत्सव, दर्शकों के बीच वैज्ञानिक सोच पैदा करेगा और आलोचनात्मक और विश्लेषणात्मक सोच को आकार और विस्तार देगा, जो समाज के समग्र विकास के लिए बेहद जरूरी है। हमें उम्मीद है कि यह फेस्टिवल एक बेंचमार्क बनेगा जिससे प्रेरणा लेकर विज्ञान फिल्मों और सामाजिक विषयों पर बनी फिल्मों को बढ़ावा मिलेगा और झारखंड में, भविष्य में भी साइंस महोत्सव के आयोजन को प्रेरणा और ऊर्जा मिलेगी .
हम छात्रों, शिक्षकों, विज्ञान संचारकों, फिल्म निर्माताओं, आम लोगों को साइंस फ़िल्म महोत्सव का हिस्सा बनने के लिए सादर आमंत्रित करते हैं। उम्मीद है कि आप सभी के सहयोग एवं सक्रिय भागीदारी से झारखंड का यह महत्वपूर्ण आयोजन सफल होगा .
विकास कुमार स्वतंत्र पत्रकार और रिसर्चर है वे इस फिल्म फ़ेस्टिवल के को-ऑर्डिनेटर एवं वैज्ञानिक चेतना के साथ भी जुड़े हैं