15 मई को हर साल अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र जनरल एसेंबली ने इसकी घोषणा की थी। बदलते समय के साथ परिवार के मायने और मतलब भी बदलते जा रहे हैं, इसलिए जरूरी है कि परिवार के बच्चों को कुछ फैमिली वैल्यूज सिखाए जाएं.

मदर्स डे के बाद अब मौका है फैमिली डे यानी परिवार दिवस मनाने का। दरअसल, 15 मई को हर साल अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र जनरल एसेंबली ने साल 1993 में परिवार के महत्व को दर्शाने के मकसद से 15 मई को हर साल अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस मनाने की घोषणा की थी। ‘ दरअसल, बदलते समय के साथ परिवार के मायने और मतलब भी बदलते जा रहे हैं। संयुक्त परिवार, मूल परिवार के रूप में छोटा हो जाता जा रहा है। लिहाजा आने वाले वक्त में स्थिति और खराब न हो जाए इसलिए जरूरी है कि परिवार के बच्चों को कुछ फैमिली वैल्यूज सिखाए जाएं.

दूसरों को खुद से पहले रखें
परिवार में एकजुटता की पहली सीढ़ी है कि हम स्वार्थी होने की बजाए दूसरे के बारे में सोचें यानी खुद से पहले परिवार के सदस्यों के बारे में सोचें। परिवार में पत्नी और मां हमेशा ऐसा करती है जब वह परिवार के दूसरे सदस्यों को पहले खाना खिलाती है और खुद आखिर में खाती है। हमें भी उनसे सीखकर इस भावना को अपने व्यवहार में उतारना चाहिए।

प्यार से बात करें
आपके कहे शब्द या तो किसी को प्रोत्साहित कर सकते हैं या फिर मार सकते हैं। अगर परिवार में कोई सदस्य कोई गलत काम करता है या उससे जाने-अनजाने कोई गलती हो जाती है तो हमें ऊंचे स्वर में बात करने की बजाए पूरे मामले को प्यार से निपटाना चाहिए। इससे परिवार के सदस्यों के बीच आपसी समझदारी विकसित होती है।

हमेशा सच बोलें
सच बोलना एक ऐसा गुण है जो हमें घर के साथ-साथ बाहर भी अपनाना चाहिए। कई बार सच बोलने पर हमें सामने वाले व्यक्ति के क्रोध का भी सामना करना पड़ सकता है खासतौर पर तब जब हमने कोई गलती की हो या अपने वादे को न निभाया हो। बावजूद इसके सच बोलने से हम कई तरह की समस्याओं से बच जाते हैं और हमारा रिश्ता मजबूत रहता है।

शिष्टाचार का ध्यान रखें
बुजुर्गों और बच्चों का सम्मान करना और उन्हें प्यार करना हमारे अच्छे शिष्टाचार को दिखाता है। इसके अलावा बड़ों से सम्मान के साथ बात करना, परिवार में किसी को जरूरत हो तो उनकी मदद करना ये सारी चीजें भी शिष्टाचार का ही हिस्सा हैं। वैसे भी इंसान को पसंद या नापसंद करने की वजह उनका व्यवहार और शिष्टाचार ही होता है।

माफ करना सीखें
अगर आप तनावरहित जीवन जीना चाहते हैं तो माफ करें और भूल जाएं की नीति अपनाएं। हो सकता है कि परिवार के किसी सदस्य ने आपकी किसी आदत के बारे में पब्लिक में कुछ बुरा बोला हो जिससे आपको शर्मिंदगी महसूस हुई हो। सामने वाले व्यक्ति के माफी मांग लेने के बाद भी कई बार हम इस फीलिंग को दिल में हमेशा बनाए रखते हैं जिससे हमारा रिश्ता सामान्य नहीं हो पाता। बदलते वक्त के साथ परिवार की जरूरतें और प्राथमिकताएं बदली हैं। ऐसे में परिवार के बड़ों को भी कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए.

बहु की सुविधा का भी ध्यान रखें
अब यह आम बात है कि घर की बहू जॉब करती है। ऐसे में उसकी सुविधाओं का भी ध्यान रखें। इस बात को समझें कि जब कोई महिला किसी ऑफिस में काम करती है, तो उसके ऊपर काम का दवाब उतना ही होता है, जितना किसी पुरुष पर। फिर घर लौटकर भी वह बहुत से कामों के दबाव में रहेगी तो यह उसकी मानसिक और शारीरिक सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

काम में सभी हाथ बटाएं
घर के हर काम का बोझ उस पर न डालें। आप भी उसका हाथ बटाएं। क्योंकि आप परिवार के बड़े हैं तो आपकी जिम्मेदारी बनती है कि परिवार के सभी सदस्यों के बीच घर के काम की जिम्मेदारी बांट दें।

प्रिवेसी का रखें ध्यान
अब संयुक्त परिवार भी कम ही देखने को मिलते हैं। इसकी खास वजह है परिवार के सदस्यों के बीच असंतुष्टि होना। परिवार में प्यार बना रहे, इसके लिए जरूरी है कि परिवार के सभी सदस्यों की भावनाओं का ख्याल रखा जाए। आप ध्यान दें, कहीं आपके कारण उनकी प्रिवेसी खत्म तो नहीं हो रही।

हर बात में दखल न दें
वक्त तेजी से बदल रहा है। जिंदगी की व्यस्तता भी उतनी ही तेजी से बदल रही है। कई बार स्थिति बनती है कि बच्चे कोई निर्णय लेने से पहले परिवार में सभी से डिसकस नहीं कर पाते। ऐसे में खुद को अनदेखा महसूस न करें। उनकी भागती-दौड़ती जीवनशैली की दिक्कतों को समझने का प्रयास करें।

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