आज के समय में जिस तरह से दुनिया विकसित हो रही है, उसी तरह नित्‍य नई बीमारियां भी लोगों को अपनी चपेट में ले रही हैं। यही कारण है कि आज के समय में क्लीनिकल रिसर्च इंडस्ट्री की वृद्धि में बड़ा उछाल आया है। खास कर कोरोना वायरस के बाद। इस समय वैश्विक दवा बाजार लगभग 427 बिलियन अमेरिकी डॉलर का माना जा रहा है। जिसमें से सालाना करीब 60.65 अरब अमेरिकी डॉलर रिसर्च पर खर्च किया जाता है।

आज के समय में कोरोना वायरस ने इंडिया के साथ पूरी दुनिया को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। जिसके कारण क्लीनिकल रिसर्च इंडस्ट्री का महत्‍व काफी बढ़ गया है। यह वहीं इंडस्ट्री है, जिसने कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्‍व करने के साथ कई वैक्‍सीन लाकर लाखों लोगों की जान बचाई। आज के समय में भारत धीरे-धीरे क्लीनिकल रिसर्च इंडस्ट्री का हब बनता जा रहा है। इस समय पूरे विश्‍व में सबसे ज्‍यादा वैक्‍सीन भारत में ही बन रही है। जिस तरह से यह इंडस्ट्री आज आगे बढ़ रही है, उसी के अनुसार युवाओं के लिए करियर के मौके भी मिलते जा रहे हैं। बढ़ती बीमारियों के कारण आज के समय में क्लीनिकल रिसर्च को बढ़ावा देना जरूरत बन गई है।

इन क्षेत्र में है अवसर –

रिसर्च एंड डेवलपमेंट
भारत क्लीनिकल रिसर्च के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। यहां नई-नई दवाइयों की खोज व विकास संबंधी कार्य किया जा रहा है। रिसर्च एंड डेवलपमेंट की बात करें तो क्षेत्र में इजेनेटिक उत्पादों के विकास, एनालिटिकल आरएंडडी, एपीआई या बल्क ड्रग आरएंडडी क्षेत्र शामिल हैं।

ड्रग मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर
क्लीनिकल रिसर्च के क्षेत्र में ड्रग मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर खास शाखा है, जो छात्रों को आगे बढ़ने के बेहतर अवसर मुहैया कराती है। आप चाहें तो इस क्षेत्र में मॉलिक्युलर बायोलॉजिस्ट, फार्माकोलॉजिस्ट, टॉक्सिकोलॉजिस्ट या मेडिकल इन्वेस्टिगेटर बन कर अपना भविष्य संवार सकते हैं। मॉलिक्युलर बायोलॉजिस्ट जीन संरचना के अध्ययन और मेडिकल व ड्रग रिसर्च संबंधी मामलों में प्रोटीन के इस्तेमाल का अध्ययन करता है, जबकि फार्माकोलॉजिस्ट का काम इंसान के अंगों व उत्तकों पर दवाइयों व अन्य पदार्थो के प्रभाव का अध्ययन करना होता है।

फार्मासिस्ट
फार्मासिस्ट दवाओं के वितरण की सबसे बड़ी शाखा है, इनपर दवाइयों और चिकित्सा संबंधी अन्य सहायक सामग्रियों के भंडारण और वितरण का जिम्मा होता है, जबकि रिटेल सेक्टर में फार्मासिस्ट को एक बिजनेस मैनेजर की तरह काम करते हुए दवा संबंधी कारोबार चलाने में समर्थ होना चाहिए।

क्लीनिकल रिसर्च
इस फील्‍ड की यह मुख्‍य शाखा है, कोई नई दवा ईजाद करने से पहले यह भी ध्यान रखा जाता है कि वह दवा लोगों के लिए कितनी सुरक्षित और असरदार हो सकती है। इसके लिए टीम गठित होती है और फिर क्लीनिकल ट्रायल होता है। भारत में क्लीनिकल के कारोबार में भी तेजी आई है। इतना ही नहीं, इसकी शौहरत अब पूरे विश्व में पहुंच चुकी है। यही कारण है कि कई नामी विदेशी कंपनियां क्लीनिकल रिसर्च के लिए भारत आ रही हैं। दवाइयों की स्क्रीनिंग संबंधी काम में नई दवाओं या फॉर्मुलेशन का पशु मॉडलों पर परीक्षण करना या क्लीनिकल रिसर्च करना शामिल है, जो इंसानी परीक्षण के लिए जरूरी है।

क्वालिटी कंट्रोल
नई-नई दवाओं के संबंध में अनुसंधान व विकास के अलावा यह सुनिश्चित करने की भी जरूरत होती है कि इन दवाइयों के जो नतीजे बताए जा रहे हैं, वे सुरक्षित, स्थायी और आशा के अनुरूप हैं। यह काम क्वालिटी कंट्रोल के तहत आता है।

कोर्स के लिए प्रमुख संस्‍थान 

  • इंस्टीट्युट ऑफ क्लीनिकल रिसर्च (www.icriindia.com)
  • नेशनल इंस्टीट्युट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, मोहाली, चंडीगढ़ (www.niper.ac.in)
  • दिल्ली इंस्टीट्युट ऑफ फार्मास्युटिकल साइंस एंड रिसर्च (www.dipsar.in)
  • बॉम्‍बे कॉलेज ऑफ फार्मेसी (www.bcpindia.org)
  • जामिया हमदर्द, नई दिल्ली (www.jamiahamdard.edu)

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